4 राज्यों की जीत के बाद BJP का नया प्लान … शिवराज, वसुंधरा, रमन नहीं बल्कि मोदी होंगे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में पार्टी का चेहरा

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में मिली शानदार जीत के बाद BJP ने इस साल के आखिर और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्लानिंग शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में साल 2023 में होने वाले चुनावों में BJP का चेहरा PM नरेंद्र मोदी ही होंगे।

सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और राजस्थान में वसुंधरा राजे के नाम पर पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। इन राज्यों में नई पीढ़ी को आगे लाने पर काम किया जा रहा है। चुनाव के बाद CM का चेहरा सामने लाया जाएगा। BJP ने नवंबर 2022 में गुजरात, हिमाचल और 2023 में होने वाले चुनावों की पूरी स्ट्रैटजी तैयार कर ली है।

पढ़िए ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट। साथ ही इस सवाल का जवाब देकर आप पोल में हिस्सा भी ले सकते हैं।

किस राज्य में क्या है गणित, समझें पूरी कहानी

मध्य प्रदेश में शिवराज को रिप्लेस किया जाएगा!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार तीन टर्म CM रह चुके थे। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में चौहान BJP को सत्ता के दरवाजे तक नहीं पहुंचा पाए। BJP चंद सीटों से कांग्रेस से पीछे रह गई थी, जिसके चलते 17 दिसंबर 2018 को मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई थी।

सवा साल बाद ही BJP ने सियासी गणित के जरिए कमलनाथ सरकार गिरा दी, जिसके बाद मार्च 2020 में शिवराज सिंह चौहान चौथी बार CM बने। अब BJP मध्य प्रदेश में नया नेतृत्व विकसित करना चाह रही है। पार्टी के भीतर यह भी चर्चा है कि शिवराज सिंह चौहान को कभी भी केंद्र की राजनीति में लाया जा सकता है, जिससे मध्य प्रदेश में भावी पीढ़ी के लिए नेतृत्व को तैयार करने में मदद मिले। जब तक मध्य प्रदेश में शिवराज रहेंगे, नया नेतृत्व विकसित करना संभव नहीं होगा। वैसे भी मध्य प्रदेश BJP के लिए बेहद महत्वपूर्ण राज्य है, जिसे किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब से BJP में आए हैं, तब से उनका कद लगातार बढ़ता जा रहा है। उनका हर व्यक्ति किसी न किसी पद पर है।

छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को नहीं दोहराएगी BJP!

छत्तीसगढ़ में रमन सिंह 2004 से लेकर नवंबर 2018 तक लगातार तीन टर्म CM रहे। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में BJP को हार का सामना करना पड़ा। वहां कांग्रेस की सरकार बन गई।

ऐसे में BJP अब छत्तीसगढ़ में किसी नए चेहरे को सामने लाना चाहती है, जो पार्टी के लिए लंबी पारी खेल सके। इसी के साथ यह भी तय है कि BJP 2023 के पहले किसी नए चेहरे को सामने नहीं लाएगी। इससे पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ने का खतरा रहेगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव तो मोदी के नेतृत्व में ही होगा। चुनाव नतीजे आने के बाद ही नया चेहरा सामने लाया जाएगा।

राजस्थान में वसुंधरा बनाम केंद्रीय नेतृत्व का दिलचस्प टकराव

​​​दिसंबर 2013 में प्रचंड बहुमत से राजस्थान में सरकार बनाने वाली BJP को दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में हार का सामना करना पड़ा था। छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में मोदी के नाम पर BJP को शानदार जीत मिली। राज्य की 25 सीटों पर BJP ने कब्जा कर लिया था। कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

पिछले दो दशक से राजस्थान BJP में वसुंधरा का दबदबा रहा है, लेकिन अब पार्टी राजस्थान में नया नेतृत्व तलाश रही है। वसुंधरा के समर्थक उन्हें CM चेहरा घोषित करने की मांग लगातार कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान जाकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह साफ संकेत दे भी चुके हैं कि 2023 का विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। किसी शख्स को चुनाव में चेहरा नहीं बनाया जाएगा।

पार्टी के लिए भी यह बड़ा सियासी संदेश माना जा रहा है। पार्टी विधानसभा चुनाव के बाद किसी चेहरे को सामने लाएगी, ताकि अगले एक से दो दशक तक राजस्थान में पार्टी के सामने नेतृत्व का संकट पैदा न होने पाए।

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का भी मानना है कि BJP का राष्ट्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नया चेहरा लाना चाह रहा है, लेकिन चुनाव से पहले किसी चेहरे को प्रोजेक्ट करना पार्टी के लिए मुश्किल है, क्योंकि इससे गुटबाजी की आशंका रहेगी। इसको देखते हुए BJP तीनों ही राज्यों में PM नरेंद्र मोदी के नाम पर 2023 का चुनाव लड़ेगी।

हिमाचल में उपचुनाव में हार से जयराम के नेतृत्व पर सवाल

BJP के लिए हिमाचल भले ही छोटा राज्य हो, लेकिन प्रदेश BJP के लिए काफी अहम है। पिछले साल नवंबर में हुए उपचुनाव में मंडी लोकसभा और अर्की, जुब्बल कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीट से BJP को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। इसी के बाद BJP CM जयराम ठाकुर के नेतृत्व को लेकर गंभीर हो गई है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा भी इसी राज्य से आते हैं। जिस तरह से उत्तराखंड में BJP की जीत हुई है, उसी तर्ज पर पार्टी इस साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में वापसी करना चाहती है। यही नहीं, पार्टी उस परंपरा को भी तोड़ना चाहती है, जिसमें एक बार कांग्रेस और दूसरी बार BJP की सरकार अब तक बनती रही है। उत्तराखंड में BJP ने ऐसा कर भी दिखाया है।

इन राज्यों में हो चुका है नेतृत्व परिवर्तन

गुजरात : इसी साल के आखिर में गुजरात में विधानसभा चुनाव होंगे। चुनाव से ठीक 15 महीने पहले सितंबर 2021 में BJP ने तत्कालीन CM विजय रूपाणी को बदल दिया गया था। पहली बार के विधायक बने भूपेंद्र पटेल को CM बनाया गया। इसी तरह से मंत्रिमंडल में भी फेरबदल किया गया था।

एक तरह से नेतृत्व परिवर्तन करके जनता की नाराजगी को कुछ हद तक कम करने की कोशिश की गई। गुजरात PM नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। ऐसे में इस राज्य में भाजपा को मजबूत बनाए रखना मोदी और शाह की जोड़ी के लिए जरूरी है, जिससे देश में यह संदेश न जाने पाए कि गृह राज्य में ही उनकी पकड़ कमजोर होने लगी है।

कर्नाटक : BJP ने 78 की उम्र पार कर चुके बीएस येदियुरप्पा को CM पद से हटाकर बसवराज बोम्मई को नया CM बनाया। भाजपा शासित राज्यों में येदियुरप्पा ही सबसे अधिक उम्र के CM थे। सामान्य तौर पर भाजपा 75 की उम्र पार करने वाले नेताओं को केंद्रीय मंत्री, मंत्री या मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रख रही है। इसी को देखते हुए यह बदलाव किया गया। यहां भी मई 2023 में विधानसभा के चुनाव होंगे। ऐसे में BJP को तैयारी करने के लिए पूरा मौका मिल जाएगा।

उत्तराखंड : BJP ने उत्तराखंड में सरकार चलने के चार साल बाद तत्कालीन CM त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा दिया था। उसके बाद तीरथ सिंह रावत को कमान दी गई, लेकिन चंद महीने बाद ही उन्हें हटाकर दूसरी बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को CM बनाया गया। इसके लिए भाजपा ने उत्तराखंड में नया नेतृत्व विकसित करने का प्रयोग किया। इससे लाभ यह हुआ भाजपा तो चुनाव जीत गई, लेकिन धामी CM रहते हुए अपना चुनाव हार गए। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व ने धामी पर फिर से भरोसा जताया है। त्रिवेंद्र रावत को लेकर यहां लोगों में काफी नाराजगी थी, जिसे भांपते हुए BJP की ओर से यह कदम उठाया गया था।

असम : पूर्वोत्तर में पहली भगवा सरकार बनवाने वाले सर्वानंद सोनोवाल को हटाकर हेमंत बिस्वा सरमा को असम का CM बनाया गया। ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन भाजपा ने यह भी किया। हेमंत बिस्वा सरमा छह साल पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। कहा जा रहा है कि भाजपा ने हेमंत बिस्वा सरमा से जो छह साल पहले सियासी वादा किया था, उसे पूरा किया है।

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