सुप्रीम कोर्ट से गुजरात कांग्रेस को बड़ा झटका, राज्यसभा चुनाव में दखल देने से किया इनकार

नई दिल्लीः गुजरात कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन में दखल देने से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि नोटिफिकेशन आने के बाद केवल इलेक्शन कमिशन में ही इसको चुनौती दी जा सकती है. इससे पहले राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया था. चुनाव आयोग ने दो सीटों पर अलग- अलग चुनाव कराने के अपने फैसले को सही ठहराया. हलफनामे में कहा गया है कि अमित शाह और स्मृति ईरानी द्वारा खाली की गई सीटों पर अलग- अलग चुनाव कराना कानून के मुताबिक है.

चुनाव आयोग 57 सालों से दिल्ली हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलों के मुताबिक ये चुनाव कराता आया है. अब 5 जुलाई को गुजरात की दोनों सीटों पर अलग- अलग चुनाव होंगे. इससे पहले कोर्ट ने 19 जून को चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में कहा है कि 1957 से आयोग राज्य सभा की दो अलग अलग सीटों पर अलग अलग चुनाव करवाता आया है और दिल्ली हाई कोर्ट व बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी पिछले सालों में फ़ैसले दिए हैं जिनमें अलग अलग सीटों पर अलग अलग चुनाव कराना सही बताया था.

गुजरात कांग्रेस के नेता विपक्ष परेशभाई धनानी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 2 सीटों के लिए जारी चुनाव आयोग की अधिसूचना को चुनौती दी थी. उनकी ओर से अमित शाह और स्मृति ईरानी की खाली सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि एक ही दिन दोनों सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराना असंवैधानिक और संविधान की भावना के खिलाफ है. गुजरात से राज्यसभा में खाली हुई दो सीटों पर भी 5 जुलाई को चुनाव होंगे.

दरसअल, चुनाव आयोग की अधिसूचना की मुताबिक अमित शाह को लोकसभा चुनाव जीतने का प्रमाण-पत्र 23 मई को ही मिल गया था, जबकि स्मृति ईरानी को 24 मई को मिला। इससे दोनों के चुनाव में एक दिन का अंतर हो गया। इसी आधार पर आयोग ने राज्य की दोनों सीटों को अलग-अलग माना है, लेकिन चुनाव एक ही दिन होंगे। ऐसा होने से अब दोनों सीटों पर भाजपा को जीत मिल जाएगी। एक साथ चुनाव होते तो कांग्रेस को एक सीट मिल जाती। संख्या बल के हिसाब से गुजरात में राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 61 वोट चाहिए। एक ही बैलट पर चुनाव से उम्मीदवार एक ही वोट डाल पाएगा। इस स्थिति में कांग्रेस एक सीट आसानी से निकाल लेती, क्योंकि उसके पास 71 विधायक हैं.

लेकिन चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक, विधायक अलग-अलग वोट करेंगे. ऐसे में उन्हें दो बार वोट करने का मौका मिलेगा. इस तरह बीजेपी के विधायक जिनकी संख्या 100 से ज्यादा है वे दो बार वोट करके दोनों उम्मीदवारों को जितवा सकते हैं.

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