प्रदेश के 600 नर्सिंग कॉलेजों में 500 से ज्यादा फैकल्टी फर्जी …!
नर्सिंग घोटाला ..! 4500 माइग्रेशन नंबर संदिग्ध ..?
ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ग्वालियर-चंबल के 35 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता और संबद्धता की जाच कर रही है। इसमें से 10 से कॉलेज पहले ही बंद हो चुके है। 25 कॉलेजों के आधे-अधूरे दस्तावेज सीबीआई ने नर्सिंग काउंसिल से जब्त कर लिए है। जिस तरह की गड़बड़ी इन कॉलेजों हुई है, ठीक उसी तरह की गड़बड़ी प्रदेश के 600 नर्सिंग कॉलेजों में सामने आ रही है।
इन कॉलेजों में 14 हजार में से 4500 ऐसी टीचिंग फैकल्टी रजिस्टर्ड हैं। जो कागजों में यहां पर पढ़ाने काम करती हैं। ये सारी फैकल्टी बाहरी राज्यों की हैं। इनका माइग्रेशन व रजिस्ट्रेशन नर्सिंग काउसिंल में किया गया है। इसमें से 500 फैकल्टी ऐसी हैं, जिनके माइग्रेशन / पंजीयन नंबरों को एक से अधिक बार फर्जी तरीके से अलग अलग जनरेट कर प्रदेश के अलग-अलग कॉलेजों में मान्यता प्राप्त करने दर्शाया गया है।
कॉलेज संचालकों ने यह धांधली इसलिए की, क्योंकि उन्हें 2020-21 और 2021-22 में नर्सिंग कॉलेज की मान्यता लेना थी। इसके लिए उन्होंने माइग्रेशन नंबर फर्जी तरीके से जनरेट कर दिए। नर्सिंग काउसिंल ने भी इन फर्जी नंबरो का बिना देखे सत्यापन कर दिया।
माइग्रेशन का खेल...किसी की जन्म तारीख बदल दी, तो किसी का सरनेम बदल दिया गया
खास बात ये है कि ये 500 फैकल्टी ऐसी हैं, जिनके एक ही समय पर अलग-अलग कॉलेज संचालकों ने माइग्रेशन नंबर बनाए और एक ही साथ कई कॉलेजों में काम करना दिखाया गया। कई कॉलेजों में एक ही व्यक्ति के 15 तो कई के 18 से ज्यादा बार माइग्रेशन नंबर को अलग-अलग तरीके से जरनेट किया गया। इनको कॉलेजों में फैकल्टी के रूप में दर्ज कराया गया।
भास्कर इन्वेस्टिगेशन में ये बात सामने आई है कि कॉलेज संचालकों ने एक ही व्यक्ति माइग्रेशन नबर जनरेट करने के लिए उसकी जन्म तारीख को बदल दिया। किसी के मार्कशीट में दर्ज पास होने की साल का नंबर बदल दिया तो कई के नाम और सरनेम को बदलकर उसका माइग्रेशन नंबर जनरेट कर दिया गया। अलग-अलग कॉलेज में एक ही व्यक्ति को अलग-अलग पद पर काम करना दिखाया गया है।
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन, म.प्र के अध्यक्ष विशाल बघेल ने बताया कि प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजो में कुल बाहरी राज्यों की 4500 माइग्रेशन नंबर से रजिस्टर्ड हैं। इसमें से 1000 से ज्यादा डुप्लीकेट हैं। हाल ही में हमारी तरफ से 150 से ज्यादा फैकल्टी के डुप्लीकेट नंबरों के दस्तावेज हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच के समक्ष पेश किए गए हैं।
ऐसे चल रहा फर्जीवाड़ा- विष्णु कुमार स्वर्णकार 15 और लीना 18 जगह कर रही नौकरी
एक ही विष्णु कुमार स्वर्णकार के वर्ष 21-22 में 15 माइग्रेशन नंबर फर्जी तरीके से बनाए गए और पंजीयन कराया गया जिससे कि उसे एक साथ 15 कालेजों में कार्यरत दिखाया गया। उसकी जन्म तारीख और सरनेम बदलकर गड़बड़ी की गई। इसी तहर एक लीना नाम की टीचिंग स्टाफ के 18 माइग्रेशन नंबर जनरेट किए गए।
कहीं पर उसका नाम सिर्फ लीना लिखा गया तो कहीं पर कुमारी लीना और कहीं पर लीना के अलावा कई सरनेम लिखे गए। उसकी जन्म तारीख को बदल दिया गया। अलग-अलग कॉलेज में उसका पद बदलकर दिखाया गया।
बड़ा सवाल– 150 कॉलेजों का फर्जीवाड़ा पकड़ाया, केस किसी पर नहीं
बड़ा सवाल ये है कि एक ही व्यक्ति की डुप्लीकेट माइग्रेशन नंबर के आधार पर उसे अलग-अलग कॉलेज में काम करना दिखाया गया। ये फर्जीवाड़ा खुलने के बाद भी न तो शासन और न ही नर्सिंग कॉउसिंल ने संचालक और फैकल्टी मेंबर के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है।
माई ग्रेशन के लिए अनिवार्य…
- 10, 12 th मार्कशीट
- ट्रेनिंग/इंटर्नशिप सर्टिफिकेट
- समस्त 1,2, 3, 4 सेम की अंकसूचियां
- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट