धूल और धुंआ फांक रहा ताजमहल …. आगरा में अवैध फैक्ट्रियां उगल रहीं धुंआ, बिजली और प्रदूषण विभाग की मिलीभगत, घरों में चल रहे अवैध कारखाने
ताज ट्रिपोजियम जोन (टीटीजेड)में अवैध फैक्ट्रियां धुंआ उगल रही हैं। प्रदूषण विभाग यह सब देखकर खामोश बना हुआ है। वहीं बिजली विभाग इन्हें बिना देखे कॉमर्शियल कनेक्शन दे रहा है। केवल आगरा ही नहीं, आसपास के कस्बों एवं टीटीजेड के अंतर्गत आने वाले कई शहरों में इसी तरह मानकों की अनदेखी हो रही है। आगरा में ताजमहल के आसपास सबसे ज्यादा प्रदूषण यमुनापार में लगी अवैध कारखाानों से हो रहा है। यहां चोरी छिपे कई कारखाने चल रहे हैं। प्रदूषण विभाग को इसकी खबर है लेकिन मिलीभगत होने से कोई कार्रवाई नहीं होती है। रोहता क्षेत्र में इससे भी बुरा हाल है। यहां दर्जनों घरों में छोटे-छोटे अवैध कारखाने लगे हैं, जो दिन रात धुंआ उगल रहे हैं। इनके बिजली के चार से पांच किलोवाट के कॉमर्शियल कनेक्शन भी हैं। विद्युत सुरक्षा विभाग ने बिना प्रदूषण की एनओसी देखे हुए कनेक्शन जारी कर दिए हैं। आगरा में रोहता, सेवला और देवरी रोड क्षेत्र में और भी बुरा हाल है। यहां कई जगह कबाड को जलाकर कॉपर वायर निकाला जाता है। उससे धुंआ उठता है। कई जगह जूते के कारखानों के आसपास चमड़े कतरनों को जला दिया जाता है। जिसकी बदबू से आसपास के लोगों का जीना दुश्वार है और शहर में भी प्रदूषण बढ़ रहा है। शहर में जगह-जगह उठते धुंए को लेकर विभाग कोई कार्यवाही नहीं करता है।
जगह-जगह खुदाई और निर्माण से उड़ रही धूल
शहर भर में कहीं मेट्रो के लिए खुदाई हो रही है। तो कहीं सड़कें टूटी पडीं हैं। पुराने मकानों का ध्वस्त कर नए मकान बनाए जा रहे हैं। निर्माण के दौरान न पर्दे लगाए जाते हैं ताकि धूल वहीं के वहीं रहे। सड़कों पर भी पानी का छिड़काव नहीं होता है जिससे वाहनों के आवागमन के दौरान धूल न उड़े। कई जगह डलाबघरों में आग लगा दी जाती है, जहां से दिनभर धुंआ उठता है। इन स्थानों बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर विभाग बिलकुल सजग नहीं।
बढ़ता जा रहा प्रदूषण
आगरा में लगातार वायु प्रदूषण(एक्यूआई) बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 24 घंटे में नुनिहाई क्षेत्र में सूक्ष्म कण (पार्टीकुलेट मैटर)187 एवं निलम्बित सूक्ष्म कण ( सस्पेंडेड पार्टीकुलेट मैटर -एसपीएम) 348 दर्ज किया गया। जो कि मानक से काफी अधिक है। रोहता, रामबाग और अन्य क्षेत्रों में भी कमोबेश यही हाल है। यह सभी स्थान ताजमहल से दो से तीन किलो मीटर की दूरी पर स्थित हैं।