भोपाल…. नगर निगमों का खजाना खाली:650 करोड़ का भुगतान बाकी… सड़क, पार्क जैसे काम भी अटके

  • विकास पर असर } इंदौर में सबसे ज्यादा 312 करोड़ और भोपाल में लगभग 200 करोड़ की देनदारी बाकी……

प्रदेश के नगरीय निकायों का खजाना खाली है। चार बड़े शहरों के नगर निगमों की माली हालत खस्ता है। हालात ये है कि भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में नगर निगमों पर ठेकेदारों के करीब 650 करोड़ रुपए चुकाना बाकी है। नगर निगमों के पास बजट नहीं होने से न केवल मेगा प्रोजेक्ट पर असर पड़ रहा है, बल्कि नियमित होने वाले सड़कों, बगीचे, नाले-पुलिया और रिटेनिंग वॉल जैसे काम अटक गए है। नगर निगमों ने शासन से मांग की है कि उन्हें अतिरिक्त बजट की राशि मुहैया कराई जाए। कोविड के चलते शासन ज्यादा राशि नहीं दे रहा है।

इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर की चारों प्रमुख नगर निगम इन दिनों आर्थिक संकट में है। इन निकायों को शासन से विकास के लिए ज्यादा राशि चाहिए, लेकिन आवंटन अटका हुआ है। ठेकेदारों के इंदौर में 312 करोड़, भोपाल में लगभग 200 करोड़, जबलपुर में 90 और ग्वालियर में तकरीबन 60 करोड़ के भुगतान अटके हैं। नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव ने बताया कि नगरीय निकायों को अपने संसाधनों से राशि का इंतजाम करना चाहिए। नगर निगमों को जो बजट निर्धारित है, वो मिलेगा। यदि कोई राशि लंबित है, तो वह भी मिलेगी।

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भोपाल: पांच स्मार्ट पार्क अटके, भारत माता मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो पाया

  • नगर निगम 20 करोड़ की लागत से भारत माता मंदिर निर्माण की घोषणा कर चुका है। प्रशासन से एयरपोर्ट रोड स्थित मनुआभान टेकरी पर 12.62 एकड़ जमीन मिल गई है। करीब 3 साल से अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है, जबकि ये निगम का मुख्य प्रोजेक्ट है।
  • निगम के 5 स्मार्ट पार्क अटक गए है। एमपी नगर, खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक अस्पताल, बैरागढ़ रोड, कोलार एरिया में ये पार्क प्रस्तावित है। इनके टेंडर भी हो चुके थे, लेकिन ठेकेदारों ने पुराने भुगतान नहीं होने की वजह से रुचि नहीं दिखाई।
  • बीआरटीएस किनारे सड़क का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है। इसका टेंडर 7 करोड़ में हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने काम ही नहीं किया।
  • छोटी और गली-मोहल्ले की सड़कें सारी अटकी पड़ी है। केंद्र की फंडिंग वाले बड़े प्रोजेक्ट पर काम जारी है।

इंदौर: राजबाड़ा और गोपाल मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए नहीं मिले 15 करोड़

  • विश्राम बाग का 15 करोड़ से ज्यादा का प्रोजेक्ट काम शुरू होने के बाद अटक गया है।
  • दशहरा मैदान पर 10 करोड़ के प्रोजेक्ट की बाउंड्रीवाल बन गई है, लेकिन अंदर कोई काम नहीं हो पाया है।
  • राजबाड़ा और गोपाल मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए स्मार्ट सिटी-निगम फंड से 15 करोड़ नहीं मिल पाए है।
  • नेहरू स्टेडियम के कायाकल्प में 10 करोड़ चाहिए। एक हिस्से का काम होने के बाद रफ्तार धीमी है।
  • राजबाड़ा के आसपास 30 करोड़ की सड़कें मंजूरी के बाद राशि के अभाव में अटकी हुई है।
  • अमृत योजना में 6 बड़े पुल और 20 से ज्यादा पुलिया का काम लंबित है। पानी लाइन रुक गई है।
  • स्वच्छ भारत मिशन और एमजी रोड के काम जारी है। कई ठेकेदार पैसा नहीं मिलने से काम नहीं कर रहे।
  • इंदौर में ही 40 से ज्यादा ठेकेदार ऐसे है, जिन्हें 5 से 15 करोड़ तक लेना है।

जबलपुर: 600 करोड़ के प्रोजेक्ट, 40% काम

  • सीवरेज लाइन के 600 करोड़ के प्रोजेक्ट में केवल 40 प्रतिशत काम हो पाया है।
  • सड़कों के पेंचवर्क और नई निर्माणाधीन सड़कों के लिए 50 करोड़ चाहिए।
  • पीएम आवास योजना में 1100 मकान अधूरे है। फिनिशिंग के लिए 100 करोड़ चाहिए।

ग्वालियर: 73 सड़कें खराब, 94 करोड़ मांगे
शहर की 73 सड़कें ऐसी चिह्नित की गई है, जो बरसात के बाद से क्षतिग्रस्त है। इनमें कुछ सड़कों का निर्माण और बाकी पेंचवर्क होना है। इन कामों के लिए 94 करोड़ शासन से मांगे गए हैं।

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