बिहार पुलिस ने बालू खनन का विरोध करने पर भयानक बर्बरता दिखाई है

लाठियां बरसाईं; जानवरों की तरह लाई कोर्ट….

बिहार के गया में पुलिस ने बालू खनन का विरोध करने पर भयानक बर्बरता दिखाई है। पुलिस ने विरोध करने वालों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठियां बरसाईं। इसके बाद 13 साल की बच्ची समेत 6 महिलाओं और चार पुरुषों को पीठ के पीछे हाथ और पांव बांधकर घंटों जमीन पर बिठाए रखा। फिर जानवरों की तरह पुलिस वैन में लादकर कोर्ट तक लाया गया। कोर्ट के आदेश से सबको दाउदनगर क्वारैंटाइन सेंटर भेज दिया गया। पुलिस नाबालिग बच्ची को भी बालिग मान रही है।

मोरहर नदी में बंदोबस्त घाट के सीमांकन का हो रहा विरोध
घटना बेलागंज प्रखंड के मेन थाने के आढ़तपुर गांव की है। भारी संख्या में पुलिस बल यहां मोरहर नदी में बंदोबस्त घाट का सीमांकन कराने गया था। गांव के लोग यहां से बालू उठाव का विरोध कर रहे थे। इस दौरान दोनों पक्षों में तनातनी इस कदर बढ़ी कि पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और जमकर लाठियां बरसाईं। गांव वालों ने भी जबरदस्त पथराव किया। पुलिस ने छह महिलाओं पूजा कुमारी (20), गीता देवी (38), रेणु देवी (42), मुन्नी देवी (32), रंजू देवी (32), 13 वर्षीया किशोरी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार करने के बाद इनके साथ अपराधियों की तरह व्यवहार किया गया।

पुलिस की लाठी का निशान दिखाते ग्रामीण।
पुलिस की लाठी का निशान दिखाते ग्रामीण।

थानेदार का कहना- कोई महिला नाबालिग नहीं
थानेदार का कहना है कि गिरफ्तार की गई कोई भी महिला नाबालिग नहीं है। हालांकि गिरफ्तार की गई 13 साल की किशोरी के आधार कार्ड में उसकी जन्म तिथि 12 जुलाई, 2008 दर्ज है। थानेदार ने बताया कि खनन निरीक्षक की लिखित शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर 16 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

इस युवती के हाथ में चोट आई है।
इस युवती के हाथ में चोट आई है।

जानिए, पुलिस की सफाई
SP सिटी राकेश कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला किया। हमारे भी 9 सिपाही घायल हुए हैं। पुलिस पर अगर कोई हमला करता है, सरकारी कार्य में बाधा डालता है तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करती है। वहां हमारे पास महिला सिपाही भी थीं। झड़प के बाद 8 महिलाओं को पहले हिरासत में लिया गया था। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद जांच में आरोपी साबित होने पर महिलाओं को उच्च अधिकारियों के आदेश पर क्वारैंटाइन सेंटर जेल भेज दिया गया है।’

ग्रामीण बोले- बरसात के दिनों में रहता है खतरा, इसलिए किया विरोध
इधर, ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने किसी आक्रमणकारी की तरह बर्बरता गांव में बरती है। इस बात के प्रमाण गांव की जख्मी महिलाएं, पुरुष, बच्चे और क्षत-विक्षत घर हैं। गांव में बुधवार को भी पुलिस प्रशासन के साथ आई थी, लेकिन इस बार भी ग्रामीण नहीं माने और उन्हें लौटा दिया।

ग्रामीणों का कहना है कि बालू उठाव से बरसात के दिनों में उनके गांव पर खतरा मंडराने लगता है। गांव के तीन कोने से होकर नदी गुजरती है। बालू उठाव से नदी किसी भी कोने से गांव में तांडव मचा सकती है। इस वजह से हम विरोध कर रहे हैं।

आरोप है कि पुलिस ने घरों में भी तोड़फोड़ की है।
आरोप है कि पुलिस ने घरों में भी तोड़फोड़ की है।

जानिए, क्या है पूरा मामला
गया में आढ़तपुर गांव के चारों ओर मोरहर नदी बहती है। गांव के दक्षिणी छोर पर नदी की बालू की बंदोबस्ती खनन विभाग की गई है। बंदोबस्ती से ग्रामीणों में भय बन गया कि बालू के उठाव के बाद नदी की धारा तेज हो जाएगी। इससे कटाव होगा और गांव का वजूद विलुप्त हो जाएगा। इस भय को लेकर लगातार ग्रामीण खनन को लेकर विरोध कर रहे हैं। जबकि, खनन से पूर्व सीमांकन को लेकर दो बार अधिकारियों का दल सशत्र पुलिस बल के साथ घाट पर गया था, लेकिन ग्रामीणों ने पुलिस को सीमांकन करने नहीं दिया था।

मंगलवार को भी जिला मुख्यालय सहित जिले की कई थाने की पुलिस के साथ अधिकारियों की टीम उक्त स्थल पर पहुंची। जहां एक बार फिर से ग्रामीणों ने विरोध किया। इसके बाद दोनों ओर से झड़प हुई और उग्र हुए सशत्र बल के जवानों ने गांव में तांडव मचा दिया।

दुर्व्यवहार और तोड़फोड़ भी की
आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने ग्रामीणों के साथ दुर्व्यवहार और तोड़फोड़ भी की। एक छात्रा ने बताया कि मैं कोचिंग से लौट थी। गांव आने पर देखा कि पुलिस गांव में सभी के साथ मारपीट कर रही थी। मैं डर कर घर में घुस गई। वहीं गांव की एक दिव्यांग महिला के साथ मारपीट कर पुलिस ने दिव्यांग की बैसाखी तोड़ दी। इससे दिव्यांग को घंटों तक एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ा।

दोनों तरफ से पत्थरबाजी के बीच बैठी दिव्यांग महिला अपनी जान बचाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती रही। पुलिस के मार से दो दर्जन से अधिक महिला-पुरुष गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। इनका इलाज स्थानीय स्तर पर प्राइवेट डॉक्टर कर रहे हैं।

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