कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है भारत, सबसे ज्यादा इन देशों से होती है सप्लाई

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने की संभावना से गुरुवार को इनकार नहीं किया और कहा कि वह बड़ा तेल आयातक होने की वजह से हमेशा सभी संभावनाओं पर विचार करता है.

भारत  वैध तरीके से ऊर्जा खरीदने (Energy Transactions) का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और जो देश तेल के मामले में आत्मनिर्भर हैं या जो स्वयं रूस से तेल आयात करते हैं वे प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत नहीं कर सकते हैं. सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह कहा. भारत की इस रुख को लेकर आलोचना की गई है कि उसने रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल (Crude Oil) खरीदने के लिए रास्ते खुले रखे हैं. इसके बाद यह टिप्पणी सामने आई है.

सूत्रों ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष (Ukraine Conflict) के कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी ने भारत की चुनौतियां बढ़ा दी है. इससे स्वभाविक रूप से प्रतिस्पर्धी दर पर तेल प्राप्त करने को लेकर दबाव बढ़ा है. उन्होंने कहा कि रूस (Russia) बहुत कम मात्रा में भारत को कच्चे तेल का निर्यात करता है जो देश की जरूरत का एक फीसदी से भी कम है. सूत्रों ने कहा कि आयात के लिए सरकारों के बीच कोई समझौता भी नहीं है.

सूत्रों ने बताया कि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है. कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत (प्रति दिन 5 मिलियन बैरल) आयात करना पड़ता है. अधिकांश आयात पश्चिम एशिया (इराक 23 प्रतिशत, सऊदी अरब 18 प्रतिशत, संयुक्त अरब अमीरात 11 प्रतिशत) से होते हैं. सूत्रों ने कहा कि अमेरिका भी भारत के लिए अब कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण स्रोत (7.3 फीसदी) बन गया है.

अमेरिका से आयात बढ़ने की उम्मीद

सूत्रों के मुताबिक, जारी वर्ष में अमेरिका से आयात काफी हद तक बढ़ने की उम्मीद है. उम्मीद है कि लगभग 11 प्रतिशत तक आयात बढ़ सकता है. वहीं, इसकी बाजार हिस्सेदारी 8 फीसदी होगी. सूत्रों ने कहा, ‘भू-राजनीतिक विकास ने हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश की हैं. कुछ कारणों से हमें ईरान और वेनेजुएला से सोर्सिंग बंद करनी पड़ी है. वैकल्पिक स्रोत अक्सर उच्च लागत पर आते हैं.

सूत्रों ने बताया, ‘भारत प्रतिस्पर्धी ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करते रहेगा. हम सभी उत्पादकों के ऐसे प्रस्तावों का स्वागत करते हैं. भारतीय व्यापारी भी सर्वोत्तम विकल्प तलाशने के लिए वैश्विक ऊर्जा बाजारों में काम करते हैं.’ रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद पश्चिमी पाबंदियों की वजह से भारत को रियायती दर पर कच्चा तेल बेचने की पेशकश की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने की संभावना से गुरुवार को इनकार नहीं किया और कहा कि वह बड़ा तेल आयातक होने की वजह से हमेशा सभी संभावनाओं पर विचार करता है.

भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला रूस अकेला नहीं

मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तेल आयात करता है. उसकी जरूरतें आयात से पूरी होती हैं. इसलिए हम वैश्विक बाजार में सभी संभावनाओं का दोहन करते रहते हैं. क्योंकि इस परिस्थिति में हमें अपने तेल की जरूरतों के लिए आयात का सामना कर पड़ रहा है.’ बागची ने कहा कि रूस, भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला प्रमुख आपूर्तिकर्ता नहीं रहा है. उन्होंने कहा, ‘मैं रेखांकित करना चाहता हूं कि कई देश कर रहे हैं. खासतौर पर यूरोप में और इस समय मैं इसे उसपर छोड़ता हूं.’ बागची से जब पूछा गया कि यह खरीददारी रुपये-रूबल समझौते के आधार पर हो सकती है तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस पेशकश की विस्तृत जानकारी नहीं है.

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