88वीं मन की बात … मोदी ने कैशलेस डेआउट की कहानी सुनाई, कहा- छोटी पेमेंट ने बड़ी डिजिटल इकोनॉमी बनाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात प्रोग्राम के जरिए देश को संबोधित किया। ये इस मासिक रेडियो कार्यक्रम की 88वीं कड़ी थी। उन्होंने कहा- “इस बार सबसे ज्यादा चिट्ठियां नए प्रधानमंत्री संग्रहालय को लेकर आई हैं। म्यूजियम में डिजिटाइजेशन पर भी फोकस बढ़ा है। 18 मई को दुनिया में इंटरनेशनल म्यूजियम डे मनाया जाएगा। क्यों न आने वाली छुट्टी में आप स्थानीय म्यूजियम में जाएं और इसे म्यूजियम मेमोरिज में साझा करिए।”

म्यूजियम जाने वालों का अनुभव शेयर किया
गुरुग्राम के रहने वाले सार्थकजी यहां गए। उन्होंने नमो ऐप पर मुझे लिखा कि बरसों से न्यूज चैनल देखते हैं, अखबार पढ़ते हैं तो उन्हें लगता था कि उनकी जनरल नॉलेज ठीक-ठाक है। पर पीएम संग्रहालय जाकर उन्हें पता चला कि देश के बारे में काफी कुछ जानते ही नहीं है। वे शास्त्री जी का चरखा देखकर खुश हुए, जो उन्हें ससुराल से मिला था। उनकी पासबुक देखी। उन्हें ये भी नहीं पता था कि मोरारजी देसाई स्वतंत्रता सेनानी बनने से पहले डिप्टी कमिश्नर थे।

चौधरी चरण सिंह जी के बारे में उन्हें नहीं पता था कि जमींदारी उन्मूलन में उनका योगदान था। नरसिम्हा राव जी लैंड रिफॉर्म में दिलचस्पी दिखाते थे। चंद्रशेखर ने 4 हजार किमी यात्रा की। अटल जी के भाषणों को सुना। सार्थक ने बताया कि संग्रहालय में गांधी, पटेल, अंबेडकर, जेपी और नेहरू जी के बारे में भी रोचक जानकारियां हैं।’

देशभर के म्यूजियम से जुड़े सवाल
आज इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। पीएम म्यूजियम युवाओं के लिए आकर्षण बन रहा है। मेरा मन कर रहा है कि आपसे सवाल करूं आपकी जनरल नॉलेज जानने के लिए। आप जवाब नमो ऐप के सोशल मीडिया पर म्यूजियम क्विज के साथ शेयर कर सकते हैं। क्या आप जानते हैं कि देश के किस शहर में एक रेल म्यूजियम है, जहां 45 साल से लोगों को भारतीय रेल की विरासत देखने का मौका मिलता है। आप यहां फेयरी क्वीन भी देख सकते हैं। क्या आप जानते हैं कि मुंबई में कौन सा म्यूजियम है, जहां करंसी का इवॉल्यूशन देखने को मिलता है। यहां ईसा पूर्व छठी शताब्दी के सिक्के भी हैं।

विरासत एक हादसा पंजाब के किस शहर में मौजूद है। देश का एकमात्र काइट म्यूजियम कहां है। यहां की सबसे बड़ी पतंग का आकार 22 बाई 16 फीट है। इस शहर का बापू का नाता है। क्या आपको पता है कि भारत में डाक टिकट से जुड़ा नेशनल म्यूजियम कहां है। गुलशन महल नाम की इमारत में कौन सा म्यूजियम है। क्या आप ऐसे म्यूजियम को जानते हैं जो भारत के टेक्सटाइल से जुड़ी विरासत को सहेजे है। टेक्नोलॉजी के इस दौर में आपके लिए इनके उत्तर खोजना आसान है।’

कैशलेस डेआउट की सराहना की
“हाल ही में मुझे ऐसे संकल्प के बारे में पता चला। क्या आप सोच सकते हैं कि कोई अपने घर से ये संकल्प लेकर निकले कि आज दिनभर पूरा शहर घूमेगा और एक भी पैसे का लेनदेन कैश में नहीं करेगा। है न ये दिलचस्प संकल्प। दिल्ली की दो बेटियों सागरिका और प्रेक्षा ने कैशलेस डे आउट का एक्सपेरिमेंट किया। दिल्ली में जहां भी गईं डिजिटल पेमेंट मौजूद था। कैश की जरूरत ही नहीं पड़ी। स्ट्रीट फूड और रेहड़ी पर भी उन्हें ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की सुविधा मिली।’

हर दिन हो रहे 20 हजार करोड़ के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन
अब छोटे शहरों और गांवों में भी यूपीआई से लेनदेन हो रहा है। एक कल्चर बन रहा है। गली-मोहल्ले की दुकानों में ज्यादा ग्राहकों की सेवा का मौका मिल रहा है। आप भी इसे महसूस कर रहे होंगे। बैंक, एटीएम और कैश का झंझट खत्म। आपके इन छोटे-छोटे ऑनलाइन पेमेंट से डिजिटल इकोनॉमी बन रही है। 20 हजार करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन हर दिन हो रहे हैं। मार्च में यूपीआई ट्रांजैक्शन 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा। अगर आपके पास भी डिजिटल पेमेंट और स्टार्टअप इकोसिस्टम की ताकत से जुड़े अनुभव हैं तो ये दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।’

दिव्यांगों की चुनौतियों को आर्ट गैलरी में देखें
टेक्नोलॉजी ने दिव्यांग साथियों की असाधारण क्षमताओं का लाभ देश-दुनिया को दिलाया है। वे क्या कर सकते हैं, ये हमने टोक्यो पैरालिंपिक्स में देखा है। कई क्षेत्रों में दिव्यांग साथी कमाल कर रहे हैं। देश आजकल लगातार संसाधनों और इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुलभ बनाने का प्रयास कर रहा है। कई स्टार्टअप और संगठन काम कर रहे हैं। वॉइस ऑफ स्पेशियली एबल्ड पीपुल संस्था ने डिजिटल आर्ट गैलरी तैयार की है। दिव्यांग किस तरह असाधारण प्रतिभा के धनी हैं, ये आर्ट गैलरी इसका उदाहरण है। उनके जीवन में कैसी चुनौतियां हैं, इन चीजों को आप इस गैलरी से महसूस कर सकते हैं। दिव्यांग साथी इस तरह के प्रयासों से जुड़ें।’

जल से कल होगा सुरक्षित
“गर्मी बढ़ रही है और इससे पानी बचाने की जिम्मेदारी भी बढ़़ रही है। कई ऐसे जल संकट वाले इलाके हैं, जहां पानी की एक-एक बूंद कीमती है। जल संरक्षण भी अमृत महोत्सव का संकल्प है। देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। वो दिन दूर नहीं, जब आपके अपने जिले में ऐसा होगा। युवा इस अभियान के बारे में जानें और जिम्मेदारी उठाएं। आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की स्मृति भी इससे जोड़ सकते हैं। कई जगहों पर इस पर काम शुरू हो गया है। यूपी के रामपुर में पटवई में ग्राम सभा की जमीन पर तालाब था। गंदगी से भरा था। कुछ हफ्तों में स्थानीय नागरिकों और स्कूली बच्चों ने इस तालाब का कायाकल्प कर दिया है। ये फव्वारे, फूडकोर्ट और लाइटिंग से सज गया है।

पानी की उपलब्धता और किल्लत किसी भी देश की गति को निर्धारित करते हैं। मन की बात में मैं बार-बार इसकी बात करता हूं। ग्रंथों में कहा गया है कि संसार में जल ही हर एक जीव के जीवन का आधार है। जल ही सबसे बड़ा संसाधन भी है। हमारे पूर्वजों ने जलसंरक्षण के लिए इतना जोर दिया। वेद-पुराण हर जगह पानी बचाने को मनुष्य का सामाजिक और अध्यात्मिक कर्तव्य बताया गया है। इतिहास के छात्र जानते होंगे कि सिंधु, सरस्वती और हड़प्पा संस्कृति में पानी को लेकर कितनी विकसित इंजीनियरिंग होती थी। ये वो समय था, जब जनसंख्या ज्यादा नहीं थी और प्राकृतिक संसाधनों की किल्लत नहीं थी।’

जल संरक्षण के वृदास-हलमा तरीके बताए
“जल से जुड़ा हर प्रयास हमारे कल से जुड़ा है। इसमें पूरे समाज की जिम्मेदारी होती है। सदियों से अलग-अलग समाज अलग अलग प्रयास करते आए हैं। कच्छ के रण की एक जनजाति मालधारी छोटे कुएं बनाती है, पेड़ पौधे लगाती है। मध्य प्रदेश के भील पानी से जुड़ी समस्याओं का उपाय ढूंढने के लिए हलमा तरीका अपनाते हैं। वे एक जगह इकट्ठा होते हैं। इससे पानी का संकट कम हुआ और भूजल स्तर बढ़ा है। ऐसे ही कर्तव्य का भाव सबसे मन में आए तो जल संकट से जुड़ी बड़ी चुनौतियों का समाधान हो सकता है।”

भारतीयों के लिए गणित बहुत आसान है
“साथियों, गणित ऐसा विषय है, हम भारतीयों को सबसे ज्यादा सहज होना चाहिए। गणित पर सबसे ज्यादा शोध और योगदान भारत ने ही किया है। अगर जीरो की खोज न होती तो वैज्ञानिक प्रगति न देख पाते। भारत के गणितज्ञों और विद्वानों ने लिखा है कि इस पूरे ब्रह्मांड में जो कुछ है, वो गणित पर आधारित है। विज्ञान का हर प्रिंसिपल मैथमेटिकल फॉर्मूला में व्यक्त किया जाता है। हमने शून्य का आविष्कार किया तो अनंत को भी बताया है। मिलियन, बिलियन और ट्रिलियन तक बोला जाता है।

भारतीय गणित में ये गणना बहुत आगे तक जाती है। पुराना श्लोक है, जिसमें एक, 10, 100, हजार, लाख और कोटि का जिक्र है। ये संख्या शंख, पद्म और सागर तक जाती है। यही नहीं.. इसके आगे भी महोग जैसी संख्याएं होती हैं। एक के आगे 62 शून्य यानी इतनी बड़ी संख्या। भारतीय गणित में इनका इस्तेमाल हजारों सालों से हो रहा है। इंटेल के सीईओ मिले थे, इसमें वामन अवतार के चलते गणना का जिक्र हुआ था।’

आने वाले दिनों में ईद आने वाली है। परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया भी है। सभी त्योहार संयम, पवित्रता के पर्व हैं। इन पर्वों को उल्लास और सौहार्द्र के साथ मनाइए। कोरोना से भी सतर्क रहना है।

वैदिक गणित के टीचर गौरव से की बात
“हम भारतीयों के लिए गणित मुश्किल नहीं रही। एक बड़ा कारण वैदिक गणित है। इसका श्रेय भारतीय कृष्ण तीर्थ महाराज को जाता है। वैदिक गणित की खास बात ये है कि इसके जरिए आप कठिन गणनाएं मन में कर सकते हैं।’ वैदिक गणित सिखाने वाले कोलकाता के गौरव दो दशक से मूवमेंट चला रहे हैं। गौरवजी नमस्ते- आप वैदिक गणित में रुचि रखते हैं। पहले तो मैं आपके बारे में जानना चाहूंगा। गौरव- सर मैं कैट के लिए अप्लाई कर रहा था, इसमें गणित आती थी। कृष्णतीर्थ जी की किताब वैदिक गणित पढ़कर मेरी रुचि गणित में जागी। ये हमारी धरोहर है और इसे विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाया जा सकता है। मैंने इसे मिशन बना लिया। इसमें मुझे 20 साल हो गए हैं। हम इंटरनेट के माध्यम से 24 घंटे वैदिक मैथ्स पढ़ाते हैं। मोदी- बच्चे गणित का नाम सुनते ही भाग जाते हैं। इस डर को निकाला जाना चाहिए। गौरव- सर ये सबसे ज्यादा जरूरी है बच्चों के लिए। वैदिक गणित से ये छूमंतर हो जाता है।

पिछली बार एक्सपोर्ट पर की थी बात
इसके पहले 87वें मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भारत की ओर से किए जाने वाले एक्सपोर्ट और अन्य अहम मुद्दों पर बात की थी। उन्होंने कहा था- मेरे प्यारे देशवासियों हमने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की, जिसने हम सबको गर्व से भर दिया। भारत ने पिछले हफ्ते 400 बिलियन डॉलर यानी 30 लाख करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट का टारगेट हासिल किया। ये अर्थव्यवस्था से जुड़ी बात है लेकिन ये अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा भारत के सामर्थ्य, भारत के पोटेंशियल से जुड़ी बात है।

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