7 साल, 7 शहर … भोपाल में 10 हजार लोग शिफ्ट किए, इंदौर में 5 हजार घर तोड़े, लेकिन शहर तो छोड़िए, अब तक एक मोहल्ला भी स्मार्ट नहीं

  • इन शहरों में रह रही प्रदेश की 34.8% नगरीय आबादी, काम के लिए इनसे सुझाव तो लिए, लेकिन अफसरों ने प्रोजेक्ट मनमर्जी से चुने
  • एबीडी के प्रोजेक्ट सभी जगह अधूरे, पैन सिटी के कुछेक पूरे, लेकिन उनका स्तर स्मार्ट सिटी जैसा नहीं

भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और सतना को 7 साल से स्मार्ट बनाया जा रहा है, लेकिन ताज्जुब है कि 4042 करोड़ रु. से ज्यादा खर्च और इतना समय बीतने के बाद भी इन शहरों का एक मोहल्ला भी स्मार्ट नहीं बन पाया है। इन शहरों में प्रदेश की 34.8% नगरीय यानी 73.08 लाख की आबादी है। स्मार्ट सिटी की जब प्लानिंग हो रही थी, तब तय हुआ था कि जनता से सुझाव लेकर प्रोजेक्ट तय होंगे।

अफसरों ने सुझाव तो लिए, लेकिन प्रोजेक्ट मनमर्जी से चुने। इसका असर ये हुआ कि भोपाल में 2000 सरकारी मकानों को तोड़कर 10 हजार लोगों को शिफ्ट कर दिया गया। जबकि इंदौर में 5 हजार मकानों के हिस्से तोड़ दिए गए। शहर कितने प्रतिशत स्मार्ट हुए, इसका जवाब अफसरों के पास नहीं है, क्योंकि एबीडी के सभी प्रोजेक्ट अधूरे हैं। पैन सिटी वाले प्रोजेक्टों में सिर्फ स्ट्रीट लाइट, ट्रैफिक सुधार के साथ सौंदर्यीकरण और पुरातत्व संरक्षण के काम ही किए गए, लेकिन उनका स्तर स्मार्ट सिटी के सपनों जैसा नहीं है।

सतना में सिर्फ निर्माण चल रहा, पूरा एक भी नहीं
भोपाल :
 डिपो से पॉलिटेक्निक चौराहा तक स्मार्ट रोड। स्मार्ट पार्क भी बना। माता मंदिर से जवाहर चौक तक बुलेवर्ड स्ट्रीट बनी। स्मार्ट पोल से स्ट्रीट लाइट की स्थिति सुधरी।
इंदौर : कान्ह नदी का संरक्षण और सौंदर्यीकरण। 56 दुकानों का रिडेवलपमेंट। एमआरएफ स्टेशन इंदौर।
जबलपुर : सौर ऊर्जा संयंत्र बना। शहर में पैदल पहुंच मार्ग, स्मार्ट रोड, प्लेस मेकिंग।
ग्वालियर : पुरातत्व संग्रहालय, टाउन हॉल बन चुका है। ग्वालियर फोर्ट फसाड लाइट भी।
उज्जैन : महाकाल मंदिर कॉरिडोर का काम जारी है। गणेश नगर स्मार्ट स्कूल।
सागर : पार्क-उद्यान का सौंदर्यीकरण ही हुआ।
सतना : अभी कंस्ट्रक्शन चल रहे हैं, कोई भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं।

जनता ने तय नहीं किया राजबाड़ा का विकास… इंदौर में तो जनता ने क्या सुझाव दिए थे इन्हें देखने के बजाय सीधे कंसलटेंट को भेज दिया गया। राजबाड़ा को एरिया बेस्ड डेवलपमेंट के लिए जनता के सुझाव के आधार पर नहीं चुना गया। जबलपुर में एबीडी एरिया में राइट टाउन, नेपियर टाउन, गोल बाजार और रानीताल का 750 एकड़ क्षेत्र शामिल है, लेकिन यहां अभी सिर्फ धूल का गुबार है।

इंदौर में अब तक नहीं दिया टीडीआर, भोपाल में 4 करोड़ का एप अब किसी काम का नहीं

  • मध्यप्रदेश की स्मार्ट सिटीज पर अध्ययन करने वाले आर्किटेक्ट विनय श्रीवास्तव के मुताबिक इंदौर में तो जिन लोगों के मकान तोड़े गए उन्हें मुआवजे के रूप में टीडीआर देने का वादा था, वो आज तक नहीं मिला।
  • जबलपुर में एरिया बेस्ड डेवलपमेंट के नाम पर एक छोटे से मोहल्ले को स्मार्ट बनाने की कोशिश जारी है, लेकिन इसका काम भी अधूरा पड़ा है।
  • भोपाल की सभी सेवाओं और सुविधाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के नाम पर 4 करोड़ रुपए से भोपाल प्लस एप बनाया गया, लेकिन यह ठप हो गया। इंदौर में इस साल एक स्मार्ट मेप एप लॉन्च हुआ है।

कोरोनाकाल में सिर्फ एक सेंटर काम आया… सातों स्मार्ट सिटी में कुल 299 करोड़ रु. से बनाए गए इंटिग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर कोरोना की तीनों लहर के दौरान काफी कारगर साबित हुए। यहां से सबको मदद मिली।

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