Biggest Bank Fraud … देश में अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड, 28 बैंकों को लगाया गया 22842 करोड़ का चूना
इन्सॉल्वेंसी के अंतर्गत ABG Shipyard का लिक्विडेशन किया जा रहा है. कोई खरीदार नहीं मिलने के कारण प्राइवेट में इसके असेट को बेचने की मंजूरी दी गई. असेट की वैल्यु प्राइवेट में महज 1480 करोड़ लगाई गई है.
बीते सप्ताह देश के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड का मामला सामने आया है. गुजरात आधारित ने 28 बैंकों को 22842 करोड़ का चूना लगाया. इस फ्रॉड को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं. इस बीच रविवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से कहा गया कि कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती गई है. CBI ने हाल ही में कंपनी के पूर्व चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. बता दें कि 28 बैंकों के कंसोर्टियम का लीडर ICICI बैंक था. सेकेंड लीड IDBI बैंक था, लेकिन शिकायत SBI की तरफ से दर्ज कराई गई थी. स्टेट बैंक ने नवंबर 2019 में पहली बार कंपनी के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी.
ABG Shipyard की स्थापना 15 मार्च 1985 को की गई थी. स्टेट बैंक की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 2001 से यह कंपनी बैंकिंग अरेंजमेंट के तहत थी. कमजोर प्रदर्शन के कारण 30 नवंबर 2013 में कंपनी का अकाउंट एनपीए हो गया. उसके बाद कंपनी के कामकाज को ट्रैक पर लाने की तमाम कोशिशें की गईं, लेकिन यह सफल नहीं हो पाया. मार्च 2014 में बैंकों के कंसोर्टियम की तरफ से अकाउंट को रीस्ट्रक्चर किया गया. यह वह दौर था जब शिपिंग इंडस्ट्री अपने बुरे वक्त से गुजर रही थी. यही वजह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद कंपनी का कामकाज ट्रैक पर नहीं लौटा. जुलाई 2016 में ABG Shipyard के अकाउंट को बैक डेट (नवंबर 2013) में एनपीए घोषित कर दिया गया था.
2018 में स्टेट बैंक ने पहली बार शिकायत की थी
इस फ्रॉड के सामने आने के बाद कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि स्टेट बैंक ने नवंबर 2018 में CBI से यह शिकायत की कि ABG Shipyard की तरफ से बड़े पैमाने पर फ्रॉड किया जा रहा है. ऐसे में कंपनी के खिलाफ क्रिमिनल एक्शन लिया जाए. शिकायत के बावजूद सीबीआई ने एक्शन नहीं लिया और उस फाइल को वापस SBI के पास भेज दिया गया. कांग्रेस ने तो फरवरी 2018 में ही इस मामले को उठाया था, लेकिन सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया.
कंसोर्टियम का लीडर ICICI बैंक लेकिन शिकायत SBI की तरफ से क्यों?
सुरजेवाला ने इस फ्रॉड को लेकर टाइमलाइन के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बाते कहीं. नवंबर 2013 में ABG Shipyard का अकाउंट एनपीए घोषित किया गया. उसके बाद कंपनी के कामकाज में सुधार लाने के तमाम प्रयास किए गए, लेकिन कंपनी ट्रैक पर नहीं लौटी. इस कंसोर्टियम का लीडर आईसीआईसीआई बैंक था, सेकेंड लीड आईडीबीआई बैंक था लेकिन शिकायत दर्ज कराने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को चुना गया. स्टेट बैंक ने पहली बार नवंबर 2019 में शिकायत की लेकिन सीबीआई ने इस पर ध्यान नहीं दिया. दूसरी शिकायत दिसंबर 2020 में की गई जिसके बाद एक्शन लिया गया है.
लिक्विडेशन के फेज में है अभी एबीजी शिपयार्ड का अकाउंट
ABG Shipyard का अकाउंट अभी NCLT की प्रक्रिया के तहत लिक्विडेशन फेज में है. फॉरेंसिक रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है कि 2012 से 2017 के बीच कंपनी की तरफ से अलग-अलग तरीके से बैंकों को लूटने का काम किया गया. फंड का डायवर्जन किया गया. कंपनी ने बैंक के पैसे का गबन किया और आपराधिक विश्वासघात किया गया.
कंपनी के असेट को बेचकर केवल 1480 करोड़
बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2017 में 12 अकाउंट को इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस के लिए नामित किया था. ABG Shipyard इन बारह कंपनियों में एक है. हालांकि, इस कंपनी को खरीदने वाला कोई नहीं मिला जिसके कारण बैंकों के ज्यादातर पैसे डूब गए. दिसंबर 2020 में इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लिक्विडेशन को लेकर चार अहम प्रयास किए गए, लेकिन खरीदार नहीं मिलने के कारण बैंकों की रिकवरी नहीं हो पा रही है. बाद में लिक्विडेटर ने इसके असेट को प्राइवेट में बेचने की इजाजत दी. प्राइवेट में इसके असेट की औसत वैल्यु 1480 करोड़ रुपए निकाली गई.