वर्दी पर दोगुना बोझ …. मध्यप्रदेश में 1080 लोगों की सुरक्षा का जिम्मा एक पुलिसवाले पर, 4 साल बाद 6000 पदों पर सिपाही की भर्ती
मप्र की जनसंख्या करीब साढ़े 7 करोड़ है। लेकिन इनकी सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली पुलिस कम है। हालत यह है कि प्रदेश में 1080 लोगों की सुरक्षा का जिम्मा एक पुलिसवाले पर है। जबकि जानकार मानते हैं कि एक पुलिसकर्मी के भरोसे 450 लोगों की ही सुरक्षा का जिम्मा होना चाहिए। यानी हर पुलिसकर्मी पर सुरक्षा की दोगुनी जिम्मेदारी है।
थोड़ा फ्लैश बैक में चलते हैं। करीब चार साल पहले यानी वर्ष 2017 में मप्र में सिपाही के 14 हजार और एसआई के 400 पदों पर भर्ती की गई थी। इन चार साल में अलग-अलग पदों के करीब 16 हजार पुलिसकर्मी रिटायर भी हो गए। अब सरकार 6000 नए पदों पर सिपाहियों को भर्ती कर रही है, जिन्हें जिला पुलिस बल तक पहुंचने में अभी एक साल से ज्यादा लगेगा।
राजधानी के कमिश्नर सिस्टम में भी इंस्पेक्टर से सिपाही तक 1165 पुलिसवाले कम हैं। ऐसे में इस सिस्टम से अच्छे परिणाम सामने लाना सबसे बड़ी चुनौती है। मप्र संभवत: पहला ऐसा राज्य है, जहां चार साल से सिपाही-एसआई के पदों पर भर्ती ही नहीं की गई। इसका नतीजा ये रहा कि प्रदेश के सभी पीटीसी, पीटीएस और पुलिस अकादमियों में ट्रेनिंग के लिए ज्यादा ट्रेनीज बचे ही नहीं हैं।
फिलहाल भौरी पुलिस अकादमी में 33 एसआई की सेकंड फेज की बेसिक ट्रेनिंग चल रही है। फरवरी में इनकी पासिंग आउट परेड हो जाएगी। यहीं पर पहले चरण में 11 सब इंस्पेक्टर्स ट्रेंड किए जा रहे हैं। एडीजी चयन एवं भर्ती संजीव शमी ने बताया कि शासन ने 6 हजार पदों पर सिपाहियों की भर्ती की सहमति दे दी है।
वर्दी पर कितनी जिम्मेदारी
- 90 हजार पुलिसकर्मियों का सैंक्शंड बल है।
- 25200 पुलिसकर्मी कम हैं।
- 64800 पुलिसकर्मियों का मौजूदा बल है प्रदेश में
- 06 हजार पुलिसकर्मी भर्ती भी कर लिए तो 19 हजार की रहेगी कमी।
7 हजार पुलिसकर्मियों को एक साथ दे सकते हैं ट्रेनिंग
मप्र में सात पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (पीटीसी) इंदौर, तिघरा, रीवा, उमरिया, उज्जैन, सागर और रीवा में हैं। एक पुलिस ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) भौरी में है और दो पुलिस अकादमी जेएनपीए सागर और भौरी पुलिस अकादमी भोपाल में है। इन सभी में एक बार में करीब 7 हजार पुलिसकर्मियों को एक साथ ट्रेनिंग दी जा सकती है।
4 साल से भर्ती न हो पाने का नतीजा है कि इनमें ट्रेनिंग लेने वाले बैच की पासिंग आउट परेड हो चुकी है। पीएचक्यू की ट्रेनिंग शाखा अलग-अलग इंडक्शन कोर्स और इन सर्विस ट्रेनिंग कोर्स करने की तैयारी कर रही है। अगले एक साल तक 125 इन सर्विस ट्रेनिंग व एसआई-टीआई (कार्यवाहक) के 15-15 दिनों के इंडक्शन कोर्स आयोजित किए जाएंगे।
और इधर भोपाल में तो 61 इंस्पेक्टर कम हैं
राजधानी में लागू हो चुके पुलिस कमिश्नर सिस्टम के तहत जिला पुलिस बल को करीब 416 नए आरक्षक दिए गए हैं। इनमें से 133 ही भोपाल पुलिस के पास रहेंगे। बाकी सभी नव आरक्षकों को अन्य जिलों में पदस्थ किया जाएगा। अगले कुछ महीनों तक सभी भोपाल की ट्रैफिक व्यवस्था संभालेंगे। इसके बाद भी भोपाल पुलिस का स्वीकृत जिला बल 5832 का है, लेकिन मौजूदा बल केवल 4719 ही है। इनमें 61 इंस्पेक्टर 17 सूबेदार, 233 हवलदार और 854 सिपाही कम हैं।
जल्द भर्ती होना चाहिए – अन्य राज्यों में औसतन 694 लोगों पर एक पुलिसकर्मी
नेशनल पुलिस कमीशन व अन्य समितियों ने रिकमंड किया है कि 450 लोगों की सुरक्षा का जिम्मा एक पुलिसकर्मी पर होना चाहिए। देश के अन्य राज्यों में औसतन 694 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है। मप्र में 1080 लोगों पर एक पुलिसकर्मी की तैनाती बेहद चिंतनीय है। शासन को चाहिए कि सभी खाली पदों पर जल्द ही भर्ती करें और उन्हें तकनीकी तौर पर भी दक्ष बनाएं।– आरएलएस यादव, रिटायर डीजी