निगम-मंडल अध्यक्षों ने मांगे आवास, लेकिन ग्वालियर के नेता पहले से ही सरकारी बंगलों पर हैं काबिज

मध्यप्रदेश सरकार के निगम-मंडलों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सरकारी बंगला आवंटित करने की मांग कर रहे हैं।

ग्वालियर,। मध्यप्रदेश सरकार के निगम-मंडलों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सरकारी बंगला आवंटित करने की मांग कर रहे हैं। इनमें ग्वालियर के नेता भी शामिल हैं। इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है, लेकिन लोक निर्माण विभाग के नियमों के मुताबिक दर्जा प्राप्त मंत्रियों को बंगले की पात्रता नहीं है। ग्वालियर में लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष इमरती देवी और बीज निगम अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल पहले से ही बिना पात्रता सरकारी बंगलों पर कब्जा किए बैठे हैं। इमरती देवी पर बाजार दर से 10 माह का किराया अभी बाकी है, जबकि मुन्नालाल गोयल पर 25 माह का।

इमरती देवी और मुन्नालाल गोयल इन बंगलों का उपयोग कांग्रेस सरकार के समय ही कर रहे हैं। इमरती देवी को कमल नाथ सरकार में महिला बाल विकास विभाग मिलने के बाद 22 जनवरी 2019 को बंगला अलाट हुआ था। तब से अब तक वे इसी बंगले का उपयोग कर रही हैं। वे विधानसभा उपचुनाव 2020 में डबरा सीट से हार गईं। नियम के मुताबिक उन्हें तुरंत बंगला खाली कर देना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने बाजार दर के हिसाब से 18 हजार रुपये प्रतिमाह किराया जमा करना शुरू कर दिया। यह किराया भी मार्च 2021 तक ही जमा किया गया है। अब उन पर 1.80 लाख रुपये बकाया है। मुन्नालाल गोयल ने कांग्रेस सरकार में विधायक बनने के बाद बंगले की मांग की थी, लेकिन विधायकों को गृह क्षेत्र में बंगला न मिलने के नियम के चलते उनका आवेदन पेंडिंग रहा। उन्होंने काल्पी ब्रिज रोड स्थित बंगला नंबर डी-2 में 15 जुलाई 2019 से अपना आफिस शुरू कर दिया। सितंबर 2020 में विधानसभा उपचुनाव के समय बंगले पर कब्जे का मामला उठने पर उन्होंने किराया जमा कराकर पीडब्ल्यूडी से एनओसी प्राप्त कर ली। उपचुनाव में वे हार गए, लेकिन सामान निकालने के बहाने उन्होंने बंगले की चाबी ले ली। उन पर दिसंबर 2020 से लेकर अभी तक 25 महीने का 4.50 लाख रुपये किराया बाकी है।

ये कहता है पीडब्ल्यूडी मैनुअलः पीडब्ल्यूडी के नियम के मुताबिक किसी भी राजनेता को मंत्री पद मिलने पर शासन के आदेश के आधार पर बंगला आवंटित होता है। यदि उक्त नेता मंत्री पद पर नहीं रहते हैं, तो उन्हें तुरंत ही बंगला खाली कर देना चाहिए। ऐसा न करने की स्थिति में पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्धारित किराए की 10 गुना राशि जमा करनी होती है, लेकिन बंगला फिर भी कब्जे में ही माना जाता है। सरकारी कर्मचारियों और अफसरों को ट्रांसफर या रिटायर होने की स्थिति में तीन महीने का समय आवास खाली करने के लिए दिया जाता है। इसके बाद उनसे बाजार दर से किराया वसूल किया जाता है।

मुन्नालाल ने मांगा बंगला नंबर डी-22, इमरती ने लगवाई नेम प्लेटः बीज निगम अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल ने पत्र लिखकर मुरार सर्किट हाउस के सामने स्थित बंगला नंबर डी-22 का आवंटन करने की मांग की है। दूसरी तरफ इमरती देवी ने अपने बंगले पर बाकायदा नेम प्लेट लगवा ली है। इसमें लघु उद्योग निगम अध्यक्ष पद का भी उल्लेख किया गया है।

हाथ नहीं डालना चाहते अफसरः इन दोनों ही नेताओं द्वारा बिना पात्रता बंगला इस्तेमाल करने की जानकारी अफसरों को है, लेकिन वे इस मामले में हाथ नहीं डालना चाहते। दरअसल, उपचुनाव में हार के बाद दो दिसंबर 2020 को पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री ओमहरि शर्मा ने इमरती देवी को नोटिस जारी कर बंगला खाली करने के लिए कहा था। इमरती देवी ने इस मामले की शिकायत सरकार और संगठन स्तर पर की। नतीजतन अगले ही दिन ओमहरि शर्मा का ट्रांसफर हो गया। अब वही ओमहरि शर्मा 13 महीने बाद ग्वालियर में कार्यपालन यंत्री के पद पर ही आए हैं।

ये नेता बंगलाें पर काबिजः सरकारी बंगलों में अवैध रूप से काबिज रहने के मामले में पूर्व सांसद और विभिन्न अफसर भी पीछे नहीं हैं। पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रभात झा का कार्यकाल अप्रैल 2020 में ही समाप्त हो चुका है, लेकिन उन्होंने रेसकोर्स रोड स्थित बंगला नंबर 28-ए हैंडओवर नहीं किया है। इसी प्रकार ग्वालियर में एडिशनल एसपी रहे संतोष सिंह गौर दो साल से बंगला नंबर डी-22 में अवैध रूप से रह रहे हैं। अपर कलेक्टर टीएन सिंह का तबादला श्योपुर हुए भी समय हो चुका है, लेकिन उन्होंने गांधी रोड स्थित बंगला 12-ई खाली नहीं किया है। वहीं रिंकेश वैश्य भी बंगला नंबर 45 झांसी रोड पर काबिज हैं।

वर्जन-

मैंने एक दिन पहले ही पद संभाला है। इन दोनों नेताओं द्वारा पहले से ही सरकारी बंगला इस्तेमाल करने की जानकारी मुझे नहीं है। जहां तक इन्हें बंगला आवंटित करने की बात है, तो इस मामले में शासन स्तर से ही कार्रवाई होगी।

ओमहरि शर्मा, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी

वर्जन-

मैंने अभी भोपाल में बंगले के लिए आवेदन किया है। काल्पी ब्रिज स्थित बंगले के लिए मैंने विधायक बनने पर ही आवेदन किया था। उसके बाद ही मैं इसका उपयोग कर रहा हूं। विधानसभा उपचुनाव के समय मैंने पूरा किराया जमा किया था। अगर मुझे शासन से नया आवास मिलता है, तो मैं एक ही बंगला रखूंगा।

मुन्नालाल गोयल, अध्यक्ष मप्र बीज विकास निगम

नाेटः नई दुनिया रिपोर्टर ने इस मामले में पक्ष जानने के लिए मप्र लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष इमरती देवी को कई बार काल किए, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। उन्हें मैसेज भी किए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *