केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट पर A to Z …

221km लंबी नहर से केन नदी का पानी बेतवा में छोड़ेंगे, 2km की सुरंग होगी; कुछ साइड इफेक्ट्स भी….

आम बजट 2022-23 में मध्यप्रदेश को केन-बेतवा लिंक के लिए काफी कुछ मिला है। प्रोजेक्ट पर कुल 44 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। 1400 करोड़ रुपए दे दिए गए। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के 13 जिलों को इस प्रोजेक्ट से फायदा होगा। इसके साइड इफेक्ट्स भी होंगे। पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा डूब जाएगा। 23 लाख पेड़ काटे जाएंगे। खजुराहो में घड़ियाल सेंचुरी पर भी असर पड़ेगा।

क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट? इससे पहले जानिए केन और बेतवा नदी की जियोग्राफिकल कंडीशन…

केन का पानी पहुंचेगा बेतवा में
कटनी-पन्ना और छतरपुर जिलों में बहने वाली केन नदी 427 किलोमीटर का सफर तय कर उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के पास यमुना नदी में गिरती है। रायसेन के पास से निकली बेतवा नदी 576 किलोमीटर का सफर तय करती हुई उत्तरप्रदेश के हमीरपुर के पास यमुना नदी में मिलती है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत ढोढन (पन्ना) में डैम बनाकर केन के पानी को रोका जाएगा। यहां से 220.624 km की नहर बनाकर केन का पानी बरुआसागर (झांसी, UP) से निकली बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा। इसमें 2km लंबी सुरंग भी बनाई जाएगी।

जानिए, केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट और क्या होगा फायदा
केंद्र सरकार ने नदियों को जोड़ने के लिए नेशनल पर्सपैक्टिव प्लान बनाया था। केन-बेतवा लिंक परियोजना प्लान का पहला प्रोजेक्ट है। केन नदी का पानी बेतवा नदी में ट्रांसफर किया जाएगा। दोनों नदियों को जोड़ने के लिए 220.624 km लंबी केन-बेतवा लिंक नहर बनाई जाएगी। मध्यप्रदेश के जिले पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, रायसेन और उत्तरप्रदेश के जिले बांदा, महोबा, झांसी, ललितपुर को इससे फायदा होगा। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार:

  • केन-बेतवा लिंक से सालाना 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी।
  • 62 लाख लोगों को पीने का पानी भी मिलेगा।
  • 103 मेगावॉट हाइड्रोपॉवर और 27 मेगावाट की क्षमता वाला सोलर प्लांट भी बनाया जाएगा।
  • केन-बेतवा लिंक परियोजना में 2 बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावॉट है।
  • नॉन मानसून सीजन (नवंबर से अप्रैल के बीच ) में मध्यप्रदेश को सिंचाई के लिए 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) व उत्तरप्रदेश को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी मिलेगा।

विदिशा में बनेंगे 4 बांध, शिवपुरी और सागर में भी बनेंगे डैम
प्रोजेक्ट के पहले फेज में केन नदी पर ढोड़न गांव के पास बांध बनाकर पानी रोका जाएगा। यह पानी नहर के जरिए बेतवा नदी तक पहुंचाया जाएगा। दूसरे फेज में बेतवा नदी पर विदिशा जिले में 4 बांध बनाए जाएंगे। बेतवा की सहायक बीना नदी (जिला सागर) और उर नदी (जिला शिवपुरी) पर भी बांधों का निर्माण किया जाएगा।

अब इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स भी जान लीजिए

पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा डूब जाएगा, 23 लाख पेड़ काटे जाएंगे
केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है। दोनों नदियों (केन और बेतवा) के इंटरलिंकिंग से टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाएगा। केन की कुल लंबाई 427km है। ग्राम ढोढन (पन्ना) में जहां बांध बन रहा है, वहां से केन नदी की डाउन स्ट्रीम की लंबाई 270 km है। बांध की कुल लंबाई 2031 मीटर है। कांक्रीट डैम का हिस्सा 798 मीटर और मिट्टी के बांध की लंबाई 1233 मीटर है। बांध की ऊंचाई 77 मीटर है। ढोढन बांध से बेतवा नदी में पानी ले जाने वाली लिंक केनाल की लंबाई 220.624 km होगी। बांध का डूब क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर है। इसका 90 फीसदी से भी अधिक क्षेत्र पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में आता है। यानी इसमें 5258 हेक्टेयर भूमि टाइगर रिजर्व की जा रही है। 105 वर्ग किमी. का कोर एरिया, जो छतरपुर जिले में है, डूब क्षेत्र के कारण विभाजित हो जाएगा। इस प्रकार कुल 197 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र डूब और विभाजन के कारण नष्ट हो जाएगा। इस परियोजना के तहत मंत्रालय ने कम से कम 23 लाख पेड़ों को काटने की इजाजत दी है, जिसमें से बेहद संवेदनशील पन्ना टाइगर रिजर्व का 4141 हेक्टेयर वन क्षेत्र भी शामिल है।

तीन अभयारण्यों को पन्ना टाइगर के साथ जोड़ने की योजना
राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी के अनुसार, ढोढन बांध में पन्ना टाइगर का 10% से ज्यादा हिस्सा डूब जाएगा। इसे कम करने के लिए तीन वन्यजीव अभयारण्यों (WLS)- नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य, मध्यप्रदेश के रानी दुर्गावती और उत्तरप्रदेश के रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य को पन्ना टाइगर रिजर्व के साथ एकीकृत करने की योजना है।

खजुराहो में घड़ियाल सेंचुरी को नुकसान
पन्ना टाइगर रिजर्व के अलावा छतरपुर जिले में स्थित केन घड़ियाल सेंचुरी को इस परियोजना के कारण बड़ा नुकसान बताया जा रहा है। केन घड़ियाल सेंचुरी खजुराहो के पास केन नदी पर बने रनेह फाल के आगे स्थित है। ढोढन गांव में बांध बनाया जा रहा है। इस बांध के आगे जाकर रनेह फाल के बाद घड़ियाल सेंचुरी शुरू होती है। यह बरियारपुर बांध तक जाती है। वैसे ही बारिश कम होने से यहां नदी में पानी कम रहता है। अब ढोढन बांध बनने के बाद यहां पानी बेहद कम हो जाएगा। यह घड़ियालों के रहवास के लिए घातक माना जा रहा है।

यूं परवान चढ़ी योजना

  • अगस्त 1980: एनपीपी तैयार किया गया।
  • अगस्त 2005: परियोजना के लिए DPR तैयार करने के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • अप्रैल 2010: राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (NWDA) ने प्रोजेक्ट के पहले फेज के लिए DPR को पूरा किया।
  • जनवरी 2014: NWDA ने परियोजना के दूसरे फेज की DPR पूरी की।
  • सितंबर 2014: ILR (इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स) कार्यक्रम को लागू करने के लिए नदियों को आपस में जोड़ने को लेकर विशेष समिति का गठन किया गया।
  • अप्रैल 2015: नदी विकास और गंगा कायाकल्प द्वारा नदियों को जोड़ने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया।
  • मार्च 2021: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने केन बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना को लागू करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है।
केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है।

दो फेज में पूरा होगा प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट दो फेज में पूरा होगा।

  • फेज 1: ढोढन बांध निर्माण। सुरंग बनाना। केन-बेतवा नहर और बिजली घर बनाना इसमें शामिल है।
  • फेज 2: बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोठा बैराज निर्माण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *