US संसद में हिंसा का एक साल …. डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द की; बगावत के इस मामले में कोई फैसला होना आसान नहीं

अमेरिका में पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव हुआ। जो बाइडेन जीते और डोनाल्ड ट्रम्प हारे। संसद के दोनों सदनों, यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट ने बाइडेन की जीत पर मुहर भी लगा दी। सब कुछ साफ था, लेकिन ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं थे। उनके मुताबिक, चुनाव में धोखाधड़ी हुई। 20 जनवरी 2021 को बाइडेन का शपथ ग्रहण समारोह था। इसके 14 दिन पहले, यानी 6 जनवरी को ट्रम्प के समर्थकों ने एक तरह से देश और लोकतंत्र के खिलाफ हिंसक बगावत की। संसद पर हमला हुआ। 5 लोग मारे गए। 206 साल बाद इस तरह की हिंसा हुई थी और इसे अमेरिकी लोकतंत्र पर हमला कहा गया।

अब तक क्या कार्रवाई हुई
कुछ खास नहीं। या कहें ठोस कार्रवाई होने के बजाय लीपापोती ज्यादा नजर आई। कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वो जेल में हैं। केस चल रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा जिम्मेदार तो खुद ट्रम्प थे। उन पर दूसरी बार महाभियोग लगा, लेकिन वे संसद के सामने पेश होने से बचते रहे। बुधवार को सफाई पेश करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे, इसे भी रद्द कर दिया। ट्रम्प ने एक बयान में कहा- इस मामले की जांच के लिए जो कमेटी बनाई गई है वो पक्षपाती और बेईमान है। इसमें डेमोक्रेट्स के अलावा दो नाकाम रिपब्लिकन्स और फेक न्यूज चलाने वाले मीडिया के लोग हैं।

ट्रम्प और उनके परिवार पर आरोप है कि वो संसद में हुई हिंसा को टीवी पर देखते रहे थे।
ट्रम्प और उनके परिवार पर आरोप है कि वो संसद में हुई हिंसा को टीवी पर देखते रहे थे।

ट्रम्प का भड़काउ भाषण
6 जनवरी को हुई हिंसा के पहले ट्रम्प ने अपने हजारों समर्थकों को संबोधित किया था और इलेक्शन को फ्रॉड बताया था। इसके बाद उनके समर्थकों ने संसद पर हमला बोल दिया था। सांसद और वाइस प्रेसिडेंट माइक पेन्स को बमुश्किल बचाया गया था। संसद की कमेटी ने पिछले महीने व्हाइट हाउस के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मेडोस को पेशी के लिए बुलाया था। उन्होंने 9 हजार पेज के दस्तावेज सौंपे।

6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल पर ट्रम्प समर्थकों ने हमला बोल दिया था।
6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल पर ट्रम्प समर्थकों ने हमला बोल दिया था।

फैसला होना क्यों मुश्किल
माना जा रहा है कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में अगले साल जनवरी तक फिर रिपब्लिकन्स, यानी ट्रम्प की पार्टी का बहुमत हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो वो संख्या के दम पर जांच कर रही कमेटी को भंग कर सकते हैं। इससे भी अहम बात न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक- अमेरिका की सबसे बड़ी खुफिया जांच एजेंसी FBI को जांच के दौरान इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि यह हिंसा प्लान्ड थी या इसके पहले सुनियोजित साजिश और बगावत जैसी कोई बात थी।

हिंसा के दौरान सीनेट के अंदर आग और धुंआ भी नजर आया था।
हिंसा के दौरान सीनेट के अंदर आग और धुंआ भी नजर आया था।

तो आगे क्या होगा
डेमोक्रेट्स के बहुमत वाली संसदीय कमेटी जांच कर रही है, लेकिन मामला गवाही और पेशी से ज्यादा नहीं बढ़ा। अगर FBI के पास साजिश के सबूत नहीं हैं तो फिर सजा किस आधार पर दी जाएगी। ये बड़ा सवाल है। सीनेट में भी महाभियोग का मामला 57 के मुकाबले 43 वोट से खारिज हो चुका है। रिपब्लिकन्स समर्थक भी घायल हुए और मारे गए। लिहाजा, देश के लोगों की संवेदनाएं भी उनके साथ होंगी। बहरहाल, अंतिम नतीजा तो वक्त ही बताएगा और तब तक ट्रम्प अगले चुनाव की तैयारी में जुटे रहेंगे। इसके लिए वो इरादे भी जाहिर कर चुके हैं।

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