OBC पर शिवराज की दरियादिली कमलनाथ से कम … सामान्य को छोड़ दलित-आदिवासियों से ज्यादा फोकस, फिर भी हिस्सेदारी में पीछे

‘मैं सच में आज भावनात्मक रूप से आपको बता रहा हूं, कोई पूछे कि 16 साल के मुख्यमंत्री काल में कौनसा सबसे बड़ा काम, जिसने मेरे दिल को सुकून दिया? तो मैं कहूंगा OBC के आरक्षण के साथ हम चुनाव करा पाए।’ 3 दिन पहले OBC सम्मान समारोह में ऐसा कहना था चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। आइए हम आपको सिलसिलेवार बताते हैं कि CM को अब ये कहने की जरूरत क्यों पड़ रही है?

वजह है 20 साल से सत्ता के फोकस से बाहर रहे पिछड़ों के आरक्षण पर इस बार मध्यप्रदेश में घमासान मचा हुआ है। मध्य प्रदेश में इनकी आबादी 49% है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट में इस हिसाब से कभी जगह नहीं मिली। कभी अधिकतम 28% मंत्री ओबीसी के रहे हैं। वर्तमान में 25% है जबकि दावे 27 से लेकिन 35% तक आरक्षण देने की हो रही है। पर सरकार में हिस्सेदारी में इसे हमेशा पिछड़ा ही रखा।

हाल ही में OBC रिजर्वेशन के साथ चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भाजपा अपनी जीत बता रही है। कांग्रेस कह रही है कि ये तो पहले से ही था, फिर जीत किस बात की। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच हमने जाना कि भाजपा और कांग्रेस ने पिछड़ों को सरकार में कितनी हिस्सेदारी दी? इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि सियासत का ये घमासान पिछड़ों को सत्ता देने की छटपटाहट है या चुनावी स्टंट?

पिछड़ों को लेकर इस छटपटाहट का गणित बुना था 2018 में कमलनाथ सरकार ने। कमलनाथ ने अपने मंत्रिमंडल में 28 फीसदी पिछड़ों को जगह दी। 29 मंत्रियों में 8 पिछड़ों को स्थान मिला। OBC के लिए रिजर्वेशन बढ़ाकर 14% से 27% कर दिया। इससे पिछड़ों की बात फिर सियासत के केंद्र में आ गई।

मध्यप्रदेश में पिछड़ों की आबादी 49% है। यानी साफ है कि पिछड़े ही सत्ता का सबसे बड़ा सम्मोहन हैं। जाहिर है, दोनों दल इन्हें अपना बनाने में लगे हैं, लेकिन ये अचानक क्यों और इसकी तलहटी का सच क्या है? ये जानने के लिए हमने जाना कि शिवराज के अलग-अलग 4 कार्यकाल और कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में पिछड़े वर्ग को कितनी तवज्जो मिली।

आइए आपको सिलसिलेवार बताते हैं कि सीएम को अब ये कहने की जरूरत क्यों पड़ रही है?

सबसे पहले बात शिवराज के वर्तमान मंत्रिमंडल की…

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सबसे पहले बात शिवराज के वर्तमान मंत्रिमंडल की…

31 मंत्रियों में GEN के 16, OBC के 8
एक बार सरकार खोने के बाद जब शिवराज की सत्ता में वापसी हुई तो शिवराज ने भी ओबीसी को ज्यादा तवज्जो दी। 4 कार्यकाल में इस बार सबसे ज्यादा 25 फीसदी ओबीसी को मंत्री पद दिए। सरकार के वर्तमान मंत्रिमंडल में 31 सदस्य हैं। इसमें 50% पर सामान्य श्रेणी के मंत्री विराजमान हैं। पिछड़ों की हिस्सेदारी सामान्य श्रेणी से आधी यानी 8 सीटों की है। यानी 25% मंत्री OBC के हैं। SC के 3 और ST के 4 मंत्री हैं। शिवराज सिंह चौहान और कमल पटेल के अलावा अन्य मंत्रियों में भारत सिंह कुशवाह, रामखेलावन पटेल, रामकिशोर कावरे, बृजेंद्र सिंह यादव और सुरेश धाकड़ स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री हैं।

 

अब बात कमलनाथ सरकार की…

29 मंत्रियों में 8 पिछड़े और 11 ST-SC के
कमलनाथ सरकार में 29 मंत्री थे। इनमें सामान्य वर्ग से 10 और OBC के 8 मंत्री थे। SC से 5 और ST कैटेगरी के 6 मंत्री थे। कमलनाथ ने वर्तमान शिवराज सरकार की अपेक्षा OBC को थोड़ी ज्यादा तरजीह दी थी। 29 सदस्यों के मंत्रिमंडल में भी 8 मंत्री पिछड़े वर्ग से थे। ST और SC वर्ग के कुल 11 मंत्री थे।

सत्ता की हिस्सेदारी में पीछे झांकते हैं….

2013 की शिवराज कैबिनेट में 7 पिछड़े और 8 SC से
थोड़ा पीछे देखें तो 2013 की शिवराज कैबिनेट में 35 सदस्य थे। सबसे ज्यादा 18 सामान्य वर्ग के थे। पिछड़े वर्ग के मंत्रियों की संख्या 7 थी। जबकि SC वर्ग के मंत्रियों की संख्या 8 थी। जाहिर है कि तब सरकार का फोकस पिछड़ों से ज्यादा SC पर था।

2008 में भी OBC से ज्यादा SC के मंत्री थे

शिवराज सरकार में 34 मंत्री थे। इसमें पिछड़े वर्ग के 6 और SC के 7 थे। ST के 5 मंत्री थे। जबकि सामान्य वर्ग के मंत्रियों की संख्या 16 थी।

पिछड़ों की सत्ता में हिस्सेदारी का यह सवाल आरक्षण की सियासत से ही उपजा है। लेकिन, ये भी साफ है कि आबादी में 50% से ज्यादा हिस्सा रखने वाले पिछड़े सत्ता में 20-22 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं पा सके। जबकि, 16% दलित और 20 फीसदी आदिवासी मंत्रिमंडल में पिछड़ों से कभी कमतर नहीं रहे।

14 फीसदी सामान्य वर्ग का कैबिनेट में 52 फीसदी प्रतिनिधित्व
वर्तमान में 49 फीसदी पिछड़ों को सिर्फ 25 फीसदी ही कैबिनेट बर्थ मिल सकी है। जबकि इसके उलट 14 फीसदी सवर्णों की मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी 52 फीसदी है।

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