UP Election 2022: पश्चिमी यूपी का सियासी गणित, जहां पहले चरण का होना है चुनाव
यूपी में 10 फरवरी को पहले चरण का चुनाव होना है। इस चरण में पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों मतदान होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी यूपी के 14 जिलों की 71 विधानसभा सीटों में से 52 सीटों पर कामयाबी मिली थी। लेकिन 2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में सियासी समीकरण काफी बदल चुके हैं।
UP Election 2022: पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 58 सीटों से यूपी विधानसभा का सियासी रण शुरू हो जाएगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी यूपी के 14 जिलों की 71 विधानसभा सीटों में से 52 सीटों पर कामयाबी मिली थी। लेकिन तब किसान आंदोलन का मुद्दा नहीं था, मुद्दा था कैराना से हिंदुओं के पलायन का। बीजेपी ने इस मुद्दे को बखूबी भुनाया और पश्चिम में सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। लेकिन 2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में सियासी समीकरण काफी बदल चुके हैं। जिस मुजफ्फरनगर आंदोलन ने यहां के जाट और मुसलमानों के बीच खाई चौड़ी कर दी थी किसान आंदोलन ने उस खाई को पाटने का काम किया है। यही वजह है कि अखिलेश यादव, रालोद के साथ गठबंधन को लेकर बेहद उतावले थे। उन्हें इसी जाट और मुसलमान के सियासी समीकरण पर भरोसा है।
बीजेपी फिर जीवित करना चाहती थी कैराना का मुद्दा
इसमें कोई शक नहीं कि सपा-रालोद गठबंधन ने इस इलाके में सपा की स्थिति मजबूत कर दी है। इसी बात की चिंता बीजेपी के रणनीतिकारों को सता रही है। यही वजह है कि पिछले साल नवंबर में सीएम योगी कैराना पहुंचे और उन परिवारों से मुलाकात की जो दंगों के बाद कैराना से पलायन कर गये थे। इन्हें दोबारा वापस बुलाकर बसाया गया था। इसके ज़रिये बीजेपी ने एक बार फिर पश्चिम में हिन्दुत्व का दाँव चलने की कोशिश की थी। मगर सचाई यह है कि कैराना का मुद्दा जितना भुनाना था उतना बीजेपी ने भुना लिया है और अब उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।
इसमें कोई शक नहीं कि सपा-रालोद गठबंधन ने इस इलाके में सपा की स्थिति मजबूत कर दी है। इसी बात की चिंता बीजेपी के रणनीतिकारों को सता रही है। यही वजह है कि पिछले साल नवंबर में सीएम योगी कैराना पहुंचे और उन परिवारों से मुलाकात की जो दंगों के बाद कैराना से पलायन कर गये थे। इन्हें दोबारा वापस बुलाकर बसाया गया था। इसके ज़रिये बीजेपी ने एक बार फिर पश्चिम में हिन्दुत्व का दाँव चलने की कोशिश की थी। मगर सचाई यह है कि कैराना का मुद्दा जितना भुनाना था उतना बीजेपी ने भुना लिया है और अब उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।
जाति और धर्म पर भारी किसान
दरअसल पश्चिमी यूपी की 70 फीसदी आबादी खेती और किसानी से जुड़ी है। यहां बड़े काश्तकार और किसान हैं। किसान आंदोलन के चलते बीजेपी से नाराजगी का फायदा बाकी दल लेना चाह रहे हैं।
दरअसल पश्चिमी यूपी की 70 फीसदी आबादी खेती और किसानी से जुड़ी है। यहां बड़े काश्तकार और किसान हैं। किसान आंदोलन के चलते बीजेपी से नाराजगी का फायदा बाकी दल लेना चाह रहे हैं।
जातीय और धार्मिक समीकरण
- मुसलमान – 32 फ़ीसदी
- दलित – 18 फ़ीसदी
- जाट – 12 फ़ीसदी
पहली लिस्ट में किसने किसको दिया टिकट
बसपा
- मुस्लिम – 14
- दलित – 9
सपा-रालोद गठबंधन
- मुस्लिम – 10
- जाट – 5
- दलित – 6
बीजेपी
- जाट – 17
- गुर्जर – 7
- दलित – 19
- मुस्लिम – कोई नहीं