सिंधिया समर्थकों के चेहरों पर आया नूर, IAS मैडम को चाहिए कलेक्टरी; 9 मंत्रियों को फटकार
तांत्रिक-संत की भविष्यवाणी में समानता से खलबली ….
ग्वालियर में एक जैन संत मुनि ने सार्वजनिक तौर पर भविष्यवाणी कर दी कि आने वाले समय में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने जब यह बात कही, तब सिंधिया उनके सामने बैठे थे, जबकि एक अन्य केंद्रीय मंत्री इस कार्यक्रम में दिल्ली से वर्चुअली जुड़े थे। जैन मुनि के मुख से सिंधिया का राजनीतिक कद बढ़ने की उम्मीद से उनके समर्थकों के चेहरे पर नूर आ गया है। एक नेता ने कहा- बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने उनकी काबिलियत को पहचान लिया है।
दरअसल, जैन मुनि की भविष्यवाणी को उज्जैन के एक तांत्रिक की भविष्यवाणी से जोड़कर देखा जा रहा है। इस तांत्रिक के शिष्य शिवराज सरकार के एक मंत्री हैं। तांत्रिक ने इस मंत्री से पिछले साल अक्टूबर में कहा था- अगले साल (2022) मार्च के बाद से मध्यप्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल होगी। सुना है कि मंत्री ने यह बात संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी बताई थी। इसके बाद ही संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी ने अपना स्थाई ठिकाना भोपाल में बनाने का फैसला किया था। अब सत्ता-संगठन में तांत्रिक-जैन मुनि संत की भविष्यवाणियों को जोड़कर देखा जा रहा है।
मंत्री के बंगले में राजशाही इंतजाम
एक केंद्रीय मंत्री का सरकार में जलवा लगातार बढ़ता जा रहा है। वैसे तो किसी भी विभाग में उनका कोई काम नहीं रुकता, लेकिन उनके बंगले में सरकारी खजाने से राजशाही साजो-सामान जुटाए जा रहे हैं। वैसे भी मंत्रीजी के ठाठ भी विरासत में मिले हैं, लेकिन एक समय ऐसा था, जब मंत्रीजी को अपनी पसंद का बंगला मिलने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। अब उनका बढ़ता रुतबा और भविष्य को देखते हुए अफसर नियमों को दरकिनार करने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। बंगले के लिए करीब 48 लाख रुपए के काम स्वीकृत हुए, लेकिन विभाग के अफसर आउट ऑफ वे जाकर काम कर रहे हैं। सुना है कि अब तक 2 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च हो चुकी है। खास बात, यह जानकारी ‘सरकार’ तक पहुंच गई है।
दिल्ली में बेकाम रहे, यहां भी नहीं मिला रुतबा
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे एक सीनियर आईएएस अफसर को लेकर महकमे में चर्चा हो रही है। पहले खबर फैल गई कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय की कमान देने के लिए दिल्ली से वापस बुलाया जा रहा है, लेकिन उन्हें छोटे डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी दे दी गई। असलियत अब बाहर आई है कि दिल्ली में वे जिस विभाग में पदस्थ थे, वहां पिछले 6 महीने से कोई काम नहीं था। ऐसे में एमपी लौटने की छटपटाहट होना लाजिमी है। ऐसे-तैसे वे भोपाल लौट आए। जब वे प्रतिनियुक्ति पर गए थे, तब उनके पास बड़ा विभाग था, लेकिन लौटने के बाद विभाग के हिसाब से कद छोटा कर दिया गया है।
चाहते थे सत्ता में जगह, मिला संगठन में पद
बीजेपी ने हाल ही में प्रदेश कार्यसमिति में पद बढ़ाकर छह नेताओं को एडजस्ट किया है। इनमें से दो ऐसे हैं, जिसका संघ से ताल्लुक है। वे चाहते थे सत्ता में भागीदारी, लेकिन ‘सरकार’ रोड़ा बन गए। खास बात तो यह है कि दोनों नेता जिसके साथ ‘सरकार’ पर दबाव बना रहे थे, उन्हें तो निगम-मंडल में पद मिल गया, लेकिन सूची में इनका नाम नहीं था। बाद में पता चला कि जिसके सहारे वे पद हासिल करना चाहते थे, उसे पता था- संगठन के करीबी होने के कारण इन्हें सरकार में पद नहीं मिलेगा। हालांकि, दोनों को अब संगठन में एडजस्ट कर संतुष्ट किया गया है।
आईएएस मैडम चाहती हैं आखिरी ओवर में चौके-छक्के मारना
एक महिला आईएएस अफसर इन दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय के चक्कर लगाती देखी जा रही हैं। अंदरखाने की खबर है कि वह किसी जिले की कलेक्टरी चाहती हैं। वजह यह है कि कलेक्टर बनने का उनके पास आखिरी मौका है। वह चाहती हैं कि भले ही छोटे जिले की कमान मिले, लेकिन मिल जाए। क्योंकि कुछ महीने बाद उन्हें प्रमोशन मिल जाएगा तो उन्हें मंत्रालय में पदस्थ होना पड़ेगा। सुना है कि मंत्रालय की चौथी मंजिल से सकारात्मक जवाब नहीं मिलने के बाद ही मैडम ने मुख्यमंत्री कार्यालय का रुख किया है। उनके यहां पहुंचने से पहले उनकी मंशा का पता चल गया। सुना है कि मैडम आखिरी ओवर में चौके-छक्के लगाना चाहती हैं, लेकिन यहां भी उन्हें अभी तक निराशा ही हाथ लगी है।
और अंत में…
मुंह दिखाई पर 9 मंत्रियों को मिली फटकर
शिवराज सरकार के मंत्रियों को संगठन ने रडार पर ले लिया है। वजह है- निर्देशों को हल्के में लेना। हुआ यह है कि संगठन ने विधायकों व मंत्रियों को पार्टी द्वारा चलाए गए बूथ विस्तारक अभियान में चलाने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन इसमें से 60 में से ज्यादा विधायकों ने इस अभियान में सिर्फ मुंह दिखाई की। इसमें 9 मंत्री भी शामिल हैं। बीजेपी दफ्तर में विगत दिवस हुई बैठक में इन मंत्रियों को बाकायदा खड़ा किया गया। इन्हें प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की न केवल नसीहत का सामना करना पड़ा, बल्कि उनकी फटकार से भी दो चार होना पड़ा है। अब उनसे साफ-साफ कह दिया गया है कि या तो वे संगठन के हिसाब से सक्रियता दिखाएं या फिर आराम करें।