वर्ष 2020 में देशभर के अंदर 9,329 जगह आग लगने की घटनाएं हुईं। इनमें 9,110 लोग जिंदा जलकर मर गए। इनमें 4,954 महिलाएं और 4,156 पुरुष थे। 468 लोग घायल हुए। 2019 की बात करें तो आगजनी की 11,037 घटनाएं दर्ज हैं। तब 10 हजार 915 लोगों की मौत हुई थी।
एनसीआरबी की रिपोर्ट
राजधानी दिल्ली के मुंडका इलाके में शुक्रवार शाम तीन मंजिला इमारत में भीषण आग लग गई। इस हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई। 50 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। 12 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हादसे में दमकल विभाग के दो कर्मियों की भी मौत हुई है।
आग लगने से लोगों की जान जाने की ये पहली घटना नहीं है। इसके पहले गुरुवार 13 मई को श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन कर लौट रहे यात्रियों की बस में धमाके के बाद आग लग गई। इसमें चार श्रद्धालु जिंदा जल गए। 24 अन्य श्रद्धालु बुरी तरह से झुलस गए।
एक के बाद एक आगजनी की इन घटनाओं ने लोगों के बीच खौफ पैदा कर दिया है। ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की घटनाएं अभी शुरू हुई हैं। आंकड़े बताते हैं कि एक साल के अंदर ऐसे 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, इनमें नौ हजार से ज्यादा लोग जिंदा जलकर खाक हो गए।
पांच साल में 80 हजार से ज्यादा लोग जिंदा जल गए
दिल्ली की रिहायशी इलाके में एक तीन मंजिला इमारत में आग लग गई। इसमें 27 लोगों की मौत हो गई।
आगजनी की घटनाओं के बारे में जानने के लिए हमने सरकारी आंकड़ों को खंगाला। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी NCRB की वेबसाइट पर हमें 2015 से लेकर 2020 तक का डेटा मिला। 2021 का डेटा अभी जारी नहीं हुआ है।
इन पांच सालों में आग में झुलस कर मरने वालों का जो आंकड़ा था, वो डराने वाला है। NCRB के अनुसार, 2015 से लेकर 2020 तक अलग-अलग जगहों पर आग लगने की 82 हजार 7 घटनाएं दर्ज हैं। इनमें 80 हजार 242 लोगों की मौत हो गई।
वर्ष 2020 में देशभर के अंदर 9,329 जगह आग लगने की घटनाएं हुईं। इनमें 9,110 लोग जिंदा जलकर मर गए। इनमें 4,954 महिलाएं और 4,156 पुरुष थे। 468 लोग घायल हुए। 2019 की बात करें तो आगजनी की 11,037 घटनाएं दर्ज हैं। तब 10 हजार 915 लोगों की मौत हुई थी। राहत की बात है कि साल दर साल आग लगने की घटनाओं और मृतकों की संख्या में गिरावट हो रही है।
कब कितने लोगों की मौत हुई?
वर्ष
हादसे
मृतक
2020
9,329
9,110
2019
11,037
10,915
2018
13,099
12,748
2017
13,397
13,159
2016
16,695
16,900
2015
18,450
17,700
कुल
82,007
80,242
सबसे ज्यादा कहां हुए हादसों में गई लोगों की जान?
आग लगने की सबसे ज्यादा घटना मध्य प्रदेश में हुई है।
आग लगने की सबसे ज्यादा घटनाएं रिहायशी बिल्डिंग में हुई है। 2020 में रिहायशी इमारतों में आग लगने की 5,391 घटनाएं हुईं और इनमें 5,248 लोग मारे गए। कॉमर्शियल बिल्डिंग में इस तरह की 208 घटनाएं दर्ज हैं। इनमें 163 लोगों की जान चली गई। सरकारी इमारतों में आग लगने की 53 घटनाएं हुईं और इनमें 57 लोग जिंदा जल गए।
109 फैक्ट्रियों में आग लगने से 107 लोग जिंदा जलकर खाक हो गए। 2020 में 257 चलती गाड़ियों में आग लगने की घटनाएं दर्ज हैं। इनमें 326 लोग जिंदा जलकर खाक हो गए। इन गाड़ियों में सबसे ज्यादा प्राइवेट व्हीकल हैं।
टॉप-5 राज्य, जहां आग ने ली सबसे ज्यादा लोगों की जान
राज्य
घटनाएं
मौतें
मध्य प्रदेश
1,430
1,390
ओडिशा
1,292
1,293
महाराष्ट्र
762
767
तमिलनाडु
743
745
कर्नाटक
560
568
नोट : आंकड़े 2020 में हुई घटनाओं के हैं।
किस कारण से होती हैं घटनाएं?
विशेषज्ञों का कहना है कि लोग फायर सेफ्टी नियमों का पालन नहीं करते हैं।
हमने ये जानने के लिए रिटायर्ड फायर ऑफिसर एमके प्रदीप से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर आग लगने की घटनाएं गर्मी के मौसम में अधिक होती हैं। इसका कारण यह है कि तापमान अधिक होता है। ऐसे में हर घर, कॉमर्शियल प्लेस, स्कूल-कॉलेज, सरकारी दफ्तर और रिहायशी इमारतों में एसी, कूलर, पंखों का यूज बढ़ जाता है। बिजली पर अधिक लोड होता है और ऐसे में हल्की सी शार्ट सर्किट भी आग में तेजी से तब्दील हो जाती है।’
एमके प्रदीप के मुताबिक, ‘ घटनाओं को होने से रोकने के लिए पहले से सावधानी जरूरी है, लेकिन अगर कहीं घटना हो जाती है तो बचाव उससे ज्यादा जरूरी हो जाता है। इसके लिए ही हर तरह की इमारतों और घरों के लिए फायर सेफ्टी के नियम तय किए गए हैं, लेकिन दुख की बात है कि केवल 10 से 20 फीसदी लोग ही इसका पालन करते हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर 50 प्रतिशत लोग भी फायर सेफ्टी के नियमों का पालन कर लें तो आग लगने की घटनाओं को 80 प्रतिशत तक काबू किया जा सकता है।’
इन बातों का ख्याल रखें
ऊंची इमारतों में दो अलग-अलग तरफ कम से कम दो सीढ़ियों का होना जरूरी है।
इमारतों में फायर अलार्म होना अनिवार्य है।
बाहर निकलने के लिए कम से कम दो अलग-अलग दिशा में एग्जिट गेट होना चाहिए।
किचन का स्पेस खुला होना चाहिए।
किचन में कम से कम एक खिड़की होना चाहिए और यह एक वर्ग मीटर से कम नहीं होना चाहिए।
बिल्डिंग में 15 मीटर के बाद कोई ढलान का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
लो राइज रिहायशी इमारतों के लिए सीढ़ी के लिए न्यूनतम चौड़ाई 0.9 मीटर रखी गई है।
फ्लैट्स, हॉस्टल, ग्रुप हाउसिंग, गेस्ट हाउस के लिए, सीढ़ियों की चौड़ाई 1.25 मीटर तय की गई है।
लिविंग स्पेस और स्टोर्स सीढ़ियों में नहीं खुलने चाहिए।
कोई इलेक्ट्रिकल शाफ्ट्स, एसी की पाइप और गैस पाइपलाइन सीढ़ी के बीच से होकर नहीं गुजरनी चाहिए।