people’s की जेब पर भारी पड़ रहे Tolls, हो रही जबरन वसूली

अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड़ का खामियाजा भुगत रही आम जनता

– टोल वसूली के प्रति वर्ष के आंकड़े को देख माथा पीट रही सरकार

भोपाल। प्रदेश के अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड़ का खामियाजा आम जनता भुगत रही है। इससे वाहन चालको की अनावश्यक जेब पर चपत लग रही है। लागत राशि से ज्यादा वसूल चुके ठेकेदार और अधिक से अधिक वसूली में जुटे हैं। अभी यह राशि लोगों को 10 से 15 वर्ष तक इसी तरह से और देना होगा। इतना ही नहीं, अधिकारियों ने अनुबंध में ठेकेदार को प्रति वर्ष Tolls की राशि भी बढ़ाने की छूट दी है। इस संबंध में सरकार से न तो अधिकारियों के निर्णय को पटलते बन रहा है और न ही बीच का रास्ता सूझ रहा है, क्योंकि अधिकारियों ने अनुबंध की शर्तों में सरकार के बचाव के तकनीकी पहलुओं पर ध्यान ही नहीं दिया।

प्रदेश में शिवराज सरकार बनने के बाद अधिकारियों ने ताबड़तोड़ Tolls पर सड़कें देना शुरू कर दिया। क्योंकि उस दौरान प्रदेश के सड़कों की हालत बहुत ज्यादा खराब थी। लोक निर्माण विभाग से लेकर 18 हजार किमी सड़कें एमपीआरडीसी को दे दी गईं। इनमें करीब 5 हजार से लेकर 6 हजार किलोमीटर तक सड़कें टोल पर दे दी गईं। यानी की इन सड़कों से लोगों को वाहन लेकर गुजरने के लिए भारी राशि देना होता है। ये सड़कें पिछले 5 वर्ष पहले से लेकर 17 सालों से टोल पर चल रही हैं, अभी ये 10 से 15 वर्षों तक और Tolls पर चलेगी। अगर हम उदाहरण के तौर पर भोपाल-देवास की सड़क को लें, तो इस पर प्रति दिन 8 से 10 लाख रुपए टोल की वसूली हो रही है। जबकि इस सड़क के निर्माण की लागत राशि 500 करोड़ रुपए से कम थी।

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अधिकारियों ने ऐसे किया ठेकेदारों से गठजोड़
दरअसल जब ये सड़कें खराब हालत में थीं, तो उस दौरान इन सड़कों से जितने वाहन निकलते थे उसी के अनुसार से इन सड़कों पर प्रति दिन Tolls वसूली की गणना की गई। इसी के आधार पर 25 से 30 वर्ष के लिए टोल वसूली के संबंध में ठेकेदारों से अनुबंध किया गया। सड़क बनने के बाद इन पर वाहनों का दबाव करीब 50 गुना बढ़ गया। इसके अलावा प्रति वर्ष 35 गुना नए वाहनों की संख्या भी इन सड़कों पर बढ़ती जा रही हैं। इससे ठेकेदार तो कमाई कर रहे हैं, लेकिन सरकार को करोड़ों रुपए का प्रति वर्ष चूना लग रहा है।
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प्रदेश में 100 से अधिक Tolls
प्रदेश में 5 हजार से 6 हजार सड़कों पर टैक्स वसूली के लिए सौ से अधिक टोल एमपीआरडीसी द्वारा लगाए गए हैं। इन टोलों पर कार से लेकर मल्टी ऐक्शल ट्रक से करीब 25 रुपए से लेकर 500 रुपए तक वसूल किया जाता है। इसके साथ ही टोल की दरें भी प्रति वर्ष रिवाईज की जाती हैं, रेट रिवीजन की दरें अनुबंध के दौरान ही तय कर दी गई हैं। इन टोलों पर एपपी 01, एमपी 02 एमपी 03, अधिमान्य पत्रकार और स्थानीय लोगों तथा कृषि वाहनों को छूट दी जाती है, जिनकी संख्या एक फीसदी भी नहीं होती है।सड़कों पर वाहनों के दबाव का आंकलन पुख्ता करने के बाद ही अनुबंध किया जाए तो अच्छा रहता है। इन सड़के में वाहनों के दबाव का क्या आंकलन किया गया है, यह ठेकेदार के साथ किए गए अनुबंध और शर्तों को देख कर ही पता लगाया जा सकेगा। हां यह बात जरूर है कि सड़कें जैसे ही अच्छी बन जाती हैं तो उनमें वाहनों की आवाजाही पहले की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है।
प्रभाकांत कटारे, सेवानिवृत्त ईएनसी

‘जबरिया’ टोल वसूली: 450 करोड़ में बनी सड़क के वसूल चुके 1662 करोड़, 4 से 20 गुना तक टोल वसूली

लागत से कई गुना वसूल चुके टोल टेक्स

भोपाल. मध्यप्रदेश में टोल के नाम पर वस्तुत: ‘लूट’ चल रही है। इस खेल का खुलासा तब हुआ जब विधानसभा में कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने टोल पर लिखित सवाल पूछा। शुक्रवार को सरकार द्वारा प्रस्तुत जवाब में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। प्रदेश में कई टोल प्लाजा ऐसे हैं जहां निर्माण लागत से 4 गुना टोल टेक्स वसूला जा चुका है। सरकार का तो कहना है कि शर्तों के अनुसार कुछ जगहों पर लागत का 20 गुना टोल वसूला जाएगा।

सदन में कांग्रेस विधायक हर्ष विजय गेहलोत और कुणाल चौधरी ने इस पर सवाल उठाया। विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव ने लिखित जवाब दिया तो हर कोई चौंक उठा। उन्होंने बताया कि टोल टेंडर की शर्तों के हिसाब से ही तय किया गया है।
tax.pngशर्तों के अनुसार टोल अवधि में लागत का 20 गुना टोल वसूला जाएगा। तीनों सड़कों की डीपीआर में पूर्ण में लागत का तीन से चार गुना ज्यादा टोल बताकर टेक्स वसूली की अवधि 25 साल तय की गई थी।

कुणाल चौधरी ने सवाल किया था कि 200 करोड़ से अधिक लागत वाली 9 बीओटी राजमार्ग के अंतर्गत निर्मित सड़कों के नाम बताएं. इसमें टोल शुरु और बंद होने की तारीख, लागत और 31 जनवरी 2022 तक वसूली गई राशि का ब्यौरा भी दें. इस पर मंत्री के जवाब में बताया कि 127 किमी वाले जावरा नयागांव मार्ग 2009 में 450 करोड़ में बना था. टोल वसूली 25 वर्ष तय हुई. इस टोल से अभी तक लागत से चार गुना 1662.75 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं.

जावरा नयागांव मार्ग जैसी अनेक सड़के हैं. लेबड़-जावरा मार्ग पर 31 जनवरी 2022 तक 1484.15 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। इसकी डीपीआर में लागत 420.71 करोड़ रुपए बताई गई, जबकि टेंडर में 471 करोड़ और प्रशासकीय लागत 605.45 करोड़ रु. बताई गई है। इस मार्ग में टोल अवधि 27 अप्रैल 2033 तक है यानि अगले 11 साल तक टोल लिया जाएगा। टोल अवधि के हिसाब से इस सड़क पर टोल वसूली 2900 करोड़ रुपए हो जाएगी।

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