Uttar Pradesh: बांदा में किसान ने लगाई फांसी, सूदखोरों और क्रेडिट कार्ड के 5 लाख कर्ज से था परेशान; 6 साल में 3 हजार सुसाइड

उत्तर प्रदेश के बांदा में आर्थिक तंगी और कर्ज में डूबे किसान ने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कि मृतक ने बेटी की शादी के लिए सूदखोरों व किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लिया था, जिसे वह चुका नहीं पा रहा था जिस वजह से किसान ने फंदा लगा कर जान दे दी.

उत्तर प्रदेश के बांदा (Banda) में आर्थिक तंगी और कर्ज में डूबे किसान ने फंदे से लटककर आत्महत्या (Farmer Suicide) कर ली. बताया जा रहा है कि मृतक ने बेटी की शादी के लिए सूदखोरों व किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लिया था, जिसे वह चुका नहीं पा रहा था जिस वजह से किसान ने फंदा लगा कर जान दे दी. मृतक की पत्नी की चीखें सुनकर मौके पर लोग जमा हुए. पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है.

मामला मटौंध थाना क्षेत्र के दुरेडी गांव का है. यहां के निवासी चुन्नू सिंह पुत्र रंजीत सिंह(50) करीब 10 बीघा जमीन में खेतिहर किसान थे. उन्होंने घर से करीब डेढ़ सौ मीटर दूर स्थित अपने मवेशी बाड़े में जानवर बांधने वाली रस्सी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. पत्नी मुन्नी देवी उन्हें खोजते हुए मवेशी बाड़े में गई, तो छप्पर की लकड़ी से पति का शव लटका मिला. पत्नी की चीखें सुनकर पड़ोसी मौके पर पहुंचे. सूचना पर मौके पर भूरागढ़ पुलिस चौकी इंचार्ज राहुल सिंह पहुंचे. शव कब्जे में लिया. मृतक किसान के भतीजे मोहित सिंह ने बताया कि 2 साल पहले उन्होंने अपनी मजंहाली बेटी क्षमा की शादी करने के लिए सेंट्रल बैंक भवानीपुर से किसान क्रेडिट कार्ड से करीब दो लाख दिए थे. साथ ही सूदखोरों के तीन लाख का कर्ज भी था. इसके बाद से किसान काफी परेशान रहने लगा था.

कर्ज ले रही बांदा के किसानों की जान

बता दें, इससे पहले 28 फरवरी को किसान की आत्महत्या का मामला भी सामने आया था. किसान ने अपने खेत मे लगे बबूल के पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. मृतक के पिता ने बताया कि एक लाख का किसान क्रेडिट कार्ड बना था, चार भाई हैं चारों के बीच में 10 बीघा जमीन है. जमीन में ज्यादा उपज नहीं हुई लगभग दो लाख सूदखोरों से लिया था, कर्ज काफी है इस वजह से वह परेशान रहता था उसके दिमाग में आता था कि मैं कर्ज किस प्रकार भरुंगा.

6 साल में तीन हजार किसान आत्महत्याएं

वहीं, बुंदेलखंड के बांदा में किसान आर्थिक तंगी और कर्ज से परेशान होकर 6 साल के अंदर लगभग तीन हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं. हालांकी, जिलाधिकारी अनुराग पटेल का कहना है कि आत्महत्त्या करना गरीबी का और कर्ज से छुटकारे का हल नहीं है. इंसान को जो मनुष्य का रुप मिला है, वह बहुत ही मूल्यवान है. इस बारे में वरिष्ठ डॉ. अशोक भारद्वाज से बात की तो उन्होंने किसानों से अपील की है कि आत्महत्त्या से यह समस्या दूर न होगी. इसका सामना करना पड़ेगा और इसका हल मेहनत करके निकलना पड़ेगा.

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