बिहार के सरकारी अस्पताल पशु अस्पताल से भी बदतर: हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथों लिया। सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों से बेहतर हालात पशु चिकित्सालयों का है। अधिकारी भूल जाते हैं कि उन्हें भी एक दिन सेवानिवृत्त होकर आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत करना होगा।
हाईकोर्ट ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा को पीएमसीएच सहित पटना जिले के सभी सरकारी अस्पतालों की स्थितियों के संबंध में जानकारी इकट्ठा कर 28 जून तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति ज्योति शरण तथा न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सरकारी अस्पतालों की सफाई व्यवस्था और रखरखाव की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की।
आवेदक विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा ने पटना हाईकोर्ट को जानकारी दी कि राज्य के 63 हजार सरकारी अस्पतालों की सफाई व्यवस्था और रखरखाव के बारे में विभाग के प्रधान सचिव के जारी निर्देश की जानकारी सरकारी अस्पतालों को नहीं है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों की सफाई व्यवस्था और रखरखाव के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखा है, लेकिन उसकी जानकारी सरकारी अस्पतालों को नहीं भेजी गई। इससे पूरी व्यवस्था ही चरमरा गयी है।
मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य के सरकारी अस्पतालों की हालत दयनीय है। यहां सफाई के नाम पर पैसों की लूट है। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 28 जून तय की।