विश्व में वायु प्रदूषण का कहर …. 2019 में एयर पॉल्यूशन से हुईं 18 लाख ज्यादा मौतें, 20 लाख बच्चे भी हुए अस्थमा के शिकार

द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुई एक नई रिसर्च के अनुसार, दुनिया भर के शहरों में रह रहे करीब 250 करोड़ लोग वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। यही कारण है कि साल 2019 में इन शहरों में 18 लाख ज्यादा मौतें हुई थीं। लैंसेट की ही एक दूसरी स्टडी में वैज्ञानिकों ने माना है कि 2019 में वायु प्रदूषण से 20 लाख से ज्यादा बच्चे अस्थमा की बीमारी के शिकार भी हुए। विश्व की 55% से ज्यादा आबादी शहरों में रहती है, जहां वायु प्रदूषण एक आम समस्या है।

वायु प्रदूषण से दिल और सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा होता है।

PM2.5 के कारण हुईं 2019 में 18 लाख ज्यादा मौतें

पहली रिसर्च में ये कहा गया है कि PM2.5 दुनिया में बढ़ती मौतों का कारण है। ये वायु में मौजूद ऐसे कण होते हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। जब ये कण हमारे शरीर के अंदर जाते हैं, तब हमें दिल और सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा होता है। इससे समय से पहले ही मौत भी हो सकती है।

इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने दुनिया के 13,000 शहरों में साल 2000 से 2019 तक PM2.5 की बढ़ती मात्रा का आंकलन किया। इसमें सबसे ज्यादा बढ़त दक्षिण पूर्वी एशिया में पाई गई। यहां वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों की दर 33% से 84% तक बढ़ गई।

रिसर्च के मुताबिक, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा बच्चों में अस्थमा की बीमारी को बढ़ा रही है।
रिसर्च के मुताबिक, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा बच्चों में अस्थमा की बीमारी को बढ़ा रही है।

बच्चों में बढ़ रही अस्थमा की बीमारी

लैंसेट जर्नल की दूसरी रिसर्च कहती है कि हवा में बढ़ती नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) की मात्रा बच्चों में अस्थमा की बीमारी को बढ़ा रही है। NO2 एक वायु प्रदूषक है जो वाहनों, पावर प्लांट्स, इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग और एग्रीकल्चर से निकलता है।

रिसर्च के मुताबिक, साल 2000 से 2019 तक दुनिया के 13,189 शहरी क्षेत्रों में चाइल्ड अस्थमा में इजाफा देखने को मिला। बच्चों में अस्थमा के करीब 20 लाख मामले NO2 की देन हैं। साथ ही, हर साल इनमें 8.5% नए केस जुड़ जाते हैं।

हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च की कुछ सीमाएं भी हैं। इसमें लो और मिडिल इन्कम देशों के मामलों को शायद कम आंका गया है।

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