Food in Shatabdi Express: बाहर जो खाना मिलता है सौ रुपए में शताब्दी एक्सप्रेस में मिलता है दो सौ रुपए में

शताब्दी एक्सप्रेस में 185 से 245 रुपए में यात्रियों को जो खाना परोसा जा रहा है,वही भोजन खुले बाजार में 110 से 125 में मिलरहाहै।

ग्वालियर। लक्जरी ट्रेनों में शुमार और देश की पहली शताब्दी एक्सप्रेस होने का खिताब अपने नाम करने वाली ट्रेन में 185 से 245 रुपए में उच्च वर्ग के यात्रियों को जो खाना परोसा जा रहा है, वही भोजन खुले बाजार में 110 से 125 रुपए में मिल रहा है। जो यात्री मजबूरन या दिखावे के लिए ट्रेन में भोजन का विकल्प ले भी रहे हैं, उनके साथ खुलेआम लूट जैसी स्थिति हो रही है। चूंकि ट्रेन में खाने के लिए अन्य कोई विकल्प मौजूद नहीं होता है, ऐसे में जरूरत पड़ने पर लोग ज्यादा दाम चुकाकर यह खाना ले रहे हैं। यही कारण है कि ग्वालियर से इस ट्रेन में यात्रा करने वाला हर तीसरा आदमी टिकट में खाने के विकल्प को ठुकरा रहा है।

ग्वालियर से भोपाल तक यात्रा करने पर वातानुकूलित चेयर कार में यात्रियों से 185 रुपए का शुल्क लिया जाता है। इसमें यात्री को टमाटर सूप के साथ दो ब्रेड स्टिक स्टार्टर के तौर पर दी जाती हैं। इसके बाद मेन कोर्स में दो परांठे, 120 ग्राम दाल, 120 ग्राम पनीर की सब्जी, 100 ग्राम चावल, 80 ग्राम दही व अचार का सैशे दिया जाता है। वहीं मीठे के तौर पर 90 मिली आइसक्रीम का कप दिया जाता है। वहीं एक्जीक्यूटिव क्लास में 245 रुपए का चार्ज लिया जाता है। इसके एवज में स्टार्टर में टमाटर के बजाय मिक्स वेजीटेबल सूप व दो ब्रेड स्टिक दी जाती हैं। मेन कोर्स में यात्रियों को दो परांठे, 150 ग्राम दाल, 150 ग्राम पनीर की सब्जी, 100 ग्राम चावल, 100 ग्राम दही व अचार का सैशे दिया जाता है। इसके अलावा गुलाबजामुन या रसगुल्ला मीठे के तौर पर दिया जाता है। यात्रियों को इसके साथ ही आधा लीटर पानी की बोतल दी जाती है। नई दुनिया ने इस मामले में शहर के अलग-अलग कैटरिंग संचालकों से बात की, तो वे 185 रुपए का भोजन 110 रुपए में जीएसटी सहित और 245 रुपए का भोजन 125 रुपए में देने के लिए तैयार हो गए।

-आइआरसीटीसी संभालती है कैटरिंग की सुविधा-

शताब्दी, राजधानी, दुरंतो एक्सप्रेस जैसी लक्जरी ट्रेनों में कैटरिंग की सुविधा इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म डेवलपमेंट कार्पोरेशन द्वारा संभाली जाती है। नई दिल्ली-रानी कमलापति शताब्दी एक्सप्रेस में पानी, अचार, दही के अलावा दिल्ली से ग्वालियर के बीच दिए जाने वाली नाश्ते की सामग्री दिल्ली से ही ट्रेन में चढ़ाई जाती है। ग्वालियर में शताब्दी एक्सप्रेस की बेस किचन है, जहां से परांठे, सब्जी, दाल, चावल जैसा पका हुआ भोजन ट्रेन में रखा जाता है। इसी प्रकार दोपहर में जब ट्रेन वापस दिल्ली के लिए चलती है, तो भोपाल से पैक्ड फूड, सैंडविच, समोसा आदि खाद्य सामग्री ट्रेन में रखी जाती है और फिर ग्वालियर से पका हुआ भोजन रखा जाता है।

-विकल्प और हैं, लेकिन उपयोग में दिक्कत-

आइआरसीटीसी द्वारा ट्रेन में ई-कैटरिंग सुविधा का संचालन भी किया जाता है। यात्री चाहें, तो आनलाइन भुगतान कर अपनी पसंद का भोजन आर्डर कर सकते हैं और संबंधित स्टेशन पर यह खाना उनकी सीट तक पहुंचाया जाता है। यात्री आमतौर पर अन्य ट्रेनों में इस सुविधा का लाभ लेते हैं, लेकिन शताब्दी एक्सप्रेस में इसके उपयोग में व्यवहारिक दिक्कत रहती है। दरअसल, यह ट्रेन चुनिंदा स्टेशनों पर रुकती है। वहां इसका स्टापेज दो से तीन मिनट का ही रहता है। यह समय यात्रियों के चढ़ने-उतरने में खर्च हो जाता है। इसके चलते भोजन सीट पर आने में संशय की स्थिति बनी रहती है।

वर्जन

110 रुपए में देंगे भोजन

शताब्दी एक्सप्रेस के मेन्यू के हिसाब से हम 110 रुपए में जीएसटी सहित भोजन देंगे। इसमें 100 रुपए का भोजन, पांच रुपए की पैकिंग सामग्री और पांच रुपए जीएसटी के होंगे।

(शहर के कैटरिंग संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।)

भोजन के मुकाबले पैसा अधिक है

मैं शताब्दी एक्सप्रेस से अक्सर भोपाल तक यात्रा करता हूं। इस ट्रेन में भोजन के मुकाबले कैटरिंग चार्ज ज्यादा वसूला जा रहा है। इसके कारण लोग यह खाना लेना पसंद नहीं करते हैं। ट्रेन में बाजार के मुकाबले खाना बहुत महंगा है।

डा. राजेश गुप्ता, यात्री

सुझाव आए, तो अमल करेंगे

ट्रेनों में भोजन के मेन्यू से लेकर उसकी राशि रेलवे बोर्ड द्वारा तय की जाती है। यात्री की मर्जी है कि वह भोजन लेना चाहता है या नहीं। जहां तक कैटरिंग चार्ज की बात है, तो यात्रियों के सुझावों के आधार पर उनमें फेरबदल किया जाएगा।

आनंद कुमार झा, जनसंपर्क अधिकारी आइआरसीटीसी

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