जम्मू कश्मीर पर केंद्र का बड़ा फैसला … पुलिस मेडल से शेख अब्दुल्ला की तस्वीर हटाई जाएगी, अशोक स्तंभ का सिंबल लगाया जाएगा

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुलिस मेडल को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने मेडल से शेख अब्दुल्ला की तस्वीर हटाने का आदेश जारी किया है। शेख अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के संस्थापक और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री थे। मेडलों पर अशोक स्तंभ के सिंबल लगाने के संबंध में गृह विभाग ने आदेश जारी किए हैं।

गृह विभाग के प्रधान सचिव आरके गोयल के आदेश में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा 4 में संशोधन किया गया है। मेडल के एक तरफ उभरा हुआ ‘शेर-ए-कश्मीर’ शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को भारत सरकार के राष्ट्रीय प्रतीक से बदल दिया जाएगा।

मेडल का नाम भी बदला चुका है
इससे पहले भी सरकार ने ‘शेर ए कश्मीर पुलिस पदक’ का नाम बदलकर जम्मू कश्मीर पुलिस पदक कर दिया था। ‘शेर ए कश्मीर’ शेख अब्दुल्ला को कहा जाता है। शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के पिता थे। फारूक अब्दुल्ला जब जम्मू कश्मीर के सीएम बने थे, तब उन्होंने अपने पिता की याद में पुलिसकर्मियों को दिए जाने वाले मेडल पर उनकी फोटो लगा दी थी।

2019 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सरकारी अवकाश की सूची से शेख अब्दुल्ला की जयंती को भी हटा दिया था।
2019 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सरकारी अवकाश की सूची से शेख अब्दुल्ला की जयंती को भी हटा दिया था।

1948 में कश्मीर के प्रधानमंत्री बने
शेख अब्दुल्ला साल 1948 से 1953 तक जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री थे। साल 1975-1982 तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे। शेख अब्दुल्ला ने जिन्ना के दो राष्ट्र सिद्धांत को खारिज कर दिया था और राज्य को भारत में विलय करने के लिए अपना समर्थन दिया था। ‘शेर-ए-कश्मीर’ के नाम पर आज भी राज्य भर में कई अस्पताल, स्टेडियम, सड़कें और अन्य इमारतें हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने किया विरोध
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर विरोध जताया है। पार्टी प्रवक्ता इमरान नबी डार ने इसे ‘इतिहास मिटाने वाला’ फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करते हैं, लेकिन ये फैसला नफरत को दिखाता है। पार्टी के प्रांतीय सचिव शेख बशीर ने कहा कि यह फैसला नेशनल कॉन्फ्रेंस और शेख अब्दुल्ला को बदनाम करने के लिए लिया गया है।

भाजपा ने फैसले का किया समर्थन
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम कविंद्र गुप्ता ने इस फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि गुलामी के ऐसे सभी प्रतीकों को खत्म कर दिया जाना चाहिए। शेख अब्दुल्ला ने जिस अलगाववादी मानसिकता का प्रचार किया, उसे समाप्त कर दिया गया है।

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