Bhind … पीएम आवास कॉलोनी में नही हैं ये सुविधाएं …. पीएम आवास कॉलोनी बसाकर भूली नपा, बिजली, पानी, सड़क की सुविधा नहीं, 65% मकान खाली
शहर से सात किलोमीटर दूर बीहड़ में नगरपालिका ने प्रधानमंत्री आवास की कॉलोनी तो बसा दी। लेकिन यहां निवास करने वाले परिवारों को सुविधा देना भूल गई। स्थिति यह है कि इस कॉलोनी तक पहुंचने के लिए नगरपालिका ने न तो अब तक पक्का पहुंच मार्ग बनाया है और न ही परिवहन की कोई सुविधा प्रारंभ की है। परिणामस्वरुप कॉलोनी के 65 फीसदी मकानों में अभी भी ताला लगा हुआ है। वहीं इन मकानों के मालिक आज भी शहर के अंदर किराए के घर में रहने को मजबूर हैं।
दो दिन पहले ही प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने वर्चुअल रुप से प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत प्रदेश के 50 हजार हितग्राहियों का गृह प्रवेश कराया। साथ ही 30 हजार नए स्वीकृत आवासों का भूमिपूजन भी किया।
ऐसे में दैनिक भास्कर भिंड शहर की प्रधानमंत्री आवास कॉलोनी की हकीकत जानने पहुंचा। जहां हालात काफी चौंकाने वाले मिले। इस कॉलोनी में 562 मकान बनकर तैयार हैं। लेकिन 60 फीसदी मकानों में सिर्फ ताला लटका हुआ है। इनमें कोई भी परिवार निवास नहीं कर रहा है। बल्कि इन मकानों के मालिक आज भी अपने परिवार के साथ शहर के अंदर किराए के घरों में रहने को मजबूर है।
घरों पर मीटर लगाए, नहीं किया बिजली का कनेक्शन
इस कॉलोनी में निवास करने वाले लोगों की मानें तो यहां बिजली के लिए घरों पर मीटर तो लग गए हैं। लेकिन उनमें कनेक्शन नहीं है। ज्यादातर लोग ट्रांसफार्मर से सीधे तार डालकर बिजली का उपयोग कर रहे हैं। वहीं कई गलियों में अब तक पानी की पाइप लाइन नहीं है, जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। बीहड़ में बसी कॉलोनी में सुरक्षा को लेकर कोई पुलिस चौकी तक नहीं है। शहर में लगातार हो रही चोरियों और अज्ञात बदमाशों की फैली दहशत का असर यहां निवास कर रहे लोगों पर भी दिखाई दे रहा है।
3453 आवास स्वीकृति के लिए जांच का इंतजार
- एक ओर प्रधानमंत्री आवास मिलने के बाद सुविधाओं के अभाव में लोग उनमें रहने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर नगरपालिका में आवास के लिए अभी भी लंबी लाइन लगी है। बताया जा रहा है कि पांचवे चरण के 3453 आवास के लिए नगरपालिका से राजस्व अधिकारी को जांच के लिए सूची भेज दी गई है। लेकिन जांच अब तक पूरी न होने की वजह से उनकी स्वीकृति की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। वहीं कई लोग ऐसे हैं तो आवास के लिए रोज नपा के चक्कर लगा रहे हैं।
- शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मार्च 2016 में 458 आवास स्वीकृत हुए थे। इसके उपरांत पिछले छह सालों में अब तक 1863 आवास स्वीकृत हो चुके हैं, जिसमें 30 फीसदी यानि 562 आवास अब तक बनकर तैयार हो पाए है। जबकि 199 मकान अभी निर्माणाधीन है।
खुद का साधन न हो, तो शहर आने करना पड़ता सात किमी का पैदल सफर
प्रधानमंत्री आवास कॉलोनी में निवास करने वाले परिवारों की सबसे बड़ी पीड़ा पहुंच मार्ग और परिवहन सुविधा की है। कारण यह है कि भिंड सर्किट हाउस से रतनूपुरा को जाने वाली सड़क कच्ची है। बारिश के मौसम में सड़क पर दलदल होने के कारण दो पहिया वाहन से भी गुजरना मुश्किल होता है।
हालांकि नगरपालिका से उक्त सड़क स्वीकृत हो चुकी है। लेकिन काम कब शुरु होगा, इसका इंतजार है। वहीं इस मार्ग पर परिवहन की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में कॉलोनी में निवास करने वाले व्यक्ति के पास यदि खुद का कोई साधन नहीं है तो शहर तक आने के लिए सात किलो मीसरकार ने मकान तो दिया, लेकिन सुविधाएं नहीं टर का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है।
सरकार ने मकान तो दिया, लेकिन सुविधाएं नहीं
- हमारी गली में तो पानी की पाइप लाइन ही नहीं है। सब्जी लेने के लिए भी रोज लहार चुंगी तक पैदल जाना पड़ता है। पीछे के घर ज्यादातर खाली है। ऐसे में रात के समय डर लगता है। सुरक्षा को लेकर यहां कोई व्यवस्था नहीं है। – गीता, स्थानीय निवासी
- प्रधानमंत्री आवास के लिए दो बार आवेदन कर चुके हैं। लेकिन अब तक हमारा नंबर नहीं आ पाया है। वर्ष 2018 में आवेदन किया था, जो निरस्त कर दिया। इसके बाद 2019 में आवेदन किया। इसका जवाब अब तक नहीं मिला है।
कमलेश जैन, स्थानीय निवासी
सरकार ने हमें मकान तो दे दिया। लेकिन यहां रहने के लिए सुविधा कुछ नहीं है। शहर यहां से सात किलोमीटर दूर है। बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने के लिए पैदल ही जाना पड़ता है। घरों में मीटर लग गए हैं। लेकिन उनमें कनेक्शन अब तक नहीं हुए हैं।
सत्यवती राठौर, स्थानीय निवासी
सुविधाएं जुटाई जा रहीं
प्रधानमंत्री आवास कॉलोनी में सुविधाएं जुटाई जा रहीं हैं। बिजली, पानी की लाइन बिछ चुकी है। पहुंच मार्ग पक्का बनाए जाने के लिए सड़क स्वीकृत हो गई है। शेष कार्रवाई भी की जा रही है।
सुरेंद्र शर्मा, सीएमओ, भिंड