प्रधानमंत्री मोदी का नया माइक्रो मैनेजमेंट देश की हर गली मोहल्ले में बीजेपी समर्थकों की फौज तैयार करेगा

बीजेपी के लिए बूथ लेवल की माइक्रो मैनेजमेंट कोई नई बात नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हरियाणा बीजेपी के प्रभारी होते थे, उस समय ही उन्होंने बूथ लेवल के सूक्ष्म मैनेजमेंट का फार्मूला दिया था. शायद उन्हीं के फार्मूले का असर रहा कि न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे देश में जहां बीजेपी का नामोनिशान नहीं था, वहां भी कमल खिल रहा है.

बीजेपी (BJP) को शुरू से ही कैडर वाली पार्टी के रूप में आम लोगों के बीच मान्यता मिली हुई है. अपने इस नाम को पार्टी 10 साल शासन में रहने के बाद भी केवल बचाए हुए ही नहीं है, बल्कि उसे और माइक्रो लेवल पर पहुंचा रही है. आम तौर पर देखा जाता रहा है कि पार्टियां सरकार में आने के बाद अपनी सांगठनिक विशेषता खो देती हैं, पर बीजेपी ने ऐसा नहीं होने दिया है. कभी कांग्रेस पार्टी (Congress Party) भी अपनी सांगठनिक क्षमता के बल पर ही अंग्रेजी सरकार से लोहा लेती रही थी, पर सत्ता सुख मिलने के बाद दिन प्रति दिन उसका संगठन कमजोर होता गया. परिणाम स्वरूप पार्टी पर कुछ खास घरानों का एकाधिकार होता गया.

बीजेपी को भी लगातार 10 वर्षों से मिल रहा सत्ता सुख उसके संगठन को कमजोर कर सकता है, शायद इसका भान पार्टी नेताओं को है. यही कारण है कि पार्टी को बूथ लेवल पर मजबूत करने की लगातार कोशिश होती रहती है. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बनारस के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए माइक्रो लेवल का जो मैनेजमेंट प्रस्तुत किया है, निसंदेह यह मील का पत्थर साबित होने वाला है.

1-माइक्रो डोनेशन कार्यक्रम से पता चलेगा कि कहां जमीन है मजबूत और कहां कमजोर

मंगलवार को पीएम ने पार्टी में चल रहे बूथ लेवल के माइक्रो मैनेजमेंट को और गहराइयों तक ले जाने का काम किया है. पीएम ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा-


”हमें हर बूथ के अंदर एक कंपटीशन कराना चाहिए और यह कंपटीशन 30 जनवरी के अंदर-अंदर कर लेना चाहिए. हमें मालूम है कि नमो ऐप पर भारतीय जनता पार्टी का एक माइक्रो डोनेशन यानि सूक्ष्म दान का अभियान चल रहा है. इस अभियान के तहत आप 5 रुपए भी पार्टी को दान दे सकते हैं. यह अपने आप में एक संस्कार भी है और संगठन की शक्ति भी है. क्या हम पोलिंग बूथों के बीच में इस तरह की एक स्पर्धा आयोजित कर सकते हैं, कि कौन पोलिंग बूथ ज्यादा से ज्यादा लोगों से माइक्रो डोनेशन करवा सकता है.”


उन्होंने कहा कि माइक्रो डोनेशन में 5 रुपए, 10 रुपए बहुत हैं, कुछ ज्यादा हमें पैसे नहीं इकट्ठा करना है. इसका मकसद सिर्फ यह है कि हम लोगों को इस माध्यम से ज्यादा से ज्यादा मात्रा में जोड़ सकें. मुझे पूरी उम्मीद है कि आप लोग हर पोलिंग बूथ के अंदर 5 रुपए, 10 रुपए का डोनेशन ज्यादा से ज्यादा लोगों से करवाएंगे.

जाहिर है कि पीएम के इस आह्वान का बड़ा व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है. धन तो प्रतीक के रूप में ही है. पर उस धन के साथ जुड़ने वाला शख्स पार्टी का सही मायने में सिपाही बन जाएगा. दूसरी बात यह है कि हर शख्स को नमो ऐप के माध्यम से जोड़ना है, इसलिए कोई कार्यकर्ता फर्जी लोगों के नाम पर अपने पॉकेट से पैसे नहीं भर सकता है. हर ऐप से केवल एक ही आदमी का डोनेशन जाएगा. इससे ऐप भी डाउनलोड होगा. जिससे आए दिन कम्युनिकेशन भी आसान होगा. पार्टी और सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी को प्रचारित और प्रसारित करना भी आसान होगा. जब बूथ लेवल आपसी कंपटीशन से सदस्यता बढ़ेगी उसके बाद ब्लॉक लेवल और फिर प्रांत लेवल पर पार्टी कहां मजबूत है और कहां कमजोर है उसकी जानकारी भी आसानी से मिल सकेगी.

2-कमल पुष्प से स्थानीय राजनीतिक परिवार फिर से बीजेपी को अपना सकेंगे

पीएम ने इसी दौरान कहा कि एक और विषय है जो मेरे दिल के बेहद करीब है. नमो ऐप में एक कमल पुष्प की व्यवस्था है. देखिए आज हम लोग जहां तक पहुंचे हैं उसके पीछे हमारे जनसंघ के जमाने की तीन-तीन चार-चार पीढ़ियां खप गई हैं. राजनीति में उन्होंने कुछ प्राप्त नहीं किया, फिर भी वह लगे रहे. देश के लिए लगे रहे. उस कमल पुष्प में ऐसे तमाम पुराने लोगों को याद करके उनकी फोटो, उनके बारे में, उन्होंने जनसंघ के समय में क्या काम किया था, बीजेपी के समय क्या काम किया था, आपातकाल में कितना सहन किया था, बीजेपी को आगे बढ़ाने के लिए कितना कष्ट उठाया. यह सारी बातें उस कमल पुष्प में हमें रखनी चाहिए. मैं चाहूंगा कि हमारे काशी क्षेत्र का जनसंघ के जमाने का एक भी व्यक्ति ऐसा ना हो जिस तक हमारी बात न‌ पहुंचे.

देश के हर हिस्से में लाखों ऐसे परिवार हैं जो जनसंघ के दिनों में या इमरजेंसी के समय में सक्रिय रहे हैं. उनके बाद की पीढ़ियां हो सकती हैं कि आज बीजेपी के साथ न हों या हों भी तो डावांडोल की पोजिशन में हों. अगर ऐसे सभी लोगों के पूर्वजों का यशगान नमो ऐप में होता है और उनकी फोटो लगती है तो निश्चित रूप से ऐसे परिवारों की केवल वर्तमान पीढ़ियां ही नहीं बल्कि आने वाली पीढियां भी खुद को बीजेपी से अपने को जुड़ा महसूस करेंगी. ये चीज उनमें देश और पार्टी के लिए गौरव का अहसास कराएगी जो चुनावों में वोट के रूप में काम आएगी.

3-अमृत महोत्सव भारी भागीदारी से कांग्रेस की बची-खुची जमीन को खत्म करने की तैयारी

पीएम ने कार्यकर्ताओं से देश की आजादी का अमृत महोत्सव खूभ धूमधाम से मनाने का आह्वान किया. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा-

 

उन्होंने कहा कि साथियों हम राजनीति में हैं, चुनाव राजनीतिक दल की कसौटी होता है. राजनीतिक कार्यकर्ताओं के विकास के लिए एक ट्रेनिंग कैंप जैसा होता है. इस दौरान हम अधिकतर लोगों को कार्यकर्ता के रूप में तैयार कर सकते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस दौरान संगठन का विस्तार भी हो और कार्यकर्ता का विकास भी हो.

हमें चुनाव के बाद भी इन दो मंत्रों को हमेशा याद रखना चाहिए. यह चुनाव का समय है इसलिए इस वक्त हमें लोगों को उनके एक-एक वोट की ताकत समझानी होगी, उन्हें बताना होगा कि मैं या योगी जी इतना सब कुछ इसीलिए कर पा रहे हैं क्योंकि यूपी के लोगों का एक-एक वोट हमें आशीर्वाद के रूप में मिला है. मुझे विश्वास है हमारे कर्मठ, जीवट, समर्पित, संवेदनशील कार्यकर्ता लगातार जनता के संपर्क में रहेंगे और अपना काम करते रहेंगे.

दरअसल पीएम ने आजादी के अमृत महोत्सव को धूमधाम से मनाने का केवल आह्वान भर ही नहीं किया है बल्कि इसके लिए भारी भरकम योजनाएं भी बनाईं गई हैं. बीजेपी की पूरी तैयारी है कि आम लोगों के बीच ये संदेश जाए कि देश की आजादी बहुत कीमती है. दरअसल कांग्रेस और विपक्ष का जनसंघ और बीजेपी नेताओं पर यह कहकर हमला करती रही है कि जब देश में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था तो ये लोग अंग्रेजों के साथ थे. इस बात को आम लोगों के मन से निकालने के लिए ही देश की आजादी का अमृत महोत्सव कांग्रेस के हाथो से छीन कर बीजेपी ने अपनी ओर कर लिया है.

4-माइक्रो बूथ मैनेजमेंट सबसे पहले हरियाणा में शुरू किया था पीएम ने

दरअसल बीजेपी के लिए बूथ लेवल की माइक्रो मैनेजमेंट कोई नई बात नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हरियाणा बीजेपी के प्रभारी होते थे, उस समय ही उन्होंने बूथ लेवल के सूक्ष्म मैनेजमेंट का फार्मूला दिया था. शायद उन्हीं के फार्मूले का असर रहा कि न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे देश में जहां बीजेपी का नामोनिशान नहीं था, वहां भी कमल खिल रहा है. दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट से यह बात पता लगती है कि कैसे हरियाणा में 2019 के चुनावों में करनाल में सीएम मनोहर लाल खट्टर के लिए बूथ लेवल की व्यू रचना की गई थी. करनाल हलके के 222 बूथों को थ्रीटायर प्रणाली में बांध दिया गया था.


सबसे पहले 222 बूथ को 21 सेक्टर में बांट दिया गया था. प्रत्येक सेक्टर की जिम्मेदारी एक पार्षद और एक कार्यकर्ता को दी गई थी. उनकी ड्यूटी थी कि प्रत्येक बूथ पर अधिक से अधिक मतदान हो और मतदान का अधिक प्रतिशत बीजेपी के पक्ष में जाए. इसके बाद इस व्यूह की और सूक्ष्म रचना करते हुए हर एक बूथ पर एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को संरक्षक के तौर पर तैनात किया था. उनकी भी यह जिम्मेदारी थी कि वह बूथ को जिताने का काम काम करेंगे.


एक कदम और आगे बढ़ते हुए 222 बूथ के 21 सेक्टर को चार क्लस्टर में बांटा दिया गया था. इन चारों क्लस्टर की जिम्मेदारी भी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के पास थी. इस तरह से करनाल विधानसभा का कोई भी ऐसा हिस्सा, मोहल्ला, गली या घर नहीं बच सकता था जहां तक वर्कर की पहुंच नहीं हो. उस वक्त पांच-पांच कार्यकर्ताओं की दो टोलियां काम करने में लग गई थीं. इनमें से एक टोली युवाओं की थी और एक महिलाओं की. दोनों टोलियां घर-घर जाकर मतदाताओं से संवाद स्थापित करती थी.

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