80 से ज्यादा ब्राह्मण संगठन सपा को देंगे समर्थन … विनय शंकर तिवारी का चेहरा आगे कर पूर्वांचल को साधने की कोशिश, 15 जिलों में पड़ सकता असर
यूपी की राजनीति इस बार पिछड़ा वर्ग और सामान्य में ब्राह्मणों के इर्द-गिर्द घूम रही है। 12 से 14% ब्राह्मणों को जोड़ने लिए सभी दल अपनी – अपनी तरफ से दांव चल रहे हैं। सपा में यह जिम्मेदारी पूर्वांचल के कद्दावर नेता और बाहुबली हरिशंकर तिवारी के विधायक बेटे विनय शंकर तिवारी को दी गई है। बताया जा रहा है कि विनय पिछले 1 महीने से इसकी तैयारी कर रहे थे। उसका परिणाम यह है कि बलिया से लेकर गोरखपुर के छोटे – बड़े 80 ब्राह्मण संगठन समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन देने जा रहे हैं।
मंगलवार समाजवादी पार्टी मुख्यालय में यह समर्थन दिया जाएगा। इसमें सपा मुखिया अखिलेश यादव और विनय शंकर तिवारी के नेतृत्व में सभी संगठन के पदाधिकारी अपना समर्थन देंगे। हरिशंकर तिवारी और योगी के बीच गोरखपुर में वर्चस्व को लेकर पुराना विवाद रहा है। इसको लोग हाता और मठ की ताकत से भी देखते है। ऐसे में तिवारी परिवार के लिए यह अपनी ताकत दिखाने का भी एक मौका है।

माना जा रहा था कि योगी की राजनीतिक ताकत बढ़ने के बाद हाता कमजोर हुआ है। यही वजह थी कि CM बनने के बाद हाता में पहली बार पुलिस गई थी। अब तिवारी परिवार इन संगठनों से समर्थन दिलवा अपनी राजनीतिक ताकत भी सपा मुखिया के सामने दिखाना चाहता है।

12 जिलों में 15% वोटर
पूर्वांचल के 12 जिलों में ब्राह्मण वोटरों की संख्या 15% के करीब है। इसमें गोरखपुर, महराजगंज, संत कबीरनगर, इलाहाबाद, कानपुर, चंदौली, वाराणसी, अमेठी, जौनपुर, देवरिया, बस्ती और बलरामपुर शामिल हैं। इसके अलावा पूरे प्रदेश में 112 सीट ऐसी हैं जहां ब्राह्मण मतदाता सीट जीताने की क्षमता रखते हैं।
इसकी तैयारी में सपा इस बार ब्राह्मणों पर लुभाने और अपने साथ करने का हर संभव प्रयास कर रही है। यही वजह है कि पिछले दिनों पार्टी की तरफ से भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित की गई थी। साल 2012 में जब सपा सरकार में आई थी तब भी 21 ब्राह्मण विधायक जीत कर विधान सभा पहुंचे थें। साल 2017 में सपा ने 10% ब्राह्मणों को टिकट दिया था।
एनडी तिवारी आखिरी ब्राह्मण CM
उप्र में पिछले तीन दशक से कोई ब्राह्मण सीएम नहीं बन पाया है। कांग्रेस के एनडीए तिवारी आखिर ब्राह्मण सीएम रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में अब तक कुल छह सीएम ब्राह्मण रहे हैं। इसका कार्यकाल करीब 20 साल का रहा है। इसमें गोविंद बल्लभ पंत दो बार, सुचेता कृपलानी, कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी और श्रीपति मिश्रा शामिल है।