बिहार: ‘चमकी’ से मरने वाले बच्चों की संख्या हुई 95, क्या अस्पतालों में डॉक्टर और दवाओं की है भारी कमी

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मरनेवालों बच्चों की संख्या शनिवार तक 95 हो गई है। लगातार हो रही बच्चों की मौत का यह आंकड़ा पिछले 15 दिनों तक का है। मुजफ्फरपुर में रविवार सुबह से चमकी बुखार से छह और बच्चों की मौत हो गई है। गर्मी बढ़ने से सुबह से गंभीर हाल में बच्चे को अस्पतालों में लाए जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

अब तक चमकी बुखार के 297 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 95 बच्चों ने दम तोड़ दिया। हालांकि विभागीय रिपोर्ट के अनुसार अभी 220 मामले ही सामने हैं जिनमें 62 बच्चों की मौत हुई है।

चमकी से मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच, केजरीवाल अस्पताल के वार्ड-आईसीयू फुल

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल के वार्ड-आईसीयू फुल हो गए हैं। इसी बीच मुजफ्फरपुर में बीमारी का जायजा लेने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पहुंच गए हैं। उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कई आला अधिकारी और विशेषज्ञ भी साथ में आए हैं। यहां बता दें कि मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में अब तक 95 से अधिक बच्चों की मौत चमकी बुखार और एईएस से हो चुकी है।

एसकेएमसीएच में डॉक्टर की कमी और बंदइंतजामी

ऐसा कहा जा रहा है कि एनसिफलाइटिस के चलते यह मौत हो रही है। उधर, चमकी बुखार का का इलाज मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में करा रहे बच्चों के परिजनों को समझ नहीं आ रहा है कि वे इस स्थिति से मुकाबला कैसे करें। उसकी वजह ये हैं कि हॉस्पीटल के आईसीयू वॉर्ड तक भी डॉक्टरों की भारी कमी है। न बच्चों को ठीक से देखा जा रहा है और न ही उन्हें समय पर दवाएं दी जा रही है।

चमकी बुखार पीड़ित बच्चों पर डॉक्टर नहीं दे रहे पूरा ध्यान

समाचार एजेंसी एएनआई ने चमकी बुखार पीड़ित बच्चे के एक पिता के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा- यहां पर मरीजों के लिए ठीक से व्यवस्था नहीं की गई है। डॉक्टरों बच्चों पर ठीक से ध्यान नहीं दे रहे हैं। हर घंटे बच्चे दम तोड़ रहे हैं। पिछली रात 12 बजे से कोई डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं है, सिर्फ कुछ नर्स ड्यूटी कर रही हैं।

बिहार सरकार ने माना, इस आपातकालीन स्थिति में आईसीयू और बेड की है कमी

उधर, बिहार में चमकी बुखार से लगातार हो रही मौत, अस्पतालों की बदइंजामी और सरकार की गंभीरता पर उठ रहे सवालों के बीच बिहार के मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि सरकार शुरू से ही इस पर काम कर रही है। दवाओं को कोई कमी नहीं है। हालांकि, वर्तमान आपातकालीन स्थिति को देखते हुए आईसीयू और बेड की कमी है।

‘एसकेएम में संसाधान कम, सरकार गंभीर नहीं’

चमकी बुखार से हो रही मौत और पीड़ित बच्चों के देखने के लिए लगातार पार्टियों के नेताओं के आने का सिलसिला बना हुआ है। शनिवार को सबसे पहले राष्ट्रीय जनता दल की टीम दोनों अस्पतालों में पहुंची। इसमें राजद के अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे, साहेबगंज के विधायक पूर्व मंत्री रामविचार राय, औराई विधायक सुरेन्द्र राय पहुंचे। प्रोफेसर पूर्वे ने कहा कि एसकेएमसीएच में संसाधानों की भारी कमी ह

एसकेएमसीएच में नहीं बन पाया सौ बेड का विशेष एईएस वार्ड..केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद बीते पांच वर्षों में एसकेएमसीएच में सौ बेड का विशेष एईएस वार्ड नहीं बन सका है। इस वार्ड के निर्माण के लिए सरकार ने राशि भी उपलब्ध करा दी है। फिलहाल, ईएनटी वार्ड के ऊपरी मंजिल पर सौ बेड का पीआईसीयू वार्ड बनाना था। इस विशेष वार्ड के नहीं बनने से चार जगहों पर चमकी-बुखार से पीड़ित बच्चों को रखकर उनका इलाज किया जा रहा है। इससे बच्चों के इलाज में डॉक्टरों व नर्स आदि को परेशानी हो रही है।

फिलहाल, एसकेएमसीएच में दूसरी व तीसरी मंजिल पर दो-दो पीआईसीयू बनाया गया है। चार जगहों पर बीमार बच्चों के होने पर इलाज के लिए डॉक्टरों को भी भाग-दौड़ करनी पड़ रही है। पीड़ितों की संख्या और बढ़ने पर उनको आईसीयू वार्ड में भी रखना पड़ सकता है।

इधर, एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही ने बताया कि मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए पांच साल पूर्व सौ बेड के पीआईसीयू बनाने का निर्देश केंद्र सरकार ने दिया था। इसके लिए जगह का भी चयन कर लिया गया था। बीएमईसीआई को वार्ड का निर्माण करना था। लेकिन, किसी कारण से अब तक वार्ड तैयार नहीं हो सकता है। जगह की कमी के कारण फिलहाल चार जगहों पर पीआईसीयू बनाया गया है। इससे मरीजों के इलाज में काफी कठिनाई हो रही है। विशेष वार्ड के बनने से एक साथ बच्चों को रखने व उनके इलाज में सुविधा होती।

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