1,500 लाेगों ने हजारों बीघा नहरी भूमि की बंदरबांट की, 10 कराेड़ हड़पे, 1 आईएएस, 7 आरएएस, 16 तहसीलदार और 22 पटवारी आरोपी
जैसलमेर में हजारों बीघा नहरी भूमि आबंटन के महाभ्रष्टाचार की परतें एसीबी ने खोली हैं …
जैसलमेर में हजारों बीघा नहरी भूमि आबंटन के महाभ्रष्टाचार की परतें एसीबी ने खोली हैं। स्पेशल टीम ने सालभर हर आबंटन फाइल खंगाल 1,500 लोगों में बंदरबांट हुई जमीन का खुलासा ही नहीं किया, प्रत्येक आबंटन को खारिज करवा जमीन को दुबारा सरकारी खाते में दर्ज कराया है। 80/2018 केस में ही 161 आबंटन आदेश निरस्त किए गए हैं। बाकी की निरस्तीकरण की प्रक्रिया जारी है। जांच लगभग हो चुकी है व चालान की स्थिति में है।
जांच के मुताबिक घोटाले में उप निवेशन नाचना के तत्कालीन 7 उपायुक्तों के साथ 16 तहसीलदार व 22 पटवारी शामिल हैं। आरोपी भूमि आबंटित कराने वाले डेढ़ हजार लोग भी हैं। एसीबी मुख्यालय कानूनी राय लेकर चार्जशीट दायर करेगा। घोटाला 2012 से 2016 के बीच हुआ। इस दौरान जो भी RAS उपायुक्त बन आया, बंदरबांट की। जोधपुर रेंज एसीबी ने 4 और बीकानेर रेंज एसीबी में 2 केस दर्ज हुए।
इनमें तत्कालीन उपायुक्त अरुण प्रकाश, रामअवतार, भंवरलाल, पीसी महावर, राजेश नायक अभी बतौर RAS नौकरी में हैं। प्रेमसुख विश्नोई IAS हो चुके हैं। अकील अहमद व पालसिंह रिटायर हो चुके हैं। 16 तहसीलदार आरोपियों में से राजेश नायक अब आरएएस अफसर हो चुके हैं व 10 तहसीलदार रिटायर हो गए। 22 पटवारियों में से 10 रिटायर हुए हैं और 12 अभी नौकरी में हैं।
एक साल से जांच कर रही थी एसीबी डीजी की स्पेशल टीम
- डीएसपी अन्नराज सिंह इन्होंने 31 फाइलें जांचीं
- इंस्पेक्टर अनिल शर्मा इन्होंने 70 फाइलें जांचीं
- इंस्पेक्टर संग्राम सिंह इन्होंने 62 फाइलें जांचीं
- इंस्पेक्टर मनीष वैष्णव इन्होंने 71 फाइलें जांचीं
नतीजे पर एसीबी, 161 पट्टे खारिज
एक साल की महा जांच के बाद एसीबी ने एक-एक आबंटन की फाइल अतिरिक्त आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत की, वकील खड़े किए और 161 आबंटन आदेश निरस्त करवा दिए, बचे हुए आबंंटन आदेश को निरस्त कराने की प्रक्रिया जैसलमेर में चल रही है। ये सभी जमीन अब दुबारा से रकबा राज हो चुकी है, यानी सरकारी खाते में दर्ज हो गई हैं।
लोगों ने जमीन का पैसा दिया, मिलीभगत से 10 करोड़ हड़पे…
घोटाले का दूसरा 459/21 नंबर केस है। भूआबंंटन के बाद किस्तों में पैसा जमा कराना होता है। लोगों ने पैसा दिया, लेकिन ट्रेजरी में जमा नहीं हुआ। एसीबी द्वारा पकड़े गए ऐसे चालानों से पता चलता है कि 10 करोड़ रु. हड़पे गए। एक और केस 17 दावों का है, जिसमें रोड साइड जमीनें आबंटित कर दी थीं। हालांकि जिस दिन आबंटन हुआ, उसी दिन शिकायत होने पर आबंटन निरस्त भी कर दिए, लेकिन गलत आबंटन थे, इसलिए जांच हुई और यह केस भी चार्जशीट की स्टेज पर है।
न कब्जे देखे न नाम, मनमर्जी से जमीनें बांटीं
एसीबी की जांच के मुताबिक हजारों बीघा की यह जमीन आबंटन की लगभग 500 फाइलें लगी थीं और इनमें 1,500 लोगों के नाम आबंटन आदेश हुए थे। उपायुक्तों ने झूठे तथ्य लिख कर डिक्री के आदेश जारी किए, जबकि दावा लगाने वाले लोगों के बताए पड़ोसियों के नाम भी सही नहीं थे। झूठे दावे लगे, पटवारियों ने मौका रिपोर्ट दफ्तरों में बैठ कर बनाई। दावा करने वाले सभी लोगों के बयान एक जैसे लिखे हुए मिले, कई पत्रावलियों में बयानों के पन्ने हस्ताक्षर व अंगूठे के निशान लगे खाली ही पड़े थे। तहसीलदारों ने सेटलमेंट के नक्शों से मिलान नहीं किया और जिसने 50 बीघा का दावा किया तो उसे 500 बीघा अलाॅट कर दी।