गुना पुलिस हत्याकांड की जांच करेंगे ADM … ?
पुलिस की भूमिका, आरोपियों का एनकाउंटर और सरेंडर के तरीके जांच के दायरे में….
गुना पुलिस हत्याकांड मामले की जांच अब ADM करेंगे। कलेक्टर ने ADM को इस मामले की जांच के लिए अधिकृत किया है। मामले में पुलिस, वन विभाग की भूमिका, SDM को जानकारी दी या नहीं सहित अन्य बिंदुओं पर जांच की जाएगी। गश्त करने गई पुलिस टीम ने आरोन थाना प्रभारी और SP को इसकी जानकारी दी थी या नहीं, इस बिंदु पर भी जांच की जाएगी।
बता दें कि 13-14 मई की रात आरोन इलाके के शहरोक के पास शिकारियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसमें तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। वहीं एक शिकारी भी मुठभेड़ में मारा गया था। घटना की सुबह ही IG को हटा दिया गया था। शाम को एक आरोपी को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। वहीं तीसरा आरोपी भी दो दिन बाद एनकाउंटर में मारा गया था। इस मामले में अभी 7 आरोपी जेल में बंद हैं। दो आरोपियों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। आरोपियों के सरेंडर के दो घंटे बाद ही SP का तबादला कर दिया गया था।
ADM करेंगे जांच, कलेक्टर ने दिए आदेश
शासन ने कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए. को मामले की जांच का आदेश दिए हैं। इस पर कलेक्टर ने अपर कलेक्टर आदित्य सिंह को जांच का जिम्मा सौंपा है। जिला प्रशासन के अफसरों की मानें, तो एडीएम इस घटनाक्रम को लेकर कई बिंदुओं पर जांच करेंगे। वहीं पुलिस की इस घटनाक्रम में क्या भूमिका रही है, इसकी भी जांच की जाएगी। इस बात की भी जांच होगी कि मारे गए तीन पुलिसकर्मियों को शिकारियों की सूचना किसने दी। साथ ही उन्होंने इस मामले को लेकर एसडीएम और वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया या नहीं।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
- पुलिस की इस मामले में क्या भूमिका रही। मामले में पुलिस की थ्योरी की जांच की जाएगी।
- आरोन में गश्त करने वाले सब इंस्पेक्टर राजकुमार जाटव, प्रधान आरक्षक नीरज भार्गव और आरक्षक संतराम मीणा ने शिकारियों के खिलाफ दबिश देने से पहले टीआई और पुलिस अधीक्षक को जानकारी दी थी या नहीं।
- मृतक पुलिसकर्मियों ने आरोपी शिकारियों की पहचान कैसे की। साथ ही मौके पर फायरिंग और दोनों तरफ से गोली कितनी दूरी से चलाई गई।
- मृतक पुलिसकर्मियों को गोली कितनी दूरी से शिकारियों ने मारी। घटना के बाद आरोन थाने की पुलिस कितने बजे मौके पर पहुंची, तो निजी ड्राइवर को भी गोली के छर्रे लगे हैं। उसके साथ दूसरा पुलिसकर्मी वाहन में बैठकर आरोन थाने या फिर अस्पताल कितने बजे पहुंचा।
- मृतक पुलिसकर्मियों की पीएम रिपोर्ट को भी खंगाला जाएगा। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि शिकारियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ से पहले हाथापाई हुई थी, जिसको लेकर डॉक्टरों से भी पूछताछ हो सकती है। वहीं पीएम के दौरान कौन-कौन से अफसर मौजूद थे।
- दो शिकारी गुल्लू और विक्की ने जिला न्यायालय में कैसे सरेंडर कर दिया। इसमें किसकी भूमिका रही है।
जांच की मांग के लिए याचिका दायर
गुना निवासी समाजसेवी कृष्ण कुमार रघुवंशी ने CJM कोर्ट में याचिका दायर कर इस एनकाउंटर की जांच कराने की मांग की है। CJM आदित्य सिंह की कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है। इस याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने ताकतवर लोगों को बचाने के मकसद और सबूत मिटाने के लिए एनकाउंटर किया है। बिना किसी जांच-पड़ताल, बिना गिरफ्तारी के एनकाउंटर बताकर तीन लोगों की हत्या की है। जबकि, कानून यह कहता है कि किसी भी घटना में अगर कोई व्यक्ति शामिल है तो उसे गिरफ्तार कर 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया गया।