महिला IPS अफसर शिवा के सफलता की कहानी …. तीसरी में पढ़ने के दौरान ही कागज की चिट पर लिखा था अफसर बनूंगी…

मकान नीलाम हो गया और फीस के पैसे नहीं थे, लेकिन तीसरी में पढ़ने के दौरान ही कागज की चिट पर लिखा था अफसर बनूंगी…

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है…। इन पंक्तियों को कानपुर में तैनात एक महिला ट्रेनी आईपीएस अफसर ने चरितार्थ कर दिया। हम बात कर रहे हैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली आईपीएस अफसर शिवा सिंह की। जिनके पास फीस जमा करने के पैसे नहीं थे, बचपन में पिता के व्यापार में घाटा होने के बाद बैंक ने मकान नीलाम कर दिया। लेकिन वह हौसला नहीं हारी और तीसरी में पढ़ने के दौरान ही कागज की चिट पर लिख दिया था कि Become an IAS ऑफिसर…। और दूसरी बार में ही सफलता हासिल कर ली। अब 2020 बैच की वह तेज तर्रार आईपीएस अफसर हैं। महिला दिवस पर आईपीएस अफसर शिवा सिंह पर  …… की खास रिपोर्ट…।

आईपीएस शिवा सिंह ने तीसरी में पढ़ाई के दौरान कागज पर लिखा था आईएएस अफसर बनूंगी।
आईपीएस शिवा सिंह ने तीसरी में पढ़ाई के दौरान कागज पर लिखा था आईएएस अफसर बनूंगी।

मां ने पर्स में संभाल कर रखी थी वो सफलता वाली कागज की चिट

आईपीएस अफसर शिवा सिंह ने बताया कि मुझे तो याद भी नहीं है कि मैंने तीसरी या चौथी कक्षा में पढ़ने के दौरान कागज की चिट पर लिखा था कि आईएएस अफसर बनूंगी। मां साधना सिंह कहती थीं कि जो भी लक्ष्य हो उसे कागज पर लिखकर सामने रखना चाहिए। इससे उस लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसी तरह मां की प्रेरणा से मैं अपने लक्ष्य को कागज में लिखकर पढ़ाई करती रही। तमाम परेशानियों के बाद भी माता-पिता के हौसलों से सफलता हासिल कर ली। मुझे तो याद भी नहीं था कि बचपन में पढ़ाई के दौरान कागज की चिट पर कुछ ऐसा भी लिखा था, लेकिन मेरी मां ने उस चिट को संभाल कर रखा था। आईपीएस अफसर बनने के बाद जब मां ने उस कागज को मुझे दिखाया तो वह मेरे लिए बेहद भावुक पल था, मां की आंखों में भी आंसू आ गए थे। उस पल मेरे दिमाग में बचपन की वो बातें इकदम से कौंध उठीं।

आईपीएस शिवा सिंह।
आईपीएस शिवा सिंह।

जब दोस्तों ने जमा की थी टेस्ट सिरीज की फीस

पढ़ाई के दिनों का संघर्ष बताते-बताते आईपीएस अफसर शिवा भी काफी भावुक हो गईं। उनका भी गला भर आया। उन्होंने बताया कि उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। उनके पास दिल्ली में कोचिंग की फीस तक के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए दोस्तों ने हौसला ही नहीं दिया बल्कि टेस्ट सिरीज की फीस तक जमा की थी। इसके चलते वह अपनी सफलता का श्रेय सिर्फ माता-पिता को ही नहीं अपने दोस्तों को भी देती हैं। जिन्होंने उन्हें संघर्ष के दिनों में इतनी मदद की और आज वह इस मुकाम पर पहुंच सकी हैं।

कानपुर की डीएम नेहा शर्मा के साथ आईपीएस शिवा सिंह।
कानपुर की डीएम नेहा शर्मा के साथ आईपीएस शिवा सिंह।

बेटा-बेटी में नहीं करें भेदभाव

समाज को एक संदेश देना चाहूंगी कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं करना चाहिए। आगे आने वाली पीढ़ी को हम घर से ही समानता का पाठ पढ़ाएं। घर से ही हम शुरुआत करेंगे तो महिला सशक्तीकरण बेहतर हो सकेगा। हम लोगों को मौके बहुत कम मिल पाते हैं, इसलिए हमें जो भी मौका मिले उसे पूरी मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इसके साथ ही बेटियों को भी उनके पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करें।

इसलिए बनीं IPS अफसर

शिवा ने बताया कि मन में एक ख्याल आईएएस बनने का भी था लेकिन जब आईपीएस में चयन हुआ तब मन बदल गया। क्योंकि एहसास हुआ कि पुलिस में महिलाओं की जरूरत है। शिवा का मानना है कि महिला अपराध पर अंकुश लगाने व पीड़ितों से बेहतर तालमेल करने में महिला अफसर की बेहद अच्छी भूमिका होती है। सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को संदेश देते हुए शिवा ने कहा कि असफलता से निराश न हों। बस मेहनत से पढ़ाई करते रहें। एक दिन सफल जरूरत होंगे।

पिता का बिजनेस डूबा तब आई थी आर्थिक तंगी

कानपुर में तैनात आईपीएस अफसर मूल रूप से बिजनौर के स्योहारा कुरी बांगर गांव की रहने वाली हैं। लेकिन उनका रहना गांव में नहीं हुआ है। परिवार के साथ लखनऊ में रहकर ही उन्होंने हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई की थी। शिवा के पिता सत्यपाल सिंह यादव यूपी एग्रो पशु आहार फैक्ट्री गोरखपुर में कार्यरत थे, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस शुरू किया था। बिजनेस में भारी नुकसान होने के चलते पूरा परिवार आर्थिक तंगी की चपेट में आ गया था। इस दौरान ही बैंक ने उनका मकान नीलाम कर दिया था। हांलाकि बाद में उनके पिता बैंक से वह केस जीत भी गए। लेकिन वह पल याद करके आज भी शिवा और उनका परिवार सिहर उठता है।

इस तरह हुई शिवा की पढ़ाई

शिवा ने बताया कि उनके परिवार में पिता सतपाल सिंह, मां साधना सिंह और एक बड़े भाई नवीन सिंह हैं। नवीन एक कंपनी में मार्केटिंग का काम करते हैं। उन्होंने वर्ष 2012 में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की 2014 में कॉमर्स से 12वीं की परीक्षा 97% अंकों के साथ सफलता हासिल की और 2017 में उच्च शिक्षा के लिए वह श्रीराम कॉलेज दिल्ली में शिक्षा ग्रहण करके यूपीएससी परीक्षा में सम्मिलित हुई।

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