रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद का आरोप, बोले- दोनों नेताओं ने पैसे लेकर टिकट दिए, दलित-अल्पसंख्यक मुद्दों पर रहे खामोश
जयंत-अखिलेश डिक्टेटर हैं …
यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सपा-रालोद गठबंधन में बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने जयंत चौधरी के नाम 7 पन्नों का एक पत्र लिख कर बेहद सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। मसूद अहमद ने न सिर्फ चुनाव के दौरान जयंत की ज्यादतियों का जिक्र किया है, बल्कि जयंत और अखिलेश यादव को तानाशाह (डिक्टेटर) तक कह दिया है।
जिलाध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद का कहना है कि पश्चिम यूपी की कई सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान करने में देरी सिर्फ इसलिए हुई, क्योंकि टिकट के बदले रुपए नहीं पहुंचे थे। उन्होंने ये भी आरोप लगाए कि गठबंधन में सपा के प्रत्याशियों को अधिक तवज्जो दी गई। अखिलेश से सम्मान मिलने तक इस गठबंधन को खत्म करने की गुजारिश भी कर डाली।
पैसे लेकर टिकट देने का आरोप
मसूद अहमद ने विधानसभा चुनाव में टिकट बेचने और टिकट देने में मनमानी करने सहित कई आरोप लगाते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे में लिखा है कि पैसे लेकर टिकट देने की वजह से प्रत्याशियों का टिकट फाइनल करने में देरी हुई। साथ ही गठबंधन 50 के करीब सीटें 200 से लेकर 10 हजार वोटों के अंतर से हारा है। विधानसभा में हमारी हार का मुख्य कारण यही रहा कि पैसे लेकर के टिकट जारी किए थे। जो जीतने वाले प्रत्याशी नहीं थे, उनको भी जयंत ने टिकट दिया था।
दलित और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर गठबंधन रहा खामोश मसूद ने पत्र में लिखा है, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के मूल्यों के साथ जाट और मुस्लिम एकता, किसानों, शोषित और वंचित वर्गों के अधिकार के लिए आरएलडी में शामिल हुआ था। मेरी कई बार की चेतावनी के बाद भी चंद्रशेखर आजाद (भीम आर्मी चीफ) को अपमानित किया गया। इससे दलित वोट गठबंधन से छिटककर भाजपा के पक्ष में चला गया। इससे सपा-आरएलडी गठबंधन को नुकसान हुआ।
जयंत के साथ अखिलेश यादव पर भी लगाए आरोप
मसूद अहमद ने लिखा है कि जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव में सुप्रीमो कल्चर को अपनाते हुए संगठन को दरकिनार कर दिया। आरएलडी और सपा के नेताओं का प्रचार में उपयोग नहीं किया गया। वहीं, पार्टी के समर्पित पासी और वर्मा नेताओं का उपयोग भी नहीं किया, जिससे चुनाव में ये मत छिटक गए। साथ ही उन्होंने लिखा कि जौनपुर सदर सीट पर पर्चा भरने के आखिरी दिन तीन-तीन बार टिकट बदले गए। एक सीट पर सपा के तीन कैंडिडेट हो गए। इससे जनता में गलत संदेश गया।
उन्होंने अखिलेश यादव को लेकर लिखा, ‘सपा प्रमुख ने पैसा लेकर अपनी मर्जी से टिकट दिए। इससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ।’