दोष भगवान का,जोश हनुमान का ….

दोष भगवान का,जोश हनुमान का ?

जब कोई सच बोलता है तो मुझे बेहद प्रिय लगता है ,भले ही सच बोलने वाला घोषित हरिश्चंद्र हो या न हो .मिसाल के तौर पर मुझे संसद में सच बोलते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहली बार प्रिय लगे .इंडियन एक्सप्रेस सर्वे के मुताबिक देश के सबसे पावरफुल सौ लोगो की सूची में नंबर दो पर विराजमान अमित शाह का सच बोलना एक ऐतिहासिक घटना है.उन्होंने कहा की -‘ऊंची आवाज में बोलना उनका मैन्युफेक्चरिंग डिफेक्ट है’
संसद में सच बोलने वाले अमित जी मेरी याददाश्त में पहले मंत्री हैं ,अन्यथा संसद में मंत्री अवमानना की परवाह किये बिना लगातार झूठ बोलते ही हैं .कोविडकाल में स्वास्थ्य मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक ने झूठ पर झूठ बोला था ,किसी ने नहीं माना था कि कोविडकाल में कहीं कोई पलायन हुआ,किसी ने नहीं माना था कि आक्सीजन की कमी से देश में कोई मारा गया .अतीत के झूठ को छोड़िये ,वर्तमान के सच के साथ खड़े होइए .अमित जी ने बात हालंकि अपने बारे में कही है किन्तु मुझे लगता है कि ये बात पूरे मंत्रिमंडल पर लागू हो सकती है ,अपवादों को छोड़कर .

सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी लेखन की वजह से मुमकिन है कि आप मेरी इस बात से इत्तफाक न रखें लेकिन हकीकत ये ही है .गनीमत है कि अमित जी ने संसद का मान रखते हुए सच बोला और सच के सिवा कुछ नहीं बोला ,मै ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि वो अमित जी को भविष्य में दूसरे मुद्दों पर भी सच बोलने की शक्ति देता रहे ,अन्यथा झूठ बोलने वालों की कौन सी कमी है ? अकाल तो सच बोलने वालों का है . सच बोलने वाले सत्ता प्रतिष्ठान को फूटी आंख नहीं सुहाते,पर अमित जी के सच के सामने पूरी सरकार और संगठन को नतमस्तक होना पडेगा,आखिर वे देश के दो नंबर के पावरफुल व्यक्ति हैं .

ये हकीकत है कि सच बोलने के लिए पावर की जरूरत पड़ती है ,किन्तु ये पावर सत्ता प्रतिष्ठान की नहीं बल्कि अंतरात्मा की होती है .दुर्भाग्य से राजनीति का अब अंतरात्मा से कोई लेना-देना नहीं रहा है.अन्यथा मुझे याद है कि हमारे देश में बड़े से बड़े चुनाव में अक्सर अंतरात्मा के नाम पर मतदान करने की अपीलें की जातीं थीं .अब चूंकि अंतरात्मा बची ही नहीं है इसलिए चुनाव में अपीलें भी धर्म और जाती के नाम पर की जाती हैं .कोई संवैधानिक संस्था ऐसा करने से किसी को रोक नहीं सकती .

बात आज चूंकि अमिय शाह के हवाले से चली है है इसलिए मै भी साहस कर पा रहा हूँ कुछ सच लिखने की,वरना झूठ के इस कालखंड में सच लिखना,सच बोलना,सच सुनना सब गुनाह की श्रेणी में आता है .सच अब आउटडेटेड चीज है .सच बोलने का काम तो अब बाबा,बैरागी तक नहीं करते तो सियासतदां भला क्यों करने लगे ? अब देश कश्मीर के बारे में सच जानना चाहता है किन्तु दिक्क्त ये है कि कश्मीर का नाम आते ही अमित शाह जी को गुस्सा आ जाता है .

दरअसल कश्मीर को टूटे हुए कोई तीन साल हो गए हैं. कश्मीर पर विवेक अग्नहोत्री जी एक फाइलनुमा फिल्म भी बना चुके हैं लेकिन देश को अब तक ये पता नहीं चल पा रहा है कि कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया कब तक शुरू होगी ? होगी या नहीं भी होगी ? यहां के लोग क्या हमेशा से केंद्र के अधीन ही रहेंगे या उन्हें भी पूर्ण राज्य का दर्जा दोबारा से मिल पायेगा ?मुझे लगता है कि कश्मीर का सच जानने के लिए हमें अभी दो साल और इन्तजार कर लेना चाहिए ,तब तक सरकार और भाजपा बचे-खुचे चुनावों से भी फारिग हो लेगी और फिर कश्मीर का जो करना होगा सो करेगी .

सच ये भी है कि भाजपा जो कहती है सो करती है .भाजपा ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा तो बन रहा है. भाजपा ने कहा था कि कश्मीर से धारा 370 हटेगी सो हटाई जा चुकी है .भाजपा ने आश्वासन दिया था कि तीन तलाक पर रोक लगेगी सो लग गयी है .अब भाजपा ने जो कहा ही नहीं है वो कैसे हो सकता है ? भाजपा ने कभी नहीं कहा कि कश्मीर को दोबारा से राज्य बनाया जाएगा .यदि ऐसा ही करना होता तो भाजपा बने-बनाये राज्य को बिखंडित क्यों करती ? भाजपा ने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को दोबारा बसाने की बात कभी नहीं कही और विपक्ष है कि भाजपा के पीछे पड़ा हुआ है .

कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की बात भाजपा ने नहीं बल्कि तीसरे पावरफुल व्यक्ति आरएसएस के सुप्रीमो डॉ मोहन भागवत जी ने कही है .भागवत जो पावरफुल हैं इसलिए वे कुछ भी कह सकते हैं .क्योंकि उन्हें जो करना नहीं है वो कहने से क्या फर्क पड़ने वाला है .भागवत जी ने अमित शाह की तरह कभी नहीं कहा कि ऊंचे सर में बोले के लिए वे खुद नहीं बल्कि उनका मेन्यूफेक्चरर जिम्मेदार है .धरती पर सबका मेन्यूफेक्चरर तो भगवान है जब उसी का सारा दोष है तो किसी दूसरे के सर ठीकरा फोड़ने से क्या लाभ ?

देश में सरकारें एक और बुलडोजर संहिता पर अमल करने में लगी हैं और दूसरी तरफ अमित शाह जी सदन के समक्ष दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक 2022 लेकर आए हैं, जो 1920 के बंदी शिनाख्त कानून की जगह लेगा. इस बिल से दोष सिद्ध करने के सबूत जुटाए जा सकेंगे. प्रमाण में जुटाने में  बड़ा इजाफा कर पाएंगे. दोष सिद्ध का प्रमाण जब तक नहीं बढ़ता, तब तक देश में कानून व्यवस्था की परिस्थिति और देश की आंतरिक सुरक्षा दोनों को प्रस्थापित करना, बहाल करना और मजबूत करना एक दृष्टि से संभव ही नहीं है. इसलिए यह विधेयक लाया गया है .शाह साहब को देश को सच बताना चाहिए कि क्या इस विल की जगह बुलडोजर संहिता से काम नहीं चल सकता क्या ?क्योंकि जब तक बुलडोजर संहिता काम आ रही है तब तक ऐसे विधेयकों का कोई औचित्य नहीं है .

शाह साहब ने सौ फीसदी सच कहा है कि बिल के तहत, प्रिज़न मैन्युअल भी बनाया जा रहा है. कैदियों के पुनर्वास के लिए, जेल अधिकारियों के अधिकारों को सीमित करने, अनुशासन, जेल सुरक्षा, महिला कैदियों के लिए अलग जेल और खुली जेल की व्यवस्था, ऐसी कई सारी चीजों को प्रिज़न के कानून में हमने समाहित किया है. समय पर अगर हम इसमें बदलाव नहीं करते हैं. तो जो साक्ष्य, दोष सिद्ध के लिए अदालतों को उपलब्ध कराते हैं, उसमें हम पीछे रहते हैं और जांच में भी मदद नहीं मिलती है. मुझे लगता है कि लखीमपुर खीर काण्ड के उजाले में ये सब किया जा रहा है .वहां जांच में मदद कहाँ मिल रही है ?

बहरहाल आज खुशी का दिन है क्योंकि शाह साहब ने शाही सच बोलकर अपनी अंतरात्मा पर चढ़ा बोझ उतार फेंका है. अब आपको शाह साहब के बारे में कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच लेना चाहिए कि शाह साहब में जो भी डिफेक्ट है उसके लिए वे नहीं बल्कि ऊपरवाला जिम्मेदार है.

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