मुरैना…. चंबल का सीना छलनी कर रहे माफिया..
सुबह से लेकर शाम तक हजारों ट्रालियां हो रहा रेत का अवैध खनन…..
मुरैना में चंबल का सीना छलनी किया जा रहा है। हजारों की संख्या में ट्रेक्टर ट्रालियों द्वारा रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। यह खनन राजघाट के नए पुल के नीचे किया जा रहा है। खनन सबके सामने व दिन में किया जा रहा है। सुबह से माफिया की जेसेबी मशीनें धड़धड़ाने लगती है, हजारों ट्रालियों की लाइनें लग जाती हैं। यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहता है।
सबसे अहम बात यह है कि चंबल में पर्यटक आ रहे हैं। इन पर्यटकों के सामने रेत का अवैध खनन हो रहा है। जिला, पुलिस व वन विभाग के अधिकारी अपने परिवार के साथ चंबल घूम रहे हैं। उनके सामने अवैध रेत भरा जा रहा है और रेत से भरी ट्रेक्टर ट्रालियां धड़धड़ाती गुजर रही हैं। किसी की क्या मजाल जो उन्हें रोक सके।
दो सैकड़ा से अधिक एसएएफ के जवान मिले
चंबल के रेत के अवैध खनन को रोकने के लिए जिले के वन विभाग को 200 से अधिक एसएएफ जवानों की कंपनी दी जा चुकी है। लेकिन विभाग ने इस कंपनी के जवानों को इधर-उधर ड्यूटी पर लगा रखा है। जबकि इन जवानों का काम राजघाट पर हो रहे अवैध खनन को रोकना है। कहना गलत नहीं होगा कि वन विभाग की सहमति से इस खनन को अंजाम दिया जा रहा है।

अल्लाबेली पुलिस चौकी के सामने से गुजर रहीं ट्रेक्टर ट्राली
अगर पुलिस प्रशासन की बात करें तो अवैध रेत के यह ट्रेक्टर राजघाट से चंद कदम दूर अल्लाबेली पुलिस चौकी के सामने से धड़धड़ाते गुजर रहे हैं। पुलिस चाहे तो इनको रोक कर उन्हें जब्त कर सकती है, लेकिन पुलिस यह जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं।

अल सुबह से शुरु हो जाता खनन
चंबल नदी के राजघाट पुल के नीचे यह खनन अल सुबह से ही शुरु हो जाता है। सुबह से ही माफिया की जेसीबी मशीनें रेत निकालने का काम शुरु कर देती हैं। इन मशीनों से हजारों की संख्या में लाइनों में लगे ट्रेक्टरों में रेत भरा जाता है। उसके बाद यह ट्रेक्टर मुरैना व अन्य जिलों को कूच कर जाते हैं।

60 प्रतिशत रेत की सप्लाई होती राजस्थान में
चंबल के राजघाट पुल से खनन होने वाले लगभग 60 प्रतिशत रेत की सप्लाई राजस्थान के धौलपुर में होती है। 40 प्रतिशत रेत मुरैना व ग्वालियर में लाया जाता है। इसे धड़ल्ले से बेचा जाता है।

कहते हैं अधिकारी
जिला प्रशासन ने समय-समय पर अवैध रेत का खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है। एसएएफ के 200 जवानों की कंपनी इस काम को रोकने के लिए मिली है। उसकी मदद से रोकने की कार्रवाई की जाती है। अब फिर कार्रवाई की जाएगी।
नरोत्तम भार्गव, अपर कलेक्टर, मुरैना