कोरोना की वजह से बच्चे लिखना भूल गए, हाथों की स्पीड हो गई कम; जानिए कैसे डालें दोबारा ये आदत
मैं यह खबर लैपटॉप से टाइप कर रही हूं। ऐसा इसलिए, क्योंकि ऑफिस में खबर लिखने का यही पैटर्न है। कई साल की नौकरी के बाद हाथ से लिखने की आदत थोड़ी छूट गई है। आज सुबह अचानक मेरे दोस्त नितिन का कॉल आया। उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से 2 साल से उनकी बेटी ऑनलाइन क्लास में ही पढ़ाई करती है। इसलिए वो लिखना भूल गई है। कुछ समय पहले नितिन की बेटी ने ऑफलाइन परीक्षा दी। लिखते हुए उसकी उंगलियों में दर्द शुरू हो गया और लिखने की स्पीड कम हो गई।
बच्चे लिखना क्यों भूल गए?
इसकी सबसे बड़ी वजह है ऑनलाइन क्लास का शुरू होना। ऑनलाइन परीक्षा से भी बच्चों का मानसिक विकास कमजोर हो गया। ऑनलाइन क्लास में बच्चे कई बार कम्प्यूटर या मोबाइल का कैमरा ऑफ कर देते हैं। इससे टीचर को पता ही नहीं चलता है कि आखिर बच्चा पढ़ाई पर ध्यान दे रहा है या नहीं। बच्चों को होमवर्क की भी टेंशन नहीं रहती है। उन्हें अच्छी तरह से पता है कि अगले दिन कोई टीचर कॉपी चेक नहीं करता है।
हैंडराइटिंग से रिलेटेड समस्याएं कौन-कौन सी है?
- किसी भी अक्षर को छोटा या बड़ा लिखना।
- एक लाइन में लिखने के बजाय ऊपर-नीचे लिखना।
- एक-एक शब्द के बीच ज्यादा जगह छोड़कर लिखना।
- गलत दिशा में लिखना।
- गलती होने पर अक्षरों को गंदे तरीके से काटना।
- एक के ऊपर एक यानी ओवर राइटिंग करना।
BYJU’s की टीचर गरिमा अरोड़ा कहती हैं कि टीचर और पेरेंट्स दोनों को मिलकर बच्चों की जिम्मेदारी उठानी होगी। ताकि वो जल्द ही अपने लिखने की आदत को दोबारा डेवलप कर सकें। जब बच्चे घर में हैं, तब पेरेंट्स को यह देखना चाहिए कि वे ऑनलाइन पढ़ाई को गंभीरता से ले रहे हैं कि नहीं और टीचर्स को भी बच्चों को लिखने के अलग-अलग टास्क देने चाहिए।
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हैंडराइटिंग सुधारने के तरीके
- बच्चा पेन और पेंसिल नहीं पकड़ता तो ग्रिप को चेक करें। अगर बच्चा पेन या पेंसिल को अंगूठे, मध्यमा अंगुली और तर्जनी उंगुली से पकड़ रहा है तो ठीक है।
- पेंसिल या पेन को बहुत टाइट से पकड़ने पर हाथ थक जाता है और राइटिंग खराब होने लगती है।
- फटाफट होमवर्क खत्म करो, इस बात का दवाब न डालें। इस चक्कर में बच्चे राइटिंग खराब करते हैं। उनसे होमवर्क खेल-खेल में करवाएं।
- बच्चों को पहले किसी भी शब्द का एक-एक अक्षर लिखना सिखाएं और फिर पूरे शब्द को एक साथ लिखना। इसमें थोड़ा समय लग सकता है। इस दौरान बच्चे को बताएं कि दो अक्षरों और दो शब्दों के बीच कितनी जगह छोड़नी चाहिए।
नहीं लिखने की वजह से कौन-कौन से नुकसान हुए हैं?
- बच्चे क्लास में ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।
- स्मार्टफोन से पढ़ाई की आदत पड़ चुकी है।
- राइटिंग बिगड़ गई है।
- ग्रामर की गलतियां ज्यादा करने लगे हैं।
- पेन/पेंसिल से लिखने की स्पीड कम हो गई है।
- लिखने पर हाथ दर्द होने लगे हैं।
- कहां से लिखना शुरू करें, ये सोचने की क्षमता कम हो गई है।
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टीचर और पेरेंट्स बच्चों को कैसे प्रोजेक्ट्स दें?
- अपने किसी दोस्त को लेटर लिखने के लिए कह सकते हैं।
- कविता लिखवाएं और सबसे अच्छा लिखने वाले को प्राइज दें।
- अलग-अलग तरह के कार्ड बनाएं और उसमें अच्छी बातें लिखने को कहें।
- ड्रॉइंग बनाकर उसका शीर्षक लिखने के लिए कहें।
क्या कहती है रिसर्च?
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने ऑल इंडिया स्कूल एजुकेशन पर एक सर्वे किया। जिसमें मार्च 2020 से फरवरी 2021 के बीच लगभग 10 हजार सरकारी और प्राइवेट स्कूल के बच्चे शामिल थे। सर्वे में शामिल बच्चों में कक्षा चार से दसवीं तक के बच्चे मौजूद रहे।
रिसर्च में पाया गया कि ऑनलाइन कक्षाओं की वजह से बच्चों की हेंडराइटिंग खराब हो चुकी है। क्योंकि उन्होंने नोटबुक में लिखने के बजाय मोबाइल/कम्प्यूटर पर अपने शिक्षकों की बात सुनने पर ज्यादा ध्यान दिया। दो- तीन लाइन लिखने के बाद बच्चे आगे नहीं लिख पा रहे हैं। उनके सोचने की क्षमता पर भी ऑनलाइन कक्षाओं का बुरा असर पड़ा है।