देश में MP के तीन टाइगर रिजर्व टॉप 12 में ..!

देश में MP के तीन टाइगर रिजर्व टॉप 12 में:नर्मदापुरम के STR को दूसरी, कान्हा को 5वीं और पेंच को 8वीं रैंक, बेहतर प्रबंधन से मिली उपलब्धि

यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में शामिल मप्र के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) को एक ओर उपलब्धि मिली है। एसटीआर को देश के सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व में दूसरे नंबर की रैंक मिली। यह रैंक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बेहतर प्रबंधन, कार्य, बेहतर टीम के चलते हासिल हुआ है। यह रैंक देशभर के 51 टाइगर पार्क में मिली है।

पहले स्थान पर केरला के पेरियार टाइगर रिजर्व पार्क रहा। उसे MEE score 94.38% मिले। दूसरे स्थान पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मप्र और तीसरे स्थान पर बांदीपुर टाइगर रिजर्व कर्नाटक (MEE score 93.18%) मिला है। इसके अलावा MP के बालाघाट का कान्हा टाइगर रिजर्व को पांचवीं और सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व को 8वीं रैंक मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैसूर में रविवार को प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई) रिपोर्ट में यह आंकड़े जारी किए थे।

देश में एमपी के टाइगर रिजर्व की स्थिति

  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को दूसरा स्थान मिला, अंक- 93.18
  • कान्हा टाइगर रिजर्व को पांचवां स्थान, अंक- 91.67
  • पेंच टाइगर रिजर्व को मिला 13 वां स्थान, अंक- 88.09
  • बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को मिला 21 वां स्थान, अंक- 83.33
  • पन्ना टाइगर रिजर्व को मिला 22 वां स्थान, अंक- 83.33
  • संजय दुबरी टाइगर रिजर्व को मिला 36 वां स्थान, अंक- 72.33

(नोट- रिपोर्ट में किसी भी टाइगर रिजर्व को 94.38 से अधिक अंक नहीं मिले हैं।)

एमईई थर्ड पार्टी करती है मूल्यांकन

एमईई थर्ड पार्टी असेसमेंट है, जो 4 साल में एक बार अपने सर्वें कर आंकड़े जारी करती है। सर्वें में मूल्यांकन टीम दस्तावेजों, जमीनी कार्य, फील्ड स्टाफ और हितधारकों के साथ बातचीत, वन्यजीवों की वृद्धि और सुरक्षा और प्रबंधन प्रणालियों के स्तर का मूल्यांकन करती है। समुदाय, पर्यटन को सुव्यवस्थित करना, पार्क और जानवरों दोनों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सक्रिय वन्यजीव प्रबंधन कुछ ऐसे कई मापदंड है। इस आधार पर पार्क को आंका जाता है।

एसटीआर को इसलिए मिली बेस्ट रैंक

एसटीआर के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति, एएफडी संदीप फैलोज ने बताया कि एमईई द्वारा अलग-अलग मापदंडों पर मूल्यांकन किया गया। एसटीआर को दूसरे नंबर की रैंक मिलने की वजह यहां का बेहतर मैनेजमेंट, अच्छी टीम और कार्य है। बाघ और वन्यप्राणियों की वृद्धि और उनके रहवास की पर्याप्त जगह है। अच्छे तरीके से वनग्रामों को विस्थापित किया। पार्क से स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला। जैसे पुरुष महिला गाइड, टैक्सी ड्राइवर, होटल के कर्मचारी समेत अन्य प्रकार से रोजगार मिले।

मैसूर में रविवार को प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई) के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
मैसूर में रविवार को प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई) के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में शामिल है एसटीआर

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में शामिल है। दो साल पहले यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट में एसटीआर में शामिल किया गया है। एसटीआर प्राकृतिक सौंदर्य और बाघों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यूनेस्‍को की विश्‍व धरोहरों की प्राकृतिक श्रेणी की सूची में विशिष्‍ट विशेषताओं वाले स्‍थलों को ही शामिल किया जाता है। 2133.30 वर्ग किमी में फैले एसटीआर का 794.04 वर्ग किमी बफरजोन और 1339.26 वर्ग किमी कोर जोन है। इसमें मढ़ई, चूरना, बोरी अभ्यारण, मप्र की सबसे ऊंची छोटी धूपगढ़ पर्यटन स्थल है। मढ़ई, चूरना, बोरी में बाघ, तेंदुआ, सांभर, हिरण, बारहसिंगा समेत अन्य वन्यप्राणी पाएं जाते हैं। इन्हें देखने देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।

फिल्म हस्तियों की पंसदीदा जगह एसटीआर

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पार्क फिल्म अभिनेताओं को काफी भाता है। रणदीप हुड्‌डा, कंगना राणावत, रवीना टंडन समेत कई फिल्मी हस्तियां यहां घूमने आती है। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह साल में एक या दो बार अपने परिवार के साथ यहां समय बिताते हैं।

एक नजर एसटीआर की ओर

  • 2133.30 वर्ग किमी में फैला है एसटीआर
  • 794.04 वर्ग किमी बफरजोन
  • 1339.26 वर्ग किमी कोर एरिया
  • कोर क्षेत्र में 6 और बफर क्षेत्र में 4 रेंज
  • चूरना, मढ़ई अच्छे टूरिस्ट क्षेत्र
  • 3.5 से 4 लाख घूमने आते है सैलानी।
रातापानी से भोपाल के बीच बाघों के कॉरिडोर के बीच लगाए गए कैमरे में कैद हुए बाघ।
रातापानी से भोपाल के बीच बाघों के कॉरिडोर के बीच लगाए गए कैमरे में कैद हुए बाघ।

मध्यप्रदेश में क्षमता से ज्यादा बाघ

मध्यप्रदेश में क्षमता के अधिक बाघ हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 124 बाघ मौजूद हैं। क्षमता 75 बाघों की हैं। इसी प्रकार पेंच टाइगर रिजर्व में 50 बाघों की क्षमता के विपरीत 82 बाघ हैं। प्रदेश में ऐसे ही हालात अन्य टाइगर रिजर्व के हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार चार नए अभयारण्य को बनाने की तैयारी भी कर रही है।

सात सालों में 189 बाघों ने तोड़ा दम

टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में बाघों के मौत के आंकड़े भी कम नहीं है। वन विभाग के मुताबिक बीते सात सालों में प्रदेश में अलग-अलग कारणों से 189 बाघों ने दम तोड़ा। सौ से अधिक बाघ तो वर्चस्व की लड़ाई में दम तोड़ चुके हैं। वाइड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने बताया कि वन विभाग बाघों की सामान्य और वर्चस्व की लड़ाई में हुई मौत को एक मानता है। लेकिन, बाघों के आपसी संघर्ष को रोका जा सकता है। यदि विभाग बाघों की बढ़ती संख्या के हिसाब से क्षेत्र विस्तार के लिए तमाम पहल करता तो एमपी में बाघों की संख्या भी देश में सर्वाधिक होती। बता दें कि बाघ की औसत आयु भी 12 से 14 साल की होती है।

MP देश का टाइगर स्टेट तो यहां कैपिटल क्यों नहीं?, जानें प्रदेश में कहां, कितने बाघ

पूरे देश में जबलपुर ही एकमात्र ऐसा शहर है जिससे 200 किलोमीटर के परिधि में 500 से ज्यादा बाघ पाए जाते हैं लेकिन टाइगर कैपिटल का दर्जा नागपुर को मिला हुआ है. यह मध्य प्रदेश सरकार की एक बड़ी नाकामी है. मध्यप्रदेश में बाघ देखने के लिए देश के कई सेलिब्रिटी और लगभग 10 लाख टूरिस्ट हर साल आते हैं.

 

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