बुजुर्गों को धमकाने पर भी होगी जेल ..!
मां से मारपीट करने वाले बेटे को उम्रकैद:बुजुर्गों को धमकाने पर भी होगी जेल; ऐसे करें शिकायत …
इस जुर्म के लिए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। बुजुर्ग पहले से ही बीमार थी। वो ऑक्सीजन पर थी।
गोरेगांव के फ्लैट को अपने नाम करवाने के लिए संतोष ने मां के साथ मारपीट की। दूसरे दिन महिला की माैत हो गई।
उस समय बुजुर्ग महिला की बेटी भी वहां मौजूद थी।
भारत में प्रॉपर्टी विवाद के मामले गांव और शहर दोनों ही जगह आम हो गए हैं।
अपने अधिकारों के बारे में सही तरह से जानकारी न होने की वजह से बुजुर्ग वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है।
आज बात सीनियर सिटीजन एक्ट की करते हैं, साथ ही सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सचिन नायक से यह समझते हैं कि प्रॉपर्टी विवाद होने पर किस तरह एक बुजुर्ग खुद को बचा सकता है।
सवाल: सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में कौन लोग आते हैं?
जवाब: जिन लोगों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है, वे सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में आते हैं।
सवाल: सीनियर सिटीजन एक्ट क्या है?
जवाब: सीनियर सिटीजन के संरक्षण के लिए यह एक्ट 2007 लागू किया गया था।
इस एक्ट के तहत बुजुर्गों को फाइनेंशियल सिक्योरिटी, मेडिकल सिक्योरिटी, मेंटेनेंस (जिंदगी जीने के लिए खर्च) और प्रोटेक्शन मिलने का अधिकार है।
आमतौर से बुजुर्ग अपनी प्रॉपर्टी बच्चों को ट्रांसफर कर देते हैं। इसके बाद बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते।
इस सिचुएशन में बुजुर्ग सीनियर सिटीजन एक्ट की मदद ले सकते हैं। अगर कोई सीनियर सिटीजन जो भारत का नागरिक है लेकिन देश के बाहर रहता है वह भी इस एक्ट का इस्तेमाल कर सकता है।
शांति और डिग्निटी के साथ बुढ़ापे में बुजुर्ग जी सके इसका अधिकार संविधान के आर्टिकल 41 और 46 में भी दिया गया है।
बच्चों की जिम्मेदारी है कि वो माता-पिता को ये 4 चीज दें
- खाना
- कपड़ा
- घर
- मेडिकल फैसिलिटी
सवाल: मां की संपत्ति पर बेटे का कितना हक होता है?
जवाब: पैतृक संपत्ति पर बेटा और बेटी दोनों का अधिकार होता है। मां ने कोई संपत्ति खुद अर्जित की है या जो प्रॉपर्टी उनके पति यानी बेटे के पिता ने उनके नाम की है उस पर बेटे का अधिकार तब तक नहीं होगा, जब तक मां उस प्रॉपर्टी को खुद बेटे के नाम न कर दे।
इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है कि अगर मां-बाप चाहे, तभी वो अपने बच्चों को अपनी प्रॉपर्टी दे सकते हैं।
सवाल: दवाब देकर अगर माता-पिता से प्रॉपर्टी अपने नाम करवाना कोई चाहे, तब बुजुर्गाें के पास क्या ऑप्शन है?
जवाब: बुजुर्ग माता-पिता से जबरन प्रॉपर्टी अपने नाम लिखवाना अपराध है। इसकी शिकायत दो तरीके से कर सकते हैं…
पुलिस में शिकायत: उस बेटे या बेटी के खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा 350, 379 , 506 के तहत आपराधिक मामला दर्ज होगा।
वेलफेयर ट्रिब्यूनल: ऐसे मामलों की शिकायत के लिए हर राज्य में स्पेशल ट्रिब्यूनल होता है। जो सब-डिविजनल अधिकारी यानी SDO की रैंक के ऑफिसर की निगरानी में काम करता है।
वे SDO को लिखित में शिकायत कर सकते हैं। शिकायत लिखते वक्त अपना नाम, पता और दूसरे जरूरी जानकारी साफ-साफ लिखनी होगी। शिकायत की सुनवाई के दौरान उस बुजुर्ग के बच्चों को बुलाया जाएगा।
सवाल: अगर किसी बच्चे ने अपने बुजुर्ग माता-पिता को डरा-धमकाकर प्रॉपर्टी अपने नाम कर ली है, तब उनके पास क्या ऑप्शन है?
जवाब: अगर ऐसा करने में बेटा या बेटी सफल हो चुके हैं और इसके बाद उनकी देखभाल भी नहीं कर रहे, उन्हें घर से निकाल दिया है, खाना नहीं देते तब भी वेलफेयर ट्रिब्यूनल मदद करेगा।
वो उस प्रॉपर्टी के ट्रांसफर को शून्य घोषित कर देता है और बच्चों को प्रॉपर्टी से निकल जाने के निर्देश देता है।
सवाल: संपत्ति विवाद और मारपीट को लेकर बुजुर्गों के क्या अधिकार हैं?
जवाब: अगल-अलग सिचुएशन के हिसाब से नियम बनाए गए हैं। आमतौर पर संपत्ति विवाद और मारपीट को लेकर बुजुर्गों के भी वही राइट होते हैं जो एक आम इंसान के होते हैं।
अगर मामला मारपीट का है तो ऐसी स्थिति में वेलफेयर ट्रिब्यूनल में जाकर वो अपने बच्चों के खिलाफ आदेश ला सकते हैं।
जिसमें माता-पिता को परेशान न करने, उनकी प्रॉपर्टी से दूर रहने, उन्हें टॉर्चर न करने और उन्हें गुजारा भत्ता देने का आदेश होता है।
सवाल: बुजुर्गों को मेंटेनेंस के तौर पर ज्यादा से ज्यादा कितने पैसे मिल सकते हैं?
जवाब: ट्रिब्यूनल ये तय कर सकती है कि बुजुर्गों को कितना पैसा मेंटेनेंस के तौर पर उनके बच्चे या रिश्तेदार देंगे। आमतौर पर अधिकतम दस हजार तक देने का प्रावधान है।
सवाल: शराब पीकर अगर कोई बुजुर्ग माता-पिता से झगड़ता है तब वह इसकी शिकायत कहां कर सकते है?
जवाब: अगर शराब पीकर बच्चे अपने माता-पिता से झगड़ा करता है तो इसे इग्नोर करना भारी पड़ सकता है। इसलिए बिना देर किए पुलिस में शिकायत की जानी चाहिए। अगर शराब के नशे में हाथापाई हो रही है तो पुलिस थाने भी ले जा सकती है।
जब तक नशा नहीं उतरेगा उस व्यक्ति को पुलिस थाने में ही रखती है। उसे SDM के पास से जमानत लेनी होगी। ऐसे केस में 151 आईपीसी के तहत मामला दर्ज होता है।
सवाल: आमतौर से प्रॉपर्टी विवाद के केस में बच्चों को कुछ सालों की जेल या जुर्माना होता है, इस केस में उम्रकैद की सजा क्यों सुनाई गई?
जवाब: मुंबई वाले मामले में महिला 88 साल की थी। वो अपनी उम्र की वजह से कमजोर थी। इसके साथ वो बीमार भी थी, ऑक्सीजन के सहारे जी रही थी। ऐसे में उस महिला के साथ बुरा व्यवहार करना, तेज आवाज में बात करना भी जुर्म है।
बेटे ने मारपीट की जिसकी वजह से उनकी जान गई। कोर्ट ऐसे मामलों को गंभीरता से लेता है। इसलिए ऐसा फैसला सुनाया गया कि भविष्य में कोई इस तरह का अपराध न दोहराएं।