बचपन को शिकार बना रहा मोटापा, 2030 तक मोटापाग्रस्त बच्चों की संख्या 40 करोड़
कोरोना महामारी की वजह से घर बैठे-बैठे बच्चे मोटापे का शिकार हो गए हैं। चाइल्ड-हुड ओबिसिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 से 19 साल के आयु वर्ग में चीन के 6.19 करोड़ और भारत के 2.75 करोड़ बच्चे इसकी जद में हैं। वहीं, एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलेबोरेशन के अनुसार पिछले 10 साल के ट्रेंड पर नजर डालें, तो ज्यादा वजनी बच्चों का हिस्सा बढ़ा है। 2030 तक मोटापा ग्रस्त बच्चों की संख्या 40 करोड़ पहुंच जाएगी। ऐसे में बच्चों में बढ़ते मोटापे को क्रंट्रोल करना बेहद जरूरी है।
कम उम्र के बच्चों में बढ़ा मोटापा
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) की रिपोर्ट के अनुसार 5 साल की उम्र तक के बच्चों में मोटापा बढ़ा है। NFHS-4 में 2.1% के मुकाबले मोटापे से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़कर NFHS-5 में 3.4% हो गई है। इस बदलाव को अलार्मिंग स्टेज भी समझा जा सकता है। मोटापा बढ़ने के लिए शारीरिक गतिविधियां कम होना और जंक फूड को जिम्मेदार बताया है।
दूसरे राज्यों से राजस्थान बेहतर
NFHS-5 के अनुसार महाराष्ट्र, गुजरात, मिजोरम, त्रिपुरा, लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में मोटापे की समस्या विकराल होती जा रही है। सिर्फ गोवा, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव में मोटापे के शिकार 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या कम हुई है।
लद्दाख में सबसे ज्यादा करीब 13.4% बच्चे मोटापे का शिकार पाए गए। लक्षद्वीप में 10.5%, मिजोरम में 10% तथा जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में 9.6 % बच्चों में मोटापा देखा गया।
एफटीओ जीन डाल रहा बच्चों के खान-पान पर असर
बता दें कि देश में करीब 1.44 करोड़ बच्चे अधिक वजन वाले हैं। मोटापा कई हेल्थ प्रॉब्लम्स की मुख्य वजह है। दुनियाभर में करीब 2 अरब बच्चे और वयस्क मोटापे से ग्रस्त हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया के वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक, एफटीओ जीन बच्चों के खान-पान को काफी प्रभावित करता है। इसी जीन के कारण वे ज्यादा कैलोरी लेने लगते हैं। ऐसे में आगे चलकर उनके वजन बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है।
अंडरवेट से ओवरवेट कैटेगरी में जा रहे बच्चे
नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में एडिशनल डायरेक्टर व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष सिन्हा बताते हैं कि बच्चे अंडरवेट से ओवरवेट कैटेगरी में जा रहे हैं। कोरोना काल में बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी कम होने की वजह से वे घंटों मोबाइल गेम व वीडियो गेम खेलते रहते हैं। साथ ही कुछ न कुछ खाते रहना भी बच्चों में वजन बढ़ने की बड़ी वजह है।
उनमें कम उम्र से ही जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, कब्ज सहित कई समस्याएं बढ़ रहीं हैं। बचपन में मोटापे का शिकार होने पर बच्चों का कद बढ़ना रुक जाता है। साथ ही चलने-फिरने की समस्या देखने को मिलती है। उनकी बॉडी के कई पार्ट्स सही से डेवलप नहीं हो पाते।
छोटी उम्र में ही कोलेस्ट्रॉल का खतरा
डॉ. आशुतोष सिन्हा बताते हैं कि बच्चों के शरीर में खराब कॉलेस्ट्रॉल के एकत्रित होने की मुख्य वजह भी खराब खानपान और मोटापा ही है। डाइट में ज्यादा सैचुरेटेड और ट्रांस फैट के चलते लिवर ज्यादा मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का बनाने लगता है।
चिप्स, पेस्ट्रीज, बिस्कुट, फास्ट फूड जैसे पिज्जा, बर्गर में काफी अधिक मात्रा में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट खाने से बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है। इसलिए पेरेंट्स को अपने बच्चों को फास्ट फूड से दूर रखना बेहद जरूरी है।
अगर पेरेंट्स मुस्कुराते हुए सब्जियां खाएंगे तो बच्चे दोगुनी खाने लगेंगे
डॉ. आशुतोष बताते हैं कि बच्चों में शुरुआत से ही हेल्दी खाने की आदतों को डालें। अगर बच्चे ज्यादा जिद करें, तो महीने में सिर्फ एकाध बार हेल्दी फास्ट फूड जैसे आटे का पिज्जा, ढेर सारी वेजिटेबल डालकर नूडल्स, पास्ता, मैक्रोनी या बर्गर बनाकर खिला सकती हैं, लेकिन संतुलित मात्रा में ही दें।
बच्चों को जितना ज्यादा हो सके फल दें। उनके दिन की शुरुआत अंडे के साथ कर सकती हैं इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। ध्यान रखें कि बच्चों को बिना दबाव डाले अच्छा भोजन खाने के लिए प्रेरित करें। अगर आप खुद भी उनके सामने मुस्कराते हुए सब्जियां खाएंगे तो वे दुगुनी खाने लगेंगे।
बॉडी मास इंडेक्स कंट्रोल करने के लिए माउंटेन क्लाइम्बिंग, वॉक, डांस और योग भी बच्चों के साथ कर सकती हैं। पेरेंट्स को बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
ऐसे करें बच्चों की देखभाल
- डाइट में कम फैट लें।
- बच्चों को रोजाना कम से कम 1 घंटा खेलने दें।
- पैक्ड फूड खरीदते वक्त सैचुरेटेड फैट की मात्रा पर ध्यान दें।
- बच्चों के लिए सेब,अंगूर और खट्टे फलों का सेवन फायदेमंद।