जो भी काम करें ईमानदारी और पूरे समर्पण भाव के साथ करें
कहानी
भगत सिंह से जुड़ा किस्सा है। यूरोप का एक डिप्टी कमिश्नर उस दल में शामिल था, जिसे भगत सिंह को फांसी देने की जिम्मेदारी मिली थी। भगत सिंह जन्म से ही अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। वे जो भी काम करते थे, पूजा की तरह करते थे।
भगत सिंह की उम्र कम थी, लेकिन उनका जीवन के लिए नजरिया स्पष्ट था। फांसी से पहले वह डिप्टी कमिश्नर लगातार भगत सिंह की गतिविधियों पर नजर रख रहा था।
एक दिन डिप्टी कमिश्नर ने भगत सिंह से पूछा, ‘आपको फांसी होने जा रही है, लेकिन आपके चेहरे पर कोई तनाव नहीं है।’ भगत सिंह ने कहा, ‘जब सौभाग्य जीवन में उतर रहा हो तो निराशा कैसी?’
डिप्टी कमिश्नर ने सोचा कि ये युवक अपने देश के लिए समर्पित है तो अपनी फांसी को लेकर भी इसके भाव अलग ढंग के हैं। उसने फिर पूछा, ‘मैं आपको देख रहा हूं। आपकी फांसी का साक्षी बनूंगा। इस बारे में आपको कैसा लग रहा है?’
भगत सिंह ने मुस्कान के साथ कहा, ‘मिस्टर मजिस्ट्रेट, आप बड़े सौभाग्यशाली हैं कि आप वह दृश्य देख रहे हैं, जिसमें भारत के क्रांतिकारी, भारत के सपूत देश की आजादी के लिए कैसे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल जाते हैं। ये दृश्य देखना सौभाग्य की बात है।’
उस मजिस्ट्रेट को भगत सिंह का ये उत्तर आजीवन याद रहा। वह मान गया था कि इस युवक के अंदर अपने देश के लिए अद्भुत भाव हैं।
सीख
भगत सिंह की ये बातें हमें संदेश देती हैं कि जो भी काम करो, उसे पूरी ईमानदारी और समर्पण के भाव के साथ करना चाहिए। जब हम अपने लक्ष्य के लिए आदर और सम्मान का भाव रखेंगे तो काम करते समय आनंद मिलेगा।