गंगा में नहीं बचा है डुबकी लगाने तक का पानी, कानपुर से बनारस तक एक जैसे हालात

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर गंगा का जल दोहन होने से पानी का संकट गहराता जा रहा है. बनारस, इलाहाबाद, कानपुर व अन्य स्थानों में लगातार घटते जलस्तर को ‘न्यूनतम चेतावनी बिंदु’ की ओर जाते देख जलकल विभाग ने अलर्ट जारी किया है. गंगा का जलस्तर दो सौ फीट रहने तक ही जल की आपूर्ति सामान्य रहती है. अभी तक गंगा का जलस्तर 192 फीट दर्ज किया गया. हालांकि यह पिछले साल जून में गंगा के जलस्तर 187 फीट से अधिक है, लेकिन इसका असर पेयजल आपूर्ति पर पड़ने लगा है. यहां लगाए गए पंप पानी कम देने लगे हैं. इसे लेकर लोग चिंतिंत दिखाई दे रहे हैं.

गंगा में बने रेत के बड़े-बड़े टीले
वहीं, कानपुर में पीने के पानी के लिए लोगों को गंगा पर ही निर्भर रहना पड़ता है. भीषण गर्मी के चलते यहां पर गंगा की धारा के बीच में रेत के बड़े-बड़े टीले दिखाई देने लगे हैं. यहां तक कि पेयजल की आपूर्ति के लिए भैरोंघाट पपिंग स्टेशन पर बालू की बोरियों का बांध बनाकर पानी की दिशा को परिवर्तित करना पड़ा, ताकि लोगों को सहूलियत हो सके.

नरौरा बैराज के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल हर दिन 7822 क्यूसेक पानी प्रतिदिन गंगा में छोड़ा जा रहा है. नहरों, सिंचाई और अन्य कुदरती कारणों से कानपुर पहुंचते-पहुंचते पानी मात्र 5000 क्यूसेक ही बच रहा है. आगे पहुंचने वाले पानी की मात्रा और कम होती जाती है. इसी कारण जल स्तर में कुछ घटाव हो रहा है.

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