शिवपाल यादव की जीत कितनी तय ? …एक मात्र सीट जहां बेरोजगारी पर बात नहीं, क्योंकि यहां नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटी गईं

इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट पूरे प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों से अलग है। अलग इसलिए नहीं कि यहां सपा के शिवपाल यादव लड़ते हैं और जीतते हैं, बल्कि खास इसलिए हैं, क्योंकि यही एकमात्र सीट है, जहां बेरोजगारी मुद्दा नहीं है। दरअसल, यहां नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटी गईं। इसलिए नौकरी की बात कोई नहीं करता है।

जसवंतनगर सीट पर शिवपाल यादव एक बार फिर से मैदान में हैं। भाजपा की तरफ से विवेक शाक्य हैं तो बसपा की तरफ से बृजेंद्र प्रताप सिंह चुनावी मैदान में हैं। 1980 से ही इस सीट पर मुलायम सिंह यादव परिवार का कब्जा है।

इसलिए बेरोजगारी यहां मुद्दा नहीं
इसी विधानसभा क्षेत्र में शाहजहांपुर है। इस गांव में एक साथ 14 लोग लेखपाल भर्ती में चुन लिए गए। इससे पहले पुलिस भर्ती में जसवंत नगर के ज्यादातर गांव के लोग भर्ती हो गए। सपा सरकार में जब शिवपाल यादव सहकारिता मंत्री थे तब उन्होंने जसवंत नगर, सैफई के अलावा पूरे क्षेत्र के लोगों को नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांट दी। इसके बाद जब वे लोक निर्माण विभाग के मंत्री बने तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अपने क्षेत्र के युवाओं को ठेकेदार बना दिया। सालों तक शिवपाल यादव को-ऑपरेटिव फेडरेशन के सभापति रहे। उनके बाद उनके बेटे आदित्य यादव सभापति हैं।

कोऑरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) प्रदेशभर में भंडारगृह चलाता है। इसमें स्टोर इंचार्ज से लेकर मैनेजर तक के कई पदों पर जसवंतनगर विधानसभा के लोग काबिज हैं। वर्तमान में खुद शिवपाल लंबे समय से इटावा के जिला कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष हैं। जिले की कई ब्रांचों में जसवंत नगर के युवाओं को नौकरी पर लगा रखा है।

शिवपाल अब भी धनुआ स्थित राम मनोहर लोहिया इंटर कॉलेज, बिजपुरी खेड़ा के धनीराम वर्मा इंटर कॉलेज, बच्चन सिंह तोमर इंटरकॉलेज बलरई नगलातोर के चेयरमैन हैं। इन कॉलेजों में भी शिवपाल ने अपने क्षेत्र के कई बेरोजगारों को नौकरी पर लगा दिया है। इसमें से कुछ नौकरियां भी लगा दी गई हैं जिन्हें लेकर अब कोर्ट में विवाद चल रहा है।

इस सीट पर चुनाव जातिगत समीकरण के हिसाब से तय हो रहा है। यहां किसकी जीत कितनी तय है, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम जसवंतनगर पहुंची।

लोग बोले-देखना ये होगा कि जीत-हार का अंतर क्या रहेगा
दैनिक भास्कर की टीम ने जब जसवंतनगर में लोगों से बात की तो कुछ लोग तो यह कहते नजर आए कि विकास वगैरह कोई मुद्दा नहीं, न ही नौकरी कोई मांग रहा है यहां, सबके पास है। भाजपा ने शाक्य को टिकट दिया है। ऐसे में कुछ बहुत वोट कट जाए तो अलग बात है। वहीं, कुछ दूर आगे बढ़ने पर लोगों से बातचीत में पता चला कि लोग जीत-हार पर नहीं बल्कि जीत-हार के अंतर पर बात करने लगे। कहा कि इस बार कितने अंतर से जीत तय होगी देखना ये होगा? जब पूछा कि किसकी बात कर रहे तो जवाब यह मिला कि आप नहीं जानते क्या? यहां सब जानते हैं।

जसवंतनगर सीट इटावा जिले की सैफई तहसील और ताखा तहसील समेत कई थानों को मिलाकर बनी है। जसवंत नगर कस्बा आगरा-कानपुर हाईवे के पास बसा है। इसी विधानसभा में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी भी है, जहां आसपास के जिलों के लोग इलाज कराने पहुंचते हैं। जसवंतनगर की रामलीला को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है।

1996 में पहली बार सपा के टिकट पर शिवपाल विधायक बने। शिवपाल यादव के लिए मुलायम सिंह यादव ने यह सीट छोड़ दी थी।
1996 में पहली बार सपा के टिकट पर शिवपाल विधायक बने। शिवपाल यादव के लिए मुलायम सिंह यादव ने यह सीट छोड़ दी थी।

यहां कभी नहीं खिला कमल

  • जसवंतनगर सीट पर 12 चुनावों से मुलायम और शिवपाल का कब्जा।
  • 1967 के बाद से विधायक सिर्फ यादव ही बना।
  • 1962 में नत्थू सिंह PSP के टिकट पर विधायक बने।
  • 1967 में मुलायम पहली बार ASP के टिकट पर विधायक बने।
  • 1969 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के बिसंभर सिंह यादव विधायक बने।
  • 1974 के चुनाव में BKD से लड़े मुलायम सिंह यादव ने बिसंभर सिंह को हरा दिया।
  • 1977 में मुलायम भारतीय लोक दल के टिकट पर लगातार दो बार जीते।
  • 1980 में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव ने मुलायम को हरा दिया।
  • 1980 के बाद मुलायम सिंह यादव कभी नहीं हारे।
  • 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर शिवपाल विधायक बने।
  • 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी शिवपाल जीते। लगातार 5 बार विधायक बने।
जसवंत नगर में यह मैदानी रामलीला का वही ग्राउंड है। यहां की रामलीला को यूनेस्को ने धरोहर का दर्जा दिया है। मैदान में रामलीला समिति की भव्य इमारत बन गई। लेकिन इस पर भी शिवपाल के करीबी लोग ही काबिज हैं।
जसवंत नगर में यह मैदानी रामलीला का वही ग्राउंड है। यहां की रामलीला को यूनेस्को ने धरोहर का दर्जा दिया है। मैदान में रामलीला समिति की भव्य इमारत बन गई। लेकिन इस पर भी शिवपाल के करीबी लोग ही काबिज हैं।
जसवंतनगर में कई काम हुए लेकिन 1857 की क्रांति का गवाह रहे इस बिलैया मठ को लेकर कभी कोई घोषणा तक नहीं की गई। सबसे ज्यादा उपेक्षित यही मठ है।
जसवंतनगर में कई काम हुए लेकिन 1857 की क्रांति का गवाह रहे इस बिलैया मठ को लेकर कभी कोई घोषणा तक नहीं की गई। सबसे ज्यादा उपेक्षित यही मठ है।

विकास की बात करें तो जसवंतनगर की ग्राम पंचायत जगसौरा चलिए। यहां विकास की तस्वीर देखने को मिलती है। यहां के संजय कुमार कहते हैं कि हमारे गांव में पहले के मुकाबले सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है। पहले गांव की गलियों में जहां कीचड़ रहता था। अब गलियां साफ सुथरीं, जल निकासी युक्त व दूसरी समस्याओं का समाधान हुआ है। शशि देवी बताती हैं कि गांव के सरकारी स्कूल चमक उठे हैं। अच्छे कामों को देखकर खुशी होती है।

खेतों में लगे ट्यूबवेल तक सड़क
जसवंतनगर में अपनों को हर हाल में खुश रखने का आलम यह है कि शिवपाल यादव ने कई ऐसी सड़कें भी पक्की बनवा दी जो लोगों के खेतों में ट्यूबवेल तक ही जाती हैं। ऐसी ही एक सड़क परसौवा में बनवाई गई थी। इस सड़क पर अब लोगों की आवाजाही नहीं है। नगलातौर में भी एक ऐसी ही सड़क बनवाई गई है। जसवंत नगर में रामलीला की मढ़ैया में सालभर पहले ही पक्की सड़क बनवाई गई थी।

2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम

  • सपा के शिवपाल सिंह यादव को 1, 26, 834 वोट मिले।
  • BJP के मनीष सिंह को 74, 218 वोट मिले।
  • BSP के दुर्वेश कुमार शाक्य को 24, 509 वोट मिले।

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