MP: व्यापारियों की मौत का डराने वाला आंकड़ा … पहली बार 100 बिजनेसवुमन ने की खुदकुशी, जानिए डिटेल रिपोर्ट…
‘मैं बहुत परेशान हूं। मेरा बिजनेस भी खत्म सा हो रहा है। कुछ समझ ही नहीं आ रहा क्या करना है। मैं अपनी पत्नी और बच्चों से बहुत प्यार करता हूं। मैं ऐसी जिंदगी नहीं जी सकता। मैं बहुत सोचकर कदम उठा रहा हूं। मैं अकेला चला गया तो मेरे परिवार का क्या होगा।’
ये शब्द रायसेन में सराफा व्यापारी जितेंद्र सोनी के सुसाइड नोट के हैं। जितेंद्र सोनी ने पत्नी, बेटे की हत्या कर खुद भी फांसी लगा ली। उनका दूसरा बेटा भोपाल के अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। व्यापारी के जान देने का यह इकलौता किस्सा नहीं है, इससे पहले भोपाल, मुरैना में भी आर्थिक तंगी के कारण परिवार तबाह हुए। देखें, तो कोरोना काल में साल 2020 से ही व्यापारियों की खुदकुशी लगभग 78% बढ़ गई है। चौंकाने वाली बात है कि प्रदेश में एकसाल में 100 से ज्यादा बिजनेस वुमन ने जान दी, जो 2018 की तुलना में चार गुना है।
कोरोना की पहली लहर का डरावना सच
एकतरफ कोरोना की चौथी लहर की आशंका से सभी लोग डरे हुए हैं। वहीं इसी बीच कोरोना काल की पहली लहर का डरावना सच भी सामने आ गया है। आंकड़े बता रहे हैं कि पहली लहर के लॉकडाउन ने व्यापारियों का हौसला और उम्मीदें तोड़ दीं, जिसके चलते खुदकुशी की घटनाएं बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। वहीं, वर्क फ्रॉम होम का आइडिया कर्मचारियों के लिए वरदान बनकर आया। आइए बताते हैं हम ऐसा क्यों कह रहे हैं…
लॉकडाउन ने तोड़ी कारोबार की कमर
- बीते 3 साल में महिला कारोबारियों की खुदकुशी के केस 4 गुना बढ़ गए। 2018 में सिर्फ 26 महिलाओं ने खुदकुशी की थी, जो कोरोना काल के दौरान साल 2020 में बढ़कर 101 हो गई। इतनी संख्या में बिजनेस वुमन के जान देने का ये पहला मौका रहा।
- पुरुषों के आत्महत्या करने का डेटा भी तेजी से बढ़ा है। 2018 में 679 पुरुषों ने सुसाइड किया था, जो 2020 में बढ़कर 1153 हो गए। यानी 180% बढ़ोतरी हुई। यानी लगभग दोगुनी।
नौकरीपेशा के लिए संजीवनी बना वर्क फ्रॉम होम
- कोरोना काल के दौरान नौकरीपेशा लोगों के लिए वर्क फ्रॉम होम संजीवनी बन गया। सुसाइड करने की घटनाओं में सबसे कम संख्या सरकारी कर्मचारियों की रही।
- निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की संख्या भी 2019 की तुलना में अधिक नहीं बढ़ी। निजी क्षेत्र में कई जगह छंटनी हुई, कई जगह तनख्वाह कम कर दी गई, हालांकि सैलरी मिलती रही।
- छंटनी होने पर कर्मचारियों को दूसरी जगह नौकरी मिल गई। हालांकि 2018 की तुलना में 2020 में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की आत्महत्या की घटनाएं 30.37% तक बढ़ गईं।
लव ट्राएंगल: तीन साल में 471 सुसाइड, इसमें 212 पुरुष और 259 महिलाएं
- शादीशुदा लोगों में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर सुसाइड की बड़ी वजह बन रहा है। तीन साल में इस वजह से 471 सुसाइड हुए, इसमें 212 पुरुष और 259 महिलाएं थीं। यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के चलते सुसाइड करने में महिलाएं आगे हैं। रिश्ते में धोखे की वजह से वही सबसे ज्यादा आहत होती हैं।
दिहाड़ी मजदूर: तेजी से बढ़े आत्महत्या के मामले
- 2020 में 4457, 2019 में 3589, 2018 में 3063 दिहाड़ी मजदूरों से सुसाइड किया।
कर्ज के चलते आत्महत्या करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही
- 2020 में 71 लोगों ने कर्ज के कारण खुदकुशी की, 2019 में 50 लोगों ने कर्ज के चलते अपनी जान दी थी। वहीं 2018 में यह संख्या 35 थी।
गरीबी, बेरोजगारी और कॅरियर: इस कारण आत्महत्या करने में पुरुष ज्यादा
- गरीबी से तीन साल में 87 लोगों ने सुसाइड किया। 166 लोगों ने बेरोजगारी और 161 लोगों ने कॅरियर को लेकर दबाव के चलते सुसाइड किया।
- करियर समस्या को लेकर तीन साल में 161 लोगों ने खुदकुशी की, इसमें से 28 महिलाएं हैं, जबकि पुरुषों की संख्या 133 है। (यह महिलाओं की तुलना में चार गुना तक अधिक है। कॅरियर समस्या के चलते तीन साल में सबसे ज्यादा सुसाइड की घटनाएं 2019 में हुई। इस साल कॅरियर के चलते 100 लोगों ने सुसाइड किया था)
बढ़ रहे खुदकुशी के मामले
वर्ष | संख्या |
2020 | 14578 |
2019 | 12457 |
2018 | 11775 |