यमुना नदी में बन रहा है जहरीला झाग, जानिए क्या है वजह ?
पिछले साल अप्रैल से जून की बात करें तो लॉक डाउन के समय कारखाने बंद थे, जिस वजह से ट्रीटेड-अन ट्रीटेड वेस्ट इस नदी में नही आ रहा था और नदी अपने मूल रूप में आ गई थी.
राजधानी दिल्ली से बह रही यमुना नदी (River Yamuna) राजनीति का अहम मुद्दा रही है. वक्त वक्त पर नदी में बनने वाले झाग ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. वहीं इस ओर इशारा भी किया है कि यमुना कितनी ज्यादा प्रदूषित (Pollution In River Yamuna) है. यमुना में अब भी शहर के कई हिस्सों का सीवर जा रहा है. आज सुबह भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें देखने को मिलीं जहां यमुना नदी पूरी तरह झाग से ढकी सफेद नज़र आई. ज़हरीले झाग से ढकी यमुना में दिख रहा फोम या झाग कुछ और नहीं बल्कि प्रदूषण, गंदगी और अमोनिया की मात्रा बढ़ने की वजह से बनने वाला झाग है.
जानकारों की मानें तो झाग की ये ज्यादा मात्रा प्राकृतिक वजह से नहीं है. पिछले साल अप्रैल से जून की बात करें तो लॉक डाउन के समय कारखाने बंद थे, जिस वजह से ट्रीटेड-अन ट्रीटेड वेस्ट इस नदी में नही आ रहा था और नदी अपने मूल रूप में आ गई थी. लेकिन एक साल बाद यानी आज की तस्वीर डराने वाली है जहां ये जहरीली झाग वाली यमुना नजर आ रही है.
यमुना की सफाई पर क्या बोले थे दिल्ली के जलमंत्री सत्येंद्र जैन?
दिल्ली के जलमंत्री सत्येंद्र जैन आश्वासन देते हुए ये दावा कर चुके हैं कि दिल्ली में यमुना नदी को दिसंबर 2023 तक पूरी तरह साफ कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि अगले साल के अंत तक यमुना नदी नहाने के लिहाज से पूरी तरह उपयुक्त होगी और इसमें मछलियां फिर से दिखने लगेंगी लेकिन मौजूदा तस्वीर उस सपने से बहुत दूर नजर आ रही है. जरूरी है कि यमुना को साफ करने के कामों में तेजी लाई जाए और इसके सुधार के लिए वेट लैंड बनाए जाएं. मॉनसून के बाद जब यमुना का जलस्तर कम होने लगता है तो प्रदूषक कण एक परत बना लेते हैं. खास तौर पर यमुना में फास्फेट की मात्रा इस झाग की परत के लिए जिम्मेदार है.
यमुना में प्रदूषण पर क्या बोले पर्यावरणविद फैयाज खुदसर ?
पर्यावरण के सभी मुद्दों पर सक्रिय रूप से काम करने वाले पर्यावरणविद फैयाज खुदसर कहते हैं कि यमुना नदी के बिना यमुना की परिकल्पना करना मुश्किल है. यमुना जिस स्थिति में है वह उस स्थिति में भी जीवनदायिनी है. दिल्ली में यमुना सिर्फ दो प्रतिशत तक बहती है लेकिन 80 प्रतिशत प्रदूषण यहीं से जाता है.
फोम पर्यावरण द्वारा भी पैदा होता है लेकिन नदी में जो ये फोम दिख रहे है ये नेचुरल नही हैं. इसमें खासतौर पर ट्रेटेड, नॉन टेरेटेड सर्फेक्टेंट, सल्फेट, फॉस्फेट ज्यादा होते हैं. ऐसे में पानी में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा अपने काम कम हो जाती है. पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने की वजह से उसके अंदर पलने वाले जीव मृत हो जाते हैं. इस पानी के अंदर अगर इंसान भी जाता है तो उसकी त्वचा खराब हो जाती है क्योंकि इसमें फॉस्फेट की मात्रा अधिक होती है.
खुदसर कहते हैं कि यमुना के अंदर पानी नही है. दिल्ली की यमुना मुख्य रूप से ऊपर से आने वाले पानी पर निर्भर करती है. पानी कम होने के कारण थोड़ी गंदगी भी इस पानी में जल्दी और आसानी से घुल जाती है जो इसे ज्यादा दूषित बना देती है.
कहां से होती है यमुना नदी की शुरुआत और कहां जाकर होता है अंत ?
यमुनोत्री से शुरुआत करती यमुना नदी प्रयागराज के अंतिम छोर पर खत्म होती है. 1400 किलोमीटर के इस सफर में यमुनोत्री के बाद यमुना पोंटो साहब इलाके में पहुंच कर समतल इलाके में आ जाती है. शुरुआत से ही यमुना बिल्कुल शुद्ध होती है. इसके किनारे अलग-अलग वनस्पति देखने को मिलती हैं.
आगे चल कर चंबल, कूनो नदी ,करनाल जैसी जगहों में मौजूद पानी भी यमुना नदी में मिल जाता है. ये सभी छोटी बड़ी नदियां यमुना नदी को विशाल रूप देती हैं. यमुना को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया में यमुना के आस पास मौजूद वनस्पतियों को भी जिंदा करना जरूरी हो जाता है.
ये सभी छोटी बड़ी नदियां यमुना नदी को विशाल रूप देती हैं. यमुना के साथ उसको जोड़ने वाली बाकी नदियों को भी जिंदा करने की जरूरत आज अहम हो गई है क्योंकि उन नदियों में भी पानी घट रहा है. दिल्ली के ओखला (Okhla) से जब यमुना नदी बाहर निकलती है तो वह सिर्फ नदी नहीं होकर पानी की केवल एक धारा ही बचती है.