प्रदेशभर में एक अप्रैल से शराब के नए ठेके हुए हैं, जिसमें छोटे-बड़े ठेकेदारों के साथ-साथ बड़े ग्रुप भी शामिल हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी शराब दुकानो के ठेकों को निष्पादित करने में समय लगा, क्योंकि सरकार पिछली बार से ज्यादा राजस्व चाहती थी। ऐसा ही हुआ। सरकार ने राजस्व तो ले लिया, लेकिन शराब की ब्रांडिंग को लेकर मुंह मोड़कर बैठ गई। बड़े-बड़े ग्रुप जिन्होंने शराब दुकानों के समूह लिए हैं,उन्हाेनें खासकर शोरूम जैसी दुकानें बनाई हैं।

चार बाय दस का बोर्ड लगाना है,लेकिन यहां होर्डिंग लगेः आबकारी अधिनियम में शराब दुकानों पर चार फीट चौड़ा और दस फीट लंबा ही बोर्ड लगाने का नियम है। यहां ग्वालियर में चार और दस फीट तो छोड़िए होर्डिंग जैसे बोर्ड लगाकर प्रचार किया जा रहा है। शराब निर्माता कंपनियों के विज्ञापन के साथ-साथ ठेकेदार आबकारी विभाग के तहत भी बोर्ड लगाए हुए हैं। इसके अलावा दाएं-बाएं में भी विज्ञापन किए जा रहे हैं। इसमें प्रकरण दर्ज कर जुर्माने का प्रविधान है।

कुल 112 दुकान: पहले 38 और 74 का था गणितः नई शराब नीति में कंपोजिट दुकानों का प्रविधान किया गया है यानी देसी विदेशी शराब दोनों एक ही जगह मिल सकेंगी। कंपोजिट दुकान के फंडे में दुकानों की संख्या 112 ही है लेकिन अंग्रेजी शराब व देसी शराब के काउंटर बढ़ गए हैं। इस तरह दोनों शराब 112 जगह मिल रहीं हैं।

जगह-जगह दुकान: इस तरह बढ़ गईं शराब दुकानें

-सिटी सेंटर में देसी शराब की दुकान एसपी आफिस के थोड़ी पास स्थित थी, जो अब अल्कापुरी पहुंच गई है। यहां नए भवन को किराए पर लेकर बड़ा काउंटर कंपोजिट दुकान का खोला गया है।

-थाटीपुर मयूर मार्केट वाली देसी शराब की दुकान गोविंदपुरी रोड पर आ गई है, वहीं इससे थोड़ी ही दूरी पर सचिन तेंदुलकर चौराहा पर शराब दुकान है।

-चेतकपुरी में शोरूम जैसी शराब दुकान नई खुली है, जिससे थोड़ी ही दूरी पर नाका चंद्रवदनी पर शराब दुकान है।

वर्जन-

कंपोजिट दुकानों के तहत अब देसी और विदेशी शराब एक ही जगह मिल रहीं हैं। यह सही है कि काउंटर बढ़े हैं। आबकारी विभाग के नियम के तहत चार बाय दस का बोर्ड लगाना चाहिए। शराब कंपनियों के प्रचार को लेकर दुकानों पर अमले से जांच कराई जाएगी।

संदीप शर्मा, सहायक आबकारी आयुक्त, ग्वालियर