ग्वालियर : पर्यावरण स्वीकृति बिना किया 1000 बिस्तर अस्पताल का निर्माण ?

सिया ने मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी रिपोर्ट…
पर्यावरण स्वीकृति बिना किया 1000 बिस्तर अस्पताल का निर्माण, पीआईयू के अधिकारी पर हो सकती है कार्रवाई

ग्वालियर-चंबल अंचल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के निर्माण में लापरवाही बरतने का मामला तूल पकड़ता दिख रहा है। अस्पताल का कुल क्षेत्रफल 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा है। नियमानुसार, ऐसे प्रोजेक्ट में मप्र स्टेट लेवल एनवायरनमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सिया) से अनुमति अनिवार्य रूप से लेने का प्रावधान है। इसके बाद भी अनुमति लेने की प्रक्रिया की पूरी तरह से अनदेखी की गई।

अब सिया ने इस मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अस्पताल का निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट पेश करने का जिम्मा दिया है। सूत्रों की माने तो निरीक्षण का कार्य भी पूरा कर लिया गया है। अब रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड आगे की कार्रवाई करेगा। यहां बता दें कि नियमों की अवहेलना के चलते पीआईयू के अधिकारियों पर 5 लाख तक का जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा ऐसे प्रकरणों में एक साल की सजा का भी प्रावधान है।

क्यों जरूरी है स्वीकृति

पर्यावरण स्वीकृति कितनी जरूरी होती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया एयरपोर्ट के टर्मिनल विस्तार से पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवेदन किया।

आवेदन में ये बताया गया है कि निर्माण के बाद होने वाले जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण पर किस तरह से अंकुश लगाई जाएगी। रिपोर्ट में प्रदूषण को रोकने संबंधी उपायों से संतुष्ट होने पर पर्यावरण स्वीकृति प्रदान की गई। इसके बाद जाकर एयरपोर्ट में काम शुरू हो सका। वहीं एक हजार बिस्तर के अस्पताल निर्माण के मामले में इस नियम की पूर्ण रूप से अनदेखी की गई है।

ईटीपी व एसटीपी संचालन की जिम्मेदारी पीआईयू की

ईटीपी और एसटीपी संचालित करने की जिम्मेदारी पीआईयू के पास है। हमारी जानकारी के अनुसार दोनों प्लांट चालू हैं और दूषित पानी का उपचार किया जा रहा है।
-डॉ. वीरेंद्र वर्मा, पीआरओ, जेएएच

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