300 यूनिट फ्री बिजली के लिए चाहिए 21 हजार करोड़ …..
बिजली विभाग 90 हजार करोड़ से ज्यादा के घाटे में, फ्री बिजली का पैसा कहां है?….
यूपी के कई राजनीतिक दल 2022 में सरकार बनने के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा कर रहे हैं। इन दलों में समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और लोकदल शामिल हैं। इन दलों के बड़े नेता अपने हर बयान में इस बात का जिक्र कर रहे हैं।
बड़ा सवाल यह है कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा? यूपी में करीब 3 करोड़ उपभोक्ता हैं। इसमें घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 2 करोड़ 70 लाख है। इसमें 2 करोड़ 40 लाख लोग 300 यूनिट फ्री बिजली पाने के दायरे में आते हैं।
फ्री बिजली देने के लिए हर महीने चाहिए 1750 करोड़ रुपए
घरेलू उपभोक्ताओं को फ्री बिजली देने के लिए हर महीने 1750 करोड़ रुपए की व्यवस्था करनी होगी। पूरे साल में यह 21 हजार करोड़ रुपए पहुंच रहा है। अब इतनी बड़ी राशि माफ करना पावर कॉर्पोरेशन और आने वाली सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। बिजली विभाग पहले से ही 90 हजार करोड़ से ज्यादा के घाटे में है। ऐसे में 21 हजार करोड़ रुपए का रेवेन्यू माफ करना आसान नहीं होगा। जानकारों का कहना है कि जो भी पार्टी आएगी, उसको सब्सिडी पैकेज देना होगा। ऐसा नहीं करने पर विभाग की स्थिति खराब हो जाएगी।
11 हजार करोड़ की सब्सिडी पहले से मिल रही
अभी उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली, इंडस्ट्री चलाने और तय सीमा के अनुसार बिजली सप्लाई के लिए सरकार करीब 11 हजार करोड़ की सब्सिडी देती है। ऐसे में अगर 21 हजार करोड़ रुपए और जोड़ दिए जाए तो यह सब्सिडी करीब 32 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। राजनीतिक दल सिंचाई के लिए किसानों को फ्री बिजली देने की बात कर रहे हैं। वह पैसा भी 2000 करोड़ रुपए तक जाएगा। ऐसे में रकम 34 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। किसी भी सरकार के लिए इतने पैसे की व्यवस्था करना आसान नहीं होगा।
व्यवस्था सुधार कर 6 हजार करोड़ रुपए बचा सकते हैं
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि सरकार लाइन लॉस, कॉस्ट कटिंग, सस्ती बिजली पैदा कर कुछ पैसे बचा सकती है। हालांकि यह अमाउंट भी 6000 करोड़ से ज्यादा नहीं होगा। उनका कहना है कि इसको लागू करने के लिए भी काफी कड़े और पारदर्शी कदम उठाने होंगे।
अभी पावर कॉर्पोरेशन काफी महंगी बिजली खरीद रहा है। अगर उसको कम कर दिया जाए, तो 2000 करोड़ रुपए बच जाएंगे। लाइन लॉस को कम कर दिया जाए, तो 2000 करोड़ बचेंगे। एक फीसदी लाइन लॉस कम करने से 450 करोड़ रुपए की बचत होती है। मेंटेनेंस के खर्चों में कमी से 1,000 करोड़ रुपए और लोन दर कम होने से 1000 करोड़ रुपए बच सकते हैं। यह कुल बचत अधिकतम 6 हजार करोड़ रुपए है।
सस्ती बिजली का देना ज्यादा आसान
अवधेश वर्मा कहते हैं कि माफी की तुलना में सस्ती बिजली देना ज्यादा सरल है। उन्होंने बताया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का करीब 20,800 करोड़ रुपए निकल रहा है। इस पैसे को जोड़ दिया जाए, तो एक बार में 34 फीसदी तक बिजली सस्ती हो सकती है। उपभोक्ताओं को इसका अगर लाभ देना है, तो 5 साल तक छह फीसदी से ज्यादा बिजली दर कम की जाए। उन्होंने बताया कि कई राजनीतिक दल उनसे संपर्क कर रहे हैं। जल्द ही उनके बीच में इसको रखा जाएगा।
घरेलू शहरी उपभोक्ताओं की बिजली दर
यूनिट रेंज | चार्ज प्रति यूनिट रुपए में |
0-150 | 5.50 |
151-300 | 6.00 |
301-500 | 6.50 |
500 से अधिक | 7.00 |
ग्रामीण इलाकों में बिजली दर
यूनिट रेंज | चार्ज प्रति यूनिट रुपए में |
0-100 | 3.35 |
101-150 | 3.85 |
151-300 | 5.00 |
500 से अधिक | 6.00 |