इंटरनेट से दुनिया को हिला रहीं महिलाएं ….. केवल 599 रु. लगाएं, वीडियो बनाएं और हजारों कमाएं, तुरंत सेलिब्रिटी बन जाएं

कुकिंग, फैशन, मेकअप का वीडियो आप भी बनाती हैं और आपकी सहेली भी। लेकिन जिसका बेस्ट होता है फॉलोअर्स उसकी ओर तेजी से खिंच जाते हैं। यही वजह है कि आज ढेरों महिलाएं अपने हुनर में चार चांद लगाने के लिए प्रोफेशनल इन्फ्लुएंसर्स बनने की ट्रेनिंग ले रही हैं। उन्हें पता है कि एक बार उन्होंने ऑडियंस के दिल में जगह बना ली, तो फिर घर बैठे मोटी कमाई कर सकती हैं। मनोवैज्ञानिक यह मानते हैं कि इन्फ्लुएंसर्स बनने की चाह रखने वाली महिलाओं में पैसा कमाने के साथ-साथ मूवी स्टार्स की तरह पॉपुलर होने की तमन्ना भी पूरी होती है।

फैशन, ब्यूटी और कुकिंग में लगी ज्यादातर महिलाओं में इन्फ्लुएंसर्स बनने की चाह है।
फैशन, ब्यूटी और कुकिंग में लगी ज्यादातर महिलाओं में इन्फ्लुएंसर्स बनने की चाह है।

शौक से करिश्मा करने की चाहत
बरेली की नेहा मेहरोत्रा को वीडियो बनाने का शौक रहा है। जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन पढ़ने के दौरान उन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर ढेरों डांस वीडियो बनाए और पोस्ट किए। उनकी कुछ सहेलियां कुकिंग के वीडियो भी बना रही थीं।
नेहा बताती हैं कि कम्युनिकेशन की स्टूडेंट होने के कारण वीडियो बनाने में मेरी रुचि थी लेकिन बाद में मैंने सोचा कि क्यों न इसे प्राेफेशन की तरह आजमाया जाए। इसके लिए आज ट्रेनिंग भी ले रही हूं। शुरुआत में मेरे पेरेंट्स को यह अजीब और नया लगता था लेकिन उन्हें भी अहसास हो गया है कि आने वाले समय में यह एक अच्छा करियर ऑप्शन हो सकता है।

एक अनुमान के अनुसार दो-तिहाई भारतीय जनसंख्या इन्फ्लुएंसर्स को फॉलो करती है।
एक अनुमान के अनुसार दो-तिहाई भारतीय जनसंख्या इन्फ्लुएंसर्स को फॉलो करती है।

मशहूर होने की तमन्ना भी दिल में कहीं दबी है
पैनडेमिक से पहले भारत में करीब 40 करोड़ लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े थे। पिछले दो साल में यह आंकड़े और तेजी से बढ़े हैं। एक अनुमान के अनुसार दो-तिहाई भारतीय जनसंख्या इन्फ्लुएंसर्स को फॉलो करती है। युवाओं को यह पता है कि एक बार उनके वीडियो और पोस्ट ने लोगों के दिल में जगह बना ली, तो ब्रांड्स उन तक खुद ही पहुंचेंगे और उनकी चांदी हो जाएगी।

देश में 750 करोड़ की मार्केटिंग इंडस्ट्री पर इन्फ्लुएंसर्स का कब्जा है।
देश में 750 करोड़ की मार्केटिंग इंडस्ट्री पर इन्फ्लुएंसर्स का कब्जा है।

एम्ब्रेस इम्परफेक्शन की फाउंडर और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट दिव्या महेंदू के अनुसार, “इन्फ्लुएंसर्स को पता है कि अगर उनके वीडियो हिट हुए, तो वह मूवी स्टार की तरह पहचाने जाएंगे। इन युवाओं को यह भी पता है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में अगर उन्होंने अपनी पहचान कायम कर ली, तो अच्छे ब्रांड्स उनसे तुरंत जुड़ना चाहेंगे और वह मोटी कमाई करने में कामयाब होंगे। आज कई इन्फ्लुएंसर्स इतने मशहूर हो गए हैं कि बॉलीवुड सेलिब्रिटीज तक उनके फॉलोअर्स हैं। मशहूर कंपनियां या ब्रांड अपने प्रोडक्ट के लिए एंसे ही इन्फ्लुएंसर्स को लपकना चाहती हैं।

जमेशदपुर, रांची, सूरत, बड़ौदा, लखनऊ, कानपुर की महिलाएं भी ट्रेनिंग ले रही है।
जमेशदपुर, रांची, सूरत, बड़ौदा, लखनऊ, कानपुर की महिलाएं भी ट्रेनिंग ले रही है।

55-60% लड़कियां हैं और बाकी लड़के
भारत में इंटरनेट इन्फ्लुएंसर्स की पहली एकेडमी इन्फ्लुएंज़र्ज के सीईओ रितेश धवन कहते हैं कि अभी देश में 750 करोड़ की मार्केटिंग इंडस्ट्री पर इन्फ्लुएंसर्स का कब्जा है। आने वाले सालों में यह कई गुना बढ़ेगा क्योंकि आज युवा रेडियो, टीवी और न्यूजपेपर की तुलना में सोशल मीडिया को अधिक समय दे रहे हैं।

ऐसे में इंटरनेट की ऑडियन्स की पसंद-नापसंद को इन्फ्लुएंसर्स ही प्रभावित करेंगे। हमारी एकेडमी ऐसे युवाओं को वीडियो के जरिए यह ट्रेनिंग देती है कि वह किस तरह से अपनी क्वालिटीज को मांज कर दर्शकों के सामने पेश कर सकते हैं और इस तरह अधिक से अधिक ऑडियन्स को अपना दीवाना बनाने में कामयाब हो सकते हैं।

इन्फ्लुएंसर्स बनने का क्रेज 18 से 22 साल की युवाओं में है।
इन्फ्लुएंसर्स बनने का क्रेज 18 से 22 साल की युवाओं में है।

रितेश स्वीकारते हैं कि भारत में अभी प्रोफेशनल इन्फ्लुएंसर्स की संख्या बहुत कम है। हालांकि इसमें लड़कियों की संख्या अधिक है। भारत में अभी भी केवल 25 हजार प्रोफेशनल इन्फ्लुएंसर्स हैं। इसमें 55-60% लड़कियां हैं और बाकी लड़के हैं। मेंटल एक्सपर्ट दिव्या बताती हैं कि हमारे देश में महिलाओं की आवाज सालों तक दबाई गई है। आज भी समाजिक रूढ़ियों की वजह से वह घर से बाहर नहीं निकल सकती, नौकरी नहीं कर सकती, ऐसे में घर बैठकर अपनी बातों और हुनर को लोगों तक पहुंचाकर अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही हैं। इस तरीके से वह पूरी दुनिया से कनेक्ट हो सकती हैं।

भारत में अभी भी केवल 25 हजार प्रोफेशनल इन्फ्लुएंसर्स हैं।
भारत में अभी भी केवल 25 हजार प्रोफेशनल इन्फ्लुएंसर्स हैं।

केवल बड़े शहरों की ही नहीं छोटे शहरों की लड़कियां भी वीडियो बनाने के अपने शौक को प्रोफेशन की तरह देख रही हैं। रितेश स्वीकारते हैं कि आज वुमन इन्फ्लुएंसर्स अधिक दिख रही है। इसकी वजह है ब्यूटी, वेलनेस, फैशन और लाइफस्टाइल के वीडियो अधिक देखे और बनाए जा रहे हैं। इस तरह के वीडियोज ज्यादातर महिलाएं ही बना रही हैं। पश्चिमी देशों में भी शुरुआत कुछ ऐसी ही रही है। हमारी एकेडमी से जुड़ने वाली ज्यादातर लड़कियां छोटे शहरों से हैं। इसमें जमेशदपुर, रांची, सूरत, बड़ौदा, लखनऊ, कानपुर, पटना, पंजाब के खन्ना की भी महिलाएं हैं। इनकी उम्र 18 से 22 साल की है।

कैसे बनाया जाता है हुनरमंद
आज बहुत सारे लोग इंटरनेट पर मौजूद वीडियोज देख कर इंफ्लुएंसर्स बन रहे हैं। ऐसे में एकेडमी खोलकर ट्रेनिंग देने के बारे में रितेश बताते हैं कि हमारी टीम में सभी मार्केटिंग प्रोफेशनल हैं। हमें पता है कि मार्केट में कहां-कहां और किस तरह के अवसर है। कंपनियां इन इन्फ्लुएंसर्स को किस तरह अप्रोच करती हैं और कहां हाथ खींच लेती हैं।
इसके लिए हमने मशहूर इन्फ्लुएंसर्स पर स्टडी की है। इसे ध्यान में रखकर हमने स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग देने के लिए वीडियोज बनाए। ये वीडियो एपिसोड के रूप में है, जाे हमारे अपने ओटीटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्टूडेंट को दिए जाते हैं। इसके पैकेज की शुरुआत 599 रु. से हो जाती है।

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का करीब 25% पर्सनल केयर, 20% फूड एंड बेवरेज का है।
इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का करीब 25% पर्सनल केयर, 20% फूड एंड बेवरेज का है।

डांस वीडियो ही नहीं घरेलू नुस्खों वाले वीडियो भी हिट
आमताैर पर शादीशुदा महिला इन्फ्लुएंसर्स के घरेलू नुस्खे, पेरेंटिंग और कुकिंग के वीडियोज अधिक देखे जाते हैं। अभी इन्फ्लुएंसर्स मार्केट के 27% पर ही सेलिब्रिटी का कब्जा है, ऐसे में बाकी मार्केट के किंग और क्वीन बनने के लिए युवा खुद को तैयार कर रहे हैं। इस इंडस्ट्री से जुड़े ज्यादातर लोग युवा है।

15% फैशन और ज्वेलरी, 10% मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स के हिस्से आता है।
15% फैशन और ज्वेलरी, 10% मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स के हिस्से आता है।

थोड़ी सावधानी भी जरूरी
आम युवा भी इन्फ्लुएंसर्स की कॉपी करना चाहते हैं। यह कई बार खतरनाक भी हो जाता है। मेंटल एक्सपर्ट दिव्या बताती हैं कि अपने जैसे दूसरे युवाओं को सेलिब्रिटी बनता देख वैसा ही बनने की चाहत पैदा होती है। इसके लिए वह अपनी एजुकेशन को भी पीछे छोड़ देते हैं और बाद में कुछ हाथ नहीं लगने पर सुसाइड तक की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है।
इन्फ्लुएंसर्स को फॉलो करने वाले युवाओं को समझना होगा कि इन्फ्लुएंसर्स के रूप में कामयाब नहीं होने के बावजूद वह जिंदगी में आगे बढ़ने के दूसरे रास्ते तलाशें। इन्फ्लुएंसर्स को भी यह ध्यान देना होगा कि सोशल मीडिया के माध्यम से जो भी मैसेज दें, वह लोगों के हित में हो। वह युवाओं को गुमराह न करे।

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