किस्सा-ए-आजम:इमरजेंसी के वक्त भी 19 महीने जेल में थे, फिर राजनीति में शामिल हुए, अब 27 महीने और 23 दिन बाद जेल से बाहर

उनके जेल से बाहर आते ही यूपी की सियासत में हलचल मच गई है कि आजम सपा में ही बने रहेंगे या दूसरे पाले में चले जाएंगे? वह यूपी की राजनीति के लिए इतना जरुरी क्यों हैं, ये जानने के लिए उनकी जिंदगी के सभी चैप्टर्स को शुरू से देखते हैं…

एक छोटा टाइपिंग सेंटर चलाते थे आजम के पिता
आजादी के 1 साल पूरे होने से बस 1 दिन पहले, 14 अगस्त, 1948 को यूपी के रामपुर में आजम खान का जन्म हुआ। आजम एक सामान्य परिवार से थे। उनके पिता मुमताज खान एक छोटा सा टाइपिंग सेंटर चलाते थे। परिवार को सपोर्ट करने के लिए आजम ने जमकर पढ़ाई की। BA ऑनर्स फिर MA ऑनर्स करने के बाद आजम ने LLB किया। कानून की डिग्री थी। वह उर्दू के अच्छे जानकार भी हैं।

आजम खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से LLB किया, फिर छात्रसंघ के महासचिव बने।
आजम खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से LLB किया, फिर छात्रसंघ के महासचिव बने।

आजम की राजनीति शुरू होती है 1974 से…
साल 1974. आजम AMU यानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से LLB कर रहे थे। यहीं से उनकी राजनीति की शुरुआत हुई, जब वह छात्रसंघ के महासचिव चुने गए। धीरे-धीरे यूनिवर्सिटी में पहचान बनने लगी। कहा जाता था कि अल्फाज कितने भी तीखे हों, आजम का बोलने का अंदाज बहुत मीठा होता है।

जब कांग्रेस से भिड़ गए थे आजम
साल 1975. आजम जब महासचिव थे तभी देश में इमरजेंसी लगा दी गई। उस वक्त छात्रसंघ का नियम था कि कोई भी पदाधिकारी राजनैतिक दल का सदस्य नहीं होगा। तब, कांग्रेस से जुड़े वसीम उपाध्यक्ष बन गए। इसी बात पर आजम ने कांग्रेस का विरोध शुरू कर दिया। छात्रसंघ की पहली मीटिंग में आजम ने प्रस्ताव रखा कि कांग्रेस का कोई नेता यूनिवर्सिटी कैंपस में नहीं आएगा। इसी वजह से कांग्रेस नेता उनसे नाराज हो गए।

5 बाई 8 फीट की कोठरी में 20 दिन बंद थे
आजम साल 1975. इमरजेंसी के टाइम यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स का आंदोलन चल रहा था। आजम भी आंदोलन में शामिल थे। उन्हें सरकार ने DIR यानी भारतीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार करके जेल की कोठरी में डाल दिया गया। जमीन के 6 फीट नीचे 5 बाई 8 फीट की कोठरी जिसमें ना रोशनी आती थी ना हवा। आजम ने 20 दिन इसी जगह गुजारे। बाद में स्टूडेंट होने की वजह से उन्हें जेल में बी क्लास की सुविधा मिली। आजम 19 महीने जेल में रहे।

जेल से बाहर आते ही यूपी की राजनीति में रखा कदम

1992 में सपा बनी तबसे मुलायम के साथ हैं आजम खान।
1992 में सपा बनी तबसे मुलायम के साथ हैं आजम खान।

साल 1977। आजम खान ने अपनी राजनीति की शुरुआत मजदूर नेता के तौर पर की। रामपुर की सियासत में आजम के आते ही उन्होंने मजदूरों के बीच अपनी पकड़ बनाई। रजा टेक्सटाइल्स में मैनेजमेंट के खिलाफ हड़ताल करवा दी। बीच बचाव के लिए सांसद मिकी मियां को बुलाया गया। उस दौर में मिकी मियां की रामपुर में ऐसी पैठ थी कि कोई उनके खिलाफ कुछ बोलता तो जनता डंडे लेकर उसे दौड़ा लेती।

मिकी जब मजदूरों को समझाने आए तो आजम ने उन्हें मैनेजमेंट का दलाल कहना शुरू कर दिया। अब तक जो लोग मिकी के खिलाफ नहीं बोल पाते थे आजम ने उन्हें कंधा दे दिया। इसके बाद ही आजम की राजनीति में पैठ बनने लगी। साल 1980 में पहली बार विधायक बने। साल 1985 आते-आते आजम ने मुस्लिम नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। आजम का पूरा राजनीतिक सफर नीचे ग्राफिक में देखें…

आजम पर जमीनें कब्जा करने से लेकर भैंसें और किताबें चोरी करने के आरोप
यूपी में योगी सरकार आने तक आजम की चांदी थी। बीजेपी के सत्ता में आते ही आजम की फाइलें खुलीं। उनके और उनके परिवार के खिलाफ मुकदमें दर्ज हुए। आजम पर 89, पत्नी तंजीन पर 22 और बेटे अब्दुल्ला पर 43 मुकदमे दर्ज हुए। उन पर जमीन हड़पने, अवैध तरह से संपत्ति हथियाने, किताबें चुराने से लेकर चुनाव के दौरान अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने आरोप लगे।
पहला आरोप: मजदूरों के हक का पैसा चुराने का आरोप।
दूसरा आरोप: 25 हजार रूपए और भैंस चुराने का आरोप।
तीसरा आरोप: फर्जी पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने के आरोप।
चौथा आरोप: सरकारी जमीन पर रिसॉर्ट बनाने का आरोप।
पांचवा आरोप: आजम,अब्दुल्ला और तंजीन पर किताबें और बिजली चोरी का आरोप।

तंजीन 2020 में, अब्दुल्ला जनवरी 2022 में और आजम मई 2022 में जेल से बाहर आए
फर्जी पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने के मामले में 26 फरवरी 2020 को आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। रामपुर जेल में एक रात गुजारने के बाद तीनों को सीतापुर जेल भेज दिया गया। 10 महीने जेल में रहने के बाद 20 दिसंबर 2020 को आजम की पत्नी जमानत पर बाहर आईं। उनके बेटे अब्दुल्ला 23 महीने जेल में रहने के बाद 16 जनवरी 2022 को रिहा हुए जबकि आजम को 20 मई 2022 को रिहा किया गया।

27 महीने 23 दिन बाद आजम खान जेल से रिहा हुए।
27 महीने 23 दिन बाद आजम खान जेल से रिहा हुए।

आजम बोले, “मैंने अपनी वफादारी साबित की है”
आजम खान 27 महीने 23 दिन बाद सीतापुर जेल से रिहा होकर अपने घर रामपुर पहुंच गए हैं। उनके बाहर आते ही सपा छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। इस बारे में सवाल पूछने पर आजम ने कहा, “अभी मेरे लिए BJP, BSP और कांग्रेस बहुत बड़ा सवाल नहीं है। हमने अपनी मोहब्बत, अपनी वफादारी साबित कर दी, बाकी का सबूत आपको देना है।”

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