खुदकुशी से कैसा प्रेम …. फांसी और जहर का ऑप्शन अपना रहीं ज्यादातर महिलाएं, बच्चों के साथ माैत को क्यों गले लगाती है मां ?

क्यों दिल में छिपाकर रखा है दर्द

  • 6 अगस्त 2021 को नागपुर में मां ने बेटी से मोबाइल छीना और बेटी ने सुसाइड कर लिया।
  • अक्टूबर में UP में 18 साल की लड़की ने पिज्जा मांगा, मां ने कहा वेट करो तो जान दे दी।
  • 7 दिसंबर को भोपाल की एक महिला डॉक्टर ने खुदकुशी कर ली।
  • 12 दिसंबर को भीलवाड़ा की महिला ने शादी के 5 महीने बाद अपनी जान ले ली।
करीब 26% महिलाओं ने अपने जीवन को समाप्त करने के लिए जहर का सहारा लिया।
करीब 26% महिलाओं ने अपने जीवन को समाप्त करने के लिए जहर का सहारा लिया।

बच्चों के साथ आत्महत्या के मामले

  • सितंबर 2021, 26 साल की मां ने अपनी 6 महीने की बेटी के साथ मौत को गले लगाया।
  • अक्टूबर 2021, जोधपुर में महिला ने अपने दो बच्चों के साथ पानी की टंकी में कूद कर जान दी।
  • नवंबर 2021, अपने दो बच्चों को कुएं में फेंक कर बाद में मां खुद कूदी।
  • दिसंबर 2021, कोटा में एक मां ने अपनी 5 बेटियों के साथ आत्महत्या कर ली।
आत्महत्या करनेवाली दुनिया भर की महिलाओं में 36% भारतीय महिलाएं हैं।
आत्महत्या करनेवाली दुनिया भर की महिलाओं में 36% भारतीय महिलाएं हैं।

बच्चों का मेरे बाद क्या होगा, यह दर्द सताता है
साल 2020 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के अनुसार कुल आत्महत्या करने वाली महिलाओं में 14.6 % शादीशुदा महिलाएं थीं। जाहिर है कि इनमें मां बन चुकी महिलाएं भी शामिल होंगी। इस साल के आखिरी महीने में ही ऐसे ढेरों उदाहरण सामने आए, जहां मां ने बच्चों को मारने के बाद खुद भी मौत को गले लगाया।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में साइकेट्रिस्ट डॉ राजेश सागर के अनुसार, ‘महिलाओं का सोसायटी में रोल बढ़ा है। वह घर और बाहर दोनों जगहों पर बिजी हैं। उनका मल्टीटास्किंग चेहरा उभरकर सामने आया है।’

मल्टीटास्किंग होने के कारण महिलाओं में तनाव और अवसाद बढ़ा है।
मल्टीटास्किंग होने के कारण महिलाओं में तनाव और अवसाद बढ़ा है।

ढेरों महिलाएं पुरुषों का कार्यक्षेत्र माने जाने वाले कामों में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन इन सबके साथ उनकी जिम्मेदारियां बढ़ी हैं। इस वजह से महिलाओं में स्ट्रेस बढ़ा है। यही तनाव जब बेकाबू हो जाता है, तो आत्महत्या में बदल जाता है। कुछ मांएं अपने बच्चों के साथ खुदकुशी कर रही हैं। इसकी वजह है कि मां के लिए अपने बाद बच्चे के अस्तित्व की कल्पना करना बहुत मुश्किल होता है। अपनी जिंदगी में भी वह बच्चों की देखभाल को लेकर दूसरों पर भरोसा नहीं करती। ऐसे में मरने के बाद उनके बच्चों का क्या होगा यह चिंता उसके मन में होती है। यही वजह है कि वह खुदकुशी करने के पहले बच्चों को मारती है।

साल 2030 तक सुसाइड रेट में एक तिहाई कमी लाने का टारगेट रखा गया है।
साल 2030 तक सुसाइड रेट में एक तिहाई कमी लाने का टारगेट रखा गया है।

आत्महत्या के मामले में क्यों आगे है भारतीय महिलाएं
हार्वर्ड टी,.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक स्टडी के अनुसार कुल आत्महत्या करनेवाली दुनिया भर की महिलाओं में 36% भारतीय महिलाएं हैं। साल 2018 में मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित इस स्टडी के मुताबिक 15 से 29 साल की महिलाओं की मृत्यु की सबसे बड़ी वजह सुसाइड को माना गया।

साथ ही इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारत में युवा और अधेड़ महिलाएं आत्महत्या के मामले में विश्व की महिलाओं में सबसे ऊपर थी। आत्महत्या के कारणों की स्टडी के दौरान यह पाया गया कि शिक्षा और सशक्तिकरण में भारतीय महिलाएं बहुत आगे निकल गई है लेकिन समाज में उनका स्तर अभी भी निम्न है। इन कारणों से होने वाले विवाद आत्महत्या का रूप ले लेते हैं।

कुल आत्महत्या करने वाली महिलाओं में 14.6% शादीशुदा महिलाएं थीं।
कुल आत्महत्या करने वाली महिलाओं में 14.6% शादीशुदा महिलाएं थीं।

फांसी लगाना और जहर खाना आसान लगता है
एनसीआरबी के डेटा के अनुसार खुदकुशी करने वाले लोगों में से 54% ने फांसी लगाई। करीब 26% ने अपने जीवन को समाप्त करने के लिए जहर का सहारा लिया। वहीं नदी में कूदकर 5.2% और आग लगाकर मरने वाले 3.8% थे। साइकेट्रिस्ट डॉ. राजेश सागर के अनुसार आत्महत्या करने के लिए ज्यादातर औरतें पेस्टीसाइड्स जैसे जहर का इस्तेमाल करती हैं क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध होता है। साथ ही इसे खाने के बाद बचने की आशंका कम हो जाती है।

डॉक्टर राजेश स्वीकारते हैं कि समाज को महिलाओं में हुए बदलाव को सकारात्मक अंदाज में स्वीकारने से आत्महत्या की दर में कमी आएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मेंटल हेल्थ एक्शन प्लान 2013 -2030 के अनुसार साल 2030 तक सुसाइड रेट में एक तिहाई कमी लाने का टारगेट रखा गया है। डॉ. सागर के अनुसार, इस समस्या की तरफ गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है और साथ ही सुधारों को लेकर हर स्तर पर मेहनत करनी होगी, जाे महिलाओं के घर और करियर में तनाव को कम करेगा।

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