इंदौरी ‘मिल्खा सिंह’ इस बार विदेश में दौड़ेगा …
41 घंटे में 277 किमी दौड़ा, पैरों के छाले बयां करते संघर्ष की कहानी…
इंदौर का नाम देश-विदेश में रोशन करने वाले अल्ट्रा रनर कार्तिक जोशी को दक्षिण अफ्रीका में दौड़ने का न्योता मिला है। अक्टूबर में होने वाली इस बैकयार्ड अल्ट्रा मैराथन के लिए कार्तिक अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। इसके पहले वे बेंगलुरु में जुलाई में होने वाली 24 घंटे की स्टेडियम रन और अगस्त में 90 किलोमीटर कॉमरेड रन मैराथन में भी हिस्सा लेंगे। कार्तिक इंदौर से भोपाल के बीच लगातार 200 किमी भी दौड़ चुके हैं।
41 घंटे में लगाई थी 277 किलोमीटर की दौड़
कार्तिक की उम्र 20 साल 7 महीने है और वे अबतक देश के 15 राज्यों में 115 से ज्यादा प्रतियोगिताओं में प्रदेश को और दो वर्ल्ड चैम्पियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी अबतक कि सबसे लंबी दौड़ 277 किलोमीटर की है, जो उन्होंने 41 घंटे में पूरी की थी। फिलहाल वे जुलाई से अक्टूबर तक होने वाली तीन बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर रहे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है अक्टूबर में होने वाली नेशनल चैम्पियनशिप।
अब तक 50 जोड़ी जूते पहने, सभी फटे, पर किसी को फेंका नहीं
कार्तिक के पास 50 जोड़ी जूते हैं, जो कि गवाह हैं हर उस दौड़ के जो उन्हें धीरे-धीरे शिखर की ओर बढ़ा रही है। उनके पैरों के छाले और रिसते घाव उनके कठिन संघर्ष की कहानी कहते हैं। वे 10 बाय 15 में बने एक कमरे में रहते हैं, जिसकी दीवारों पर सजे मेडल बताते हैं कि मुश्किलें चाहे जितनी आएं… हौसला हर मुश्किल के सिर पर पैर रखकर बुलंदियों को छू लेता है। रनिंग के लिए उनके जुनून, उनकी उपलब्धियों को देखते हुए लोग उन्हें इंदौर का मिल्खा बुलाते हैं।
पैदल यात्रा की, यही रहा टर्निंग पॉइंट
आम बच्चों की तरह कार्तिक भी स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे। फिर उन्होंने इंदौर से राजस्थान चारभुजानाथ की यात्रा में हिस्सा लिया और तकरीबन 445 किमी की यह यात्रा मात्र 11 साल की उम्र में पैदल पूरी की। यही उनकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। कार्तिक ने दौड़ना शुरू किया और सिलसिला बढ़ता गया।
पैरों में छाले पड़े, घाव हुए… देश की 11 सबसे बड़ी मैराथन में जीते मेडल
कार्तिक देश की 11 सबसे बड़ी मैराथन में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं, साथ ही 2 बार वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए भी क्वालिफाई कर चुके हैं। हालांकि कोरोना बैन के चलते वीजा नहीं मिल पाने के कारण दोनों बार क्वालिफाई करके भी हिस्सा न ले सके। ऐसे कई मौके आए जब कार्तिक के पैर लगातार रनिंग से इस कदर जख्मी हुए कि दौड़ना तो दूर चला भी न जाए, लेकिन इस हाल में भी वह दौड़े और जीत हासिल की।
पिता को आया अटैक पर कार्तिक के लिए सबकुछ किया
संघर्ष अकेले कार्तिक का नहीं है, बल्कि पूरा परिवार कर रहा है। उनके पिता ओम जोशी ने चाय की दुकान चला कर परिवार का भरण पोषण और कार्तिक की डाइट वगैरह के खर्चे चलाए। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें 17 घंटे सतत काम किया। रामबली नगर स्थित छोटी सी चाय की दुकान में ओम जोशी दिनभर काम करते और फिर रात में पूरा परिवार इसी दुकान में सो जाता। फिर कोरोनाकाल आया और किराए पर ली गई यह दुकान बंद करना पड़ी। घर भी छिन गया।
अब ओम जोशी गारमेंट और शू-रीसेलिंग का काम करते हैं। 1500 रुपए के किराए के कमरे में रहते हैं। 2021 में उन्हें मेजर हार्ट अटैक आया और उसके बाद से काम कम करना पड़ा। कार्तिक के सामने ऐसे कई मौके ऐसे भी आए जब रेस के लिए बाहर गए तो होटल में रुकने के रुपए नहीं थे। स्टेशन पर सोए और ब्रेड अचार खाकर गुजारा किया। ऐसी परिस्थिति में भी उनके हौसले को देखते हुए अब पाथ इंडिया प्रायवेट लिमिटेड कंपनी कार्तिक की सभी रन का खर्च उठा रही है।
10×15 फीट के कमरे में रहता है पूरा परिवार
12वीं पास कर चुके कार्तिक के हाथों में चमचमाती ट्रॉफी और ढेरों मेडल तो जमाना देख रहा है, लेकिन यह चमक कई अंधेरों से जन्मी है। कार्तिक के परिवार की आर्थिक स्थिति भी वैसी ही है जैसी मिल्खा सिंह की थी। स्कीम नंबर 51 में बने चाणक्य स्कूल के ऊपर 10×15 में बना एक कमरा उनका घर है। किराए पर लिए गए इसी एक कमरे में उनका पांच लोगों का परिवार रहता है। रसोई यहीं, यहीं खाना-पीना, इसी कमरे में भाई-बहनों का पढ़ना और यहीं रखी ट्रेडमिल पर प्रैक्टिस करते हैं कार्तिक।
ऐसा है कार्तिक का ट्रेक
41 घंटे में 277 किलोमीटर, हरियाणा
39 घंटे में 262 किलोमीटर, गुरुग्राम
250 किलोमीटर, बेंगलुरु
220 किलोमीटर, कर्नाटक
200 किलोमीटर इंदौर से भोपाल
203 किलोमीटर दिल्ली
195 किलोमीटर
176 किलोमीटर मुंबई